मम्मी, मैं घर आ रही हूं, स्वाति ने गुस्से में कहा और सास के समझाने पर भी अपना सामान बांधकर मायके चली गई।
रोशनी जी ने दरवाजा खोला तो वो अपनी मम्मी से लिपटकर रोने लगी और फिर कमरे में पैर पटकते हुए चली गई, वहां जाकर सामान रखा और भूख…भूख करते हुए स्वाति ने रसोई का रुख किया।
खाने में क्या है?? ओहह..! फिर से वो ही लौकी टमाटर की सब्जी और रोटी, आप लोग कितना बोरिंग खाना बनाते हो, उसने मोबाइल लिया और अपने लिए पिज्जा ऑर्डर कर लिया, रोशनी जी अपनी बेटी की हरकतें देख रही थी।
इन सबसे बेखबर स्वाति अपने मोबाइल में व्यस्त थी, ये सब क्या है? तू ऐसे कैसे घर पर चली आई ?
तेरी सास को बुरा लगा होगा और अभिजीत भी अभी तो ऑफिस गया हुआ है, तूने उसको भी बताया या नहीं? रोशनी जी की बातें सुनकर स्वाति ने कान में हाथ रख लिये।
मम्मी, आप बेकार में चिल्ला रहे हो? मेरा अभिजीत से झगड़ा हो गया है तो मैं उसे बताकर क्यों आती ?
वैसे भी अब मुझे उसके साथ नहीं रहना है, और तब तक पिज्जा आ गया था, वो निश्चिंत होकर पिज्जा खाने लगी।
तूने तो अभिजीत से लव मैरिज की थी और अब उसके साथ में ही नहीं रहना है? अभी शादी को तीन महीने भी नहीं हुये है, कुछ होश भी है कि क्या कह रही है? रोशनी जी आवेश में बोली तो स्वाति ने मुंह बना लिया, मुझे अभिजीत के घरवाले पसंद नहीं है, उन्हीं को लेकर रोज झगड़ा होता है, मैं एक आदर्श बहू नहीं बनना चाहती, मुझे बहू की महानता का टैग नहीं चाहिए, मैं तो स्वच्छंद जीवन जीना चाहती हूं, जिसमें मैं और अभिजीत हो, और हमारी प्यारी सी दुनिया हो।
तब तक स्वाति के पापा घर आ गये थे, वो पापा से बच्चों की तरह लिपट गई और अपने ससुराल वालों की शिकायतें करने लगी, स्वाति के पापा मोहन जी बेटी के प्यार में अंध भक्त थे, उन्हें सिर्फ अपनी बेटी की परेशानियां नजर आ रही थी, उन्हें अपनी बेटी की गलतियां दिखाई नहीं दे रही थी।
अरे!! कोई ना इकलौती बेटी हैं हमारी, ये सब कुछ तेरा ही तो है, अभिजीत के पास नहीं जाना है तो मत जा, मुझे तो वैसे भी वो दामाद के रूप में पसंद नहीं है, तूने ही शादी की जिद की थी, अहंकार मोहन जी की बातों से छलक रहा था ।
अपने पति के तेवर देखकर रोशनी जी हैरान रह गई, आप ये क्या कह रहे हैं? बिटिया का घर बसने दो, अभी तो तीन महीने भी शादी को नहीं हुये है, और आप इसका घर उजाड़ने में लगे हो, इसकी गृहस्थी की तो अभी शुरुआत है।
रोशनी जी ने काफी कोशिश की लेकिन मोहन जी और स्वाति नहीं मानें। शाम को अभिजीत घर आया पत्नी स्वाति को ना पाकर हैरान था।
उसे अपनी मां से सब बातें पता चली, वो कुछ सोचता और फोन करता, उससे पहले उसे अपनी सासू मां रोशनी जी का फोन पर लंबा मैसेज मिला, जिसे पढ़कर उसके चेहरे पर मुस्कान छा गई, उसने कार की चाबी ली और तुंरत ससुराल के लिए निकल गया।
वहां रोशनी जी ने उसका स्वागत किया, स्वाति भी गुस्सा थी, लेकिन अभिजीत को देखकर खिल गई।
सब लोग चाय पी रहे थे, अभिजीत ने कहा कि, स्वाति घर चलो, सब तुम्हारा इंतजार कर रहे है।
मैं उस घर में नहीं रहना चाहती, मैं तुम्हारे साथ अलग घर में रहना चाहती हूं, जहां तुम्हारे मम्मी -पापा का जिक्र तक ना हो, सिर्फ हम दोनों हो, और कोई भी नहीं हो, मैं चाहती हूं, तुम अपने मम्मी -पापा से सारे रिश्ते खत्म कर लों।
ठीक है, जैसा तुम कहोगी, मैं वैसा ही करूंगा, मुझे कोई दिक्कत नहीं है, मैं तुम्हारी खुशी के लिए कुछ भी कर लूंगा, हम दोनों साथ में रहेंगे, पर क्या तुम भी मेरी खुशी के लिए कुछ करोगी?
हां… हां…जरूर स्वाति चहकते हुए बोली, उसकी आंखों में अपनी जीत की अलग ही खुशी थी।
तुम भी अपने मम्मी -पापा से सब रिश्ते खत्म कर लों,
फिर हम दोनों स्वच्छंद रहेंगे, हमारी खुशहाल जिन्दगी में किसी का हस्तक्षेप नहीं होगा, ना मेरे मम्मी-पापा का और ना ही तुम्हारे मम्मी -पापा का, जीवन कितना अच्छा हो जायेगा ।
अभिजीत, ये तुम क्या कह रहे हो? स्वाति आंखें चुराते हुए बोली।
स्वाति, जिंदगी में रिश्ते ही तो सब कुछ होते हैं, मैं अपने मम्मी -पापा के साथ रहते हुए हर रिश्ता तोड़ लूं, और तुम अपने मम्मी -पापा से दूर रहते हुए भी जुड़ी रहना चाहती हो। ये तो ठीक बात नहीं है, लड़ाई तुम्हारी अपनी मम्मी से भी होती है, उनसे तो तुम रिश्ता तोड़ोगी नहीं, फिर मेरी मम्मी से झगड़ें के बाद रिश्ता क्यों तोड़ने में लगी हो ? सुलह आपसी बातचीत से भी हो सकती है।
अभिजीत ने स्वाति को आइना दिखा दिया, रोशनी जी ने दामाद को मैसेज करके जो करने को कहा था, अभिजीत ने वो ही किया, आखिरकार वो अभिजीत के साथ अपने घर चली गई, रोशनी जी ने राहत की सांस ली, बेटी का घर उजड़ने से बच गया।
धन्यवाद
लेखिका
अर्चना खण्डेलवाल
#”बिटिया का घर बसने दो