निशा! कहां हो दोनों? जल्दी बाहर आओ नकुल ने चिल्लाते हुए कहा, अरे आ रही हूं! आ रही हूं! इतना भी क्या चिल्ला रहा है? अब जवान तो रही नहीं कि तू बुलाया और मैं दौड़ते हुए आ जाऊं? नकुल की मां ममता जी बड़बड़ाती हुई अपने कमरे से आती है और फिर नकुल की पत्नी निशा भी रसोई से बाहर आकर कहती है, क्या हुआ? सब ठीक तो है ना?
नकुल: सब ठीक है, बस बात ही इतनी अच्छी है कि मारे खुशी के मैं खुद को संभाल ही नहीं पा रहा, इसलिए चिल्ला बैठा
ममता जी: ज़रा हमें भी तो बता तेरी खुशी का राज़!
नकुल: मां! आपको याद है वह रोड के बगल वाला प्लॉट, जिसको मैं कब से खरीदना चाहता था अपनी फैक्ट्री के लिए?
ममता जी: हां बिल्कुल याद है, तेरे पापा की भी बड़ी इच्छा थी उस ज़मीन को लेने की, पर उसके कागज़ात ही सही नहीं थे।
नकुल: मां, वह ज़मीन अब मैं लेने वाला हूं!
ममता जी: पर उस ज़मीन में तो काफी गड़बड़ थी ना?
नकुल: अब कोई गड़बड़ नहीं हैं, मैं काफी दिनों से हमारे वकील के साथ कोर्ट के चक्कर लगा रहा था और आज ही फोन आया कि सब ठीक हो गया है और अब मुझे वह ज़मीन पहले के मुकाबले कम दाम में भी मिल रही है, यह सब कुछ उस वकील साहब की वजह से संभव हो पाया। अब जल्दी अपनी फैक्ट्री को एक बड़े जगह पर ले जाऊंगा और पुरानी वाली जगह को अलग कामों के लिए इस्तेमाल करूंगा, इससे दोनों ओर से आमदनी होगी,
ममता जी: यह तो मेरी बहू के शुभ कदम की वजह से हुआ है। इसे आए हुए अब अभी 3 महीने ही हुए हैं और देख इतनी बड़ी खुशखबरी मिल गई, देखना तू आगे भी दिन दोगुनी और रात चौगुनी तरक्की करेगा।
निशा: मम्मी जी! मैं यह खबर अपने मायके में देकर आती हूं!
ममता जी: रुको निशा! इतनी भी जल्दी क्या है? जब फैक्ट्री का उद्घाटन होगा, तब तो सभी को नेवता जाएगा ही, फिर पहले से क्यों ढिंढोरा पीटना? देखो निशा, बुरा मत मानना तुम हर वक्त यहां की हर बात मायके में बता देती हो, हां मानती हूं वह भी तुम्हारा ही परिवार है, पर हर बात इसी तरह बाहर चली जाती है और उन्ही बाहर वालों में ज़रूरी नहीं, हर कोई हमारा शुभचिंतक हो, कई तो ऊपर से जताते हैं कि वह बहुत खुश है, पर असल में ऐसा होता नहीं और उनकी नज़र लग जाती है। बहू वह ज़माना और था, जब खुशियां बांटने से बढ़ती थी और गम बांटने से घटता था, अब तो ना खुशी ना गम बांटने चाहिए, क्योंकि हमारी खुशी लोगों से बर्दाश्त नहीं होती और गम में दिलासा देने के बहाने हमारा इस्तेमाल किया जाता है।
निशा: मम्मी जी! आज के ज़माने में ऐसी ऩजर वज़र की बातें आप मानती हो? मम्मी जी, आजकल तो लोग अपने घर की हर रोज़ की दिनचर्या को ही सोशल मीडिया पर सरेआम करके पैसे कमा रहे हैं, ज़रा सोचिए जिन्हें दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती थी, आज वह लाखों की गाड़ियों में घूम रहे हैं, अब अगर वह भी ऐसा ही सोचते तो जिंदगी भर गरीबी में ही पड़े रहते, मुझे तो इन सब पर ज़रा भी विश्वास नहीं, यह कहकर निशा वहां से चली गई और अपनी मम्मी को सीधा फोन लगा दिया और सारी बाते उनको बता दी, सारी बातें सुनने के बाद निशा की मम्मी निशा से कहती है, जब समधन जी ने तुझे किसी को बताने से मना किया था, तो तूने मुझे क्यों बताया? तुझे नहीं लगता तूने उनका अनादर किया?
निशा: ओफ ओह मम्मी! आप भी क्या मम्मी जी की भाषा बोल रही हो? मुझे तो समझ नहीं आता, आप दोनों ही पढ़ी लिखी हो, फिर भी जाहीलों जैसी बातें करती हो, अब मैं अपनी मम्मी से अपनी खुशी बाटूंगी तो क्या आप मेरी खुशियों को नज़र लगा दोगी?
निशा की मम्मी: देख बेटा! जितना मैं तुझे जानती हूं, तू यह बात अभी सबको फैलाएगी और बस यही करने को रोक रहे हैं हम! तो तू हमें जाहील कह रही है, अब तू बच्ची तो रही नहीं, तेरी मर्जी की मालिक है, पर मेरी मान, अभी इस बात का ज्यादा जिक्र न कर।
निशा: ठीक है! ठीक है! मम्मी, मैं आपसे बाद में बात करती हूं, निशा ने यह कहकर फोन रख दिया, उसने यह बात अब अलग तरीके से लोगों को पहुंचाने की ठानी, उसने नकुल से उस ज़मीन को दिखाने को कहा और उसकी फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर डाल दिया, उसे काफी बधाइयां मिलने लगी, जिससे वह फूले नहीं समा रही थी और वह मन मन में सोच रही थी, देखो यहां तो मुझे बधाइयां मिल रही है और मेरी मम्मीओ को लगता है कि दूसरे मेरी खुशी से जलकर खुशी को नज़र लगा देंगे, पता नहीं किस ज़माने में जी रहे हैं यह लोग? थोड़े ही दिन बीते नकुल एक दिन घर वापस आकर कहता है, माम मेरा सपना बिखर गया, मानो किसी की नज़र लग गई।
ममता जी: क्या हुआ बेटा?
नकुल: मां! मेरा एक बड़ा ऑर्डर डिलीवरी के लिए जा रहा था, रास्ते में उसका एक्सीडेंट हो गया और सारा माल पुल से गिरकर नहर में बह गया। नुकसान इतना बड़ा है कि अब मैं उस ज़मीन को नहीं खरीद सकता। निशा यह सब सुनकर स्तब्ध रह गई और सोचने लग गई की क्या यह सब मेरी वजह से हुआ? क्या मेरी ही नज़र लग गई मेरी खुशियों को? तो क्या सच में नज़र होती है? क्या पढ़ी-लिखी जाहिल मैं ही थी? यह सब सोचते हुए वह चुपचाप अपने कमरे में चली जाती है, ममता जी उसकी हालत को भांप लेती है और पीछे-पीछे वह भी निशा के कमरे में चली जाती है, जहां निशा उदास बैठी सुबक रही थी। ममता जी ने उसके कंधे पर जैसे ही हाथ रख निशा, वह उनको लिपटकर रोने लगती है और कहती है, मम्मी जी इन सब की ज़िम्मेदार मैं ही हूं, आपके लाख मना करने पर भी मैंने यह बात जगजाहिर किया और अब यह सब हो गया।
ममता जी मुस्कुराते हुए कहती है, पगली! जो भी होता है सब ऊपर वाले की मर्जी से ही होता है, हमें कितना मिलेगा? कब मिलेगा? यह तो वही तय करता है, इसमें तुम कहां से आ गई भला?
निशा: पर मम्मी जी! आपने ही तो कहा था की नज़र लगती है, और देखो लग भी गई!
ममता जी: देखो बहू! यह भी सही है की नज़र तो लगती है, पर यह भी सही है होनी को कोई टाल नहीं सकता, मेरे मनी करने की एक और वजह थी, कि कल जब हम जब अपनी खुशियों को जगजाहीर कर देते हैं, वह न मिलने पर वही जग के सवाल हमें और विचलित कर देते हैं, तब हमें लगता है कि काश हमने किसी को बताया ही ना होता! तुमने उस दिन एक बात कही थी, सोशल मीडिया की, पर बहु यह ज़रूरी नहीं जो हमें दिखाया जा रहा है, वह ही सही हो, हम उनकी असलियत चंद मिनट की वीडियो में नहीं जान सकते, तो उन सारी चीज़ों को बस मनोरंजन तक के लिए ही सीमित रखो और साधारण तरीके से जीवन को जियो, देखना सब कुछ सही दिशा में चलेगी।
निशा: मम्मी जी! सच में आज आपकी बातों से मैं बहुत बड़ी सीख ली और अपनी जिंदगी पूरी जिंदगी इस पर अमल करूंगी।
इस घटना के कुछ महीनो बाद निशा गर्भवती होती है, जब यह बात ममता जी को पता चली, वह काफी खुश हुई और निशा को कई सारी हिदायतें देने लगी और फिर ममता जी ने कहा बहू, अभी 3 महीने तक? इससे पहले ममता जी अपनी बात खत्म कर पाती, निशा कहती है, मम्मी जी किसी को बताने की क्या ज़रूरत? लोगों को खुद ही पता चल जाएगा? कौन सी यह बात छुप जाएगी? फिर दोनों ठहाके मारकर हंसने लगती है।
दोस्तों, इस कहानी के माध्यम से मैं यह कहना चाहती हूं कि आपके जीवन शैली आपकी निजी है, इसे सार्वजनिक करके आप अपनी ही खुशियों को नज़र लगा लेते हैं, नज़र जैसे शब्द शायद अंधविश्वास जैसा लगे, पर यह सच में होता है और जिनके साथ हुआ है वही इसे अच्छे से बिस्तर में बता सकते हैं, आपने अपनी निजी जिंदगी को सोशल मीडिया पर डाला, जहां अच्छे बुरे टिप्पणियां आपको विचलित करेगी और आपसे यह सवाल करेगी कि क्या मैं अपनी जिंदगी किसी के मर्जी के मुताबिक जिऊं? इससे आपकी मानसिक परेशानियां बढ़ेंगी, तो अपनी जिंदगी अपनी तरीके से जिए, स्वस्थ रहे और मस्त रहे।।।
धन्यवाद
रोनिता कुंडु
#जाहिल