क्या याद रखेगी वो – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

“मुझे माफ़ करना मम्मी ! मैंने गुस्से में #कठोर कदम उठा लिया । पर मुझसे हर दिन आपके और पापा की लड़ाई नहीं देखी जाती । इसीलिए ये चिट्ठी बिन बताए आपके बेड रूम में रखकर जा रही हूँ ।वैसे तो आपने मुझे जन्म दिया है, मुझे आप पर उंगली उठाने का कोई हक नहीं पर आपके हित और अपने हक के लिए ही विवश होकर मुझे उंगली उठाना पड़ रहा है । आप और पापा लड़ते हैं न तो

सच कहूँ हृदय में टीस उठती है आपलोग में जब शुरू से नहीं बनती थी तो मुझे ज़िन्दगी में क्यों लाया ? मेरा कसूर तो नहीं है न मम्मी ! पापा तो मुझे भले ही नहीं समझ पाएं पर आप तो माँ से पहले एक औरत हो न । मैं अपने किसी सहेली को देखती हूँ उनकी मम्मी उनके लंच में अच्छा खाना बनाकर जब देती हैं या फिर किसी को घुमाने ले जाती हैं या तबियत खराब में उन्हें लाड़- प्यार पुचकार आदि करती हैं न तो दिल अंदर से बहुत रोता है ।

आप तो मुझे सिर्फ पैसे देकर कैंटीन का रास्ता दिखा देती हैं।

पापा ऑफिस से आकर थके – हारे होते हैं , सबसे बड़े होने के नाते घर – परिवार की जिम्मेदारी, खर्चे इतने लदे हुए हैं कि कभी गुस्से से आपको कुछ बोल देते हैं तो सुन लिया करिए , प्लीज मम्मी ! पापा तो फिर भी बोलकर चुप हो जाते हैं । पर बात को बहस का रूप देकर जो आप उलझ जाती हैं न और फिर पुरानी बातों को लेकर जो उन्हें सुनाने लग जाती हैं तो लगता है मेरा नस फट जाएगा ।

बहुत दिनों से ये उलझन चल रही थी, बर्दाश्त जब तक कर सकते थे कर ली । अब और नहीं होगा बर्दाश्त । अगर ऐसी होती है लव मैरिज तो मुझे नफरत है लव मैरिज से । ये घर छोड़कर जा रही हूँ मुझे ढूँढने की कोशिश मत करिएगा । 

आपकी

ख्याति

ख्याति की मम्मी अनुपमा शाम को जब स्कूल से देरी के बाद पड़ोस की पार्टी में जाने के लिए तैयार होने लगी तो कंघी करते समय ख्याति का लिखा हुआ पत्र मिला । पहले तो अनुपमा का उस ओर ध्यान नहीं गया लेकिन सामान निकालने वक़्त मुड़ा हुआ कागज़ गिरा तो सबसे ऊपर रोने का दुःख भरा इमोजी बना हुआ था । खोल कर जैसे पढ़ने लगी अनुपमा आँखों से उसके अविरल आँसू बहने

लगे । अनुपमा के पति पवन अभी ऑफिस से घर के अंदर आकर हाथ,- पैर धूल ही रहे थे कि घबराते हुए हकलाए स्वर में अनुपमा ने कहा….”प..प..पवन ! हमारी बेटी ख्याति कहाँ चली गयी ? ख्याति का नाम सुनकर और अनुपमा के चेहरे पर चौंका हुआ रुआँसी भाव देखकर पहले तो पवन घबराया ।फिर पवन ने अनुपमा को कोसते हुए कहा…”तुम्हारे बहस की वजह से ही त्रस्त थी वो , अब ढूँढो उसे कहाँ चली गयी । क्या कहेंगे लोग हमें समाज मे, अपना रिश्ता नहीं सम्भल रहा न बेटी सम्भल रही है

। अब अनुपमा का दिमाग और गरम हो गया पवन की छींटाकशी वाली बातें सुनकर ।  अनुपमा ने कहा…”हर चीज की जड़ तुम हो  पवन मैं नहीं ।  हर वक़्त तुम ऑफिस से आकर रोक टोक करना शुरू कर देते हो । “तुम क्या करती हो , तुम भी तो देखो । हर बात को अपने आन से जोड़ लेती हो ।

बोलता हूँ पार्टी के पीछे इतना मत भागो जब तक ख्याति का दसवीं बोर्ड न पूरा हो जाए, घर मे तुम्हारा पैर ही नहीं टिकता है । हर दिन बोलता हूँ अपने हाथों से स्कूल का लंच तैयार करके दो पर तुन्हें देर रात तक पार्टी करनी है और फिर सुबह उठने में आलस करके स्कूल भगाते हुए ख्याति को कैंटीन के पैसे देकर भेज देती हो, कुछ बोलता हूँ तो बहस करने लग जाती हो । जिसे तुम प्यार दुलार कहती हो न , बाहर के जंक खिला के इसी उम्र में तुमने उसे और उसका स्वास्थ्य दोनो बिगाड़ दिया है । 

“बस करो पवन ! गुस्से से तमतमाते हुए अनुपमा ने कहा । मेरी अपनी भी कोई ज़िन्दगी है या सिर्फ तुम्हारे हिसाब से नाचूँ ?

खाना स्कूल के कैंटीन में भी साफ और पौष्टिक मिलता है तुम्हें बस मेरे ऊपर हावी होना है तो बस हर बात में दोषारोपण करना है ।   मैंने पहले ही बोला था अभी मुझे बच्चा नहीं चाहिए पर तुम्हारी ही ज़िद थी कि उम्र बीती जा रही है ।

“तुम्हें सिर्फ अपनी आजादी अपने आन की पड़ी है, हर बात में इतना बहस तुम क्यों कर रही हो ? तुम्हें लगता है तुम्हारी आजादी में खलल डाल रहा हूँ तो  अब से कुछ नहीं बोलूँगा पर ठीक है मैंने बच्चे के लिए जल्दी की थी पर हमारी गलती की सजा इस मासूम को क्यों दे रही हो ? तुम्हें अंदाज़ भी है जिनके बच्चे नहीं होते वो कितना तरसते हैं, तुम्हारे पास किस्मत से ये गुड़िया आयी है तुम इसको प्यार करने के बदले सिर्फ नफरत दे रही हो । क्या याद रखेगी वो ?

अब चलोगी भी कहीं बाहर निकल कर उसकी सहेली के घर चलकर पता करें या फिर भटकने के लिए छोड़ दोगी ? अनुपमा मुट्ठी भींचते हुए घर से बाहर पवन के साथ चल दी । गाड़ी में बैठते हुए उसने ख्याति की सहेली चारु, शिप्रा, अनु, रिद्धि सबको फोन करके पूछा लेकिन किसी के घर नहीं थी ख्याति । अनुपमा ने सिर पर हाथ पटक लिया । आँखें बंद कर ही रही थी कि पवन के फोन पर अंजाने नम्बर से  कॉल आया । उधर से आवाज़ आ रही थी …ख्याति तिवारी आपकी बेटी है ? हाइवे रोड पर

दुर्घटना ग्रस्त हो गयी है । उसके स्कूल कार्ड से आपका नम्बर मिला है, अस्पताल ले जा रहे हैं । पवन ने घबराते हुए अस्पताल का नाम और पता पूछा फिर गाड़ी घुमा कर वहाँ ले गया । दो घण्टे पहुँचने में लग गए ।उस आदमी को दुबारा फोन करके कमरा नम्बर पूछा और दोनो अंदर गए । अनुपमा के आँखों से भी अथाह शैलाब उमड़ने लगा तब तक स्ट्रेचर पर ख्याति दिख गयी । उसके सिर में और

हाथ पर पट्टी बंधी थी । डॉक्टर ने पूछा..”आप हैं इसके मम्मी – पापा ?  सिर हिलाते हुए दोनों ने हाँ में जवाब दिया । इतने कम उम्र की लड़की अवसाद और तनावग्रस्त है, क्या कारण है ? प्लीज इसका बहुत ख्याल रखिए आने वाले समय मे ऐसे हालात होंगे तो बहुत मुश्किल होगा । पवन और अनुपमा ने ख्याति के सिर पर हाथ रखना चाहा तो ख्याति ने मुँह घुमा लिया । नर्स ने आकर आराम करने की सलाह दी और ज्यादा बात नहीं करने कहा ।

ख्याति बिल्कुल चुप गम्भीर अनुपमा और पवन के खिलाने पर खा लेती । सुस्ती से तकिया बिस्तर में टिका कर आँखें मूँद लेती और उसके आँखों के कोर गीले होते रहते ।

कुछ दिन बाद..जब ख्याति के डिस्चार्ज होने का दिन नजदीक आ रहा था तब एक दिन अनुपमा ने आँसू पोछते हुए कहा…”मत रो बेटा ! बस अब तुम ठीक हो जाओ अच्छी तरह, जैसे खुश रहोगी वैसे ही तुम्हें खुश रखेंगे । जल्दी से ठीक होकर अपने घर चलो। 

ख्याति ने सिसकते हुए कहा…”मुझे नहीं जाना वहाँ । आपके लड़ने से मेरे सीने में दर्द सा होने लगता है । अब पवन में अपने कंधे पर ख्याति का सिर रखते हुए कहा…”समझ सकते हैं  बेटा तुम्हारी तकलीफ । तुम्हारे जन्म के समय कितने अरमान थे और आज अपने आन के वजह से तुम्हें हमने कहाँ तक पहुंचा दिया ।

अब अनुपमा ने अपने हाथों से ख्याति के आँसू पोछकर माथा चूमते हुए कहा…”मैं भी पागल हो गयी थी बेटा, इस अवस्था मे तुम्हे लाने की जिम्मेदार मैं भी हूँ । प्लीज अपने घर चलो । अब हम कभी नहीं लड़ेंगे । 

ख्याति अनुपमा के गले मिलकर बिलख कर रोने लगी और जाने के लिए तैयार हो गई ।

मौलिक, स्वरचित

अर्चना सिंह

# कठोर कदम

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