एक हाथ से ताली नहीं बजती – मीनाक्षी गुप्ता : Moral Stories in Hindi

आहाना का दिल ढोल-नगाड़ों की गूँज में भी अपनी धड़कनों को महसूस कर रहा था. यह धड़कनें ख़ुशी की नहीं, बल्कि एक गहरे डर और पश्चाताप का था. मखमली लाल लहंगे और भारी-भरकम गहनों में सजी, वह किसी कठपुतली की तरह मंडप में बैठी थी. पंडित मंत्र पढ़ रहे थे और हवन की अग्नि जल रही थी, पर उसके भीतर एक तूफ़ान सुलग रहा था. यह उसकी शादी का दिन था, पर यह शादी नहीं, एक सौदा था. एक ऐसा सौदा जिसमें उसने अपने प्यार और ज़मीर को बेचकर, एक बेगुनाह की ज़िंदगी को दाँव पर लगा दिया था.

आहाना का मन दो साल पीछे चला गया. वह कॉलेज के दिनों में खो गई, जहाँ उसकी मुलाक़ात राहुल से हुई थी. राहुल एक मध्यमवर्गीय परिवार का लड़का था. उसकी सादगी और उसकी आँखों में आहाना के लिए जो सच्चा प्यार था, उसने आहाना को पूरी तरह से जीत लिया था. वे घंटों तक एक साथ बैठे रहते, अपने सपनों की दुनिया बनाते. राहुल एक छोटा सा कैफ़े खोलना चाहता था और आहाना एक स्कूल में पढ़ाना चाहती थी. उन्हें लगता था कि उनका प्यार ही उनकी सबसे बड़ी दौलत है.

पर आहाना के माता-पिता की सोच अलग थी. उनके लिए धन-दौलत, मान-सम्मान और समाज में उनकी इज़्ज़त सबसे बढ़कर थी. जब उन्हें राहुल और आहाना के रिश्ते का पता चला, तो उन्होंने इसका कड़ा विरोध किया. “प्यार से घर नहीं चलता,” उसके पिता ने सख़्ती से कहा. “हमने तुम्हारे लिए इससे भी बेहतर रिश्ता ढूँढ़ा है.” वह बेहतर रिश्ता था कबीर. एक बड़े उद्योगपति का इकलौता वारिस. पढ़ा-लिखा, सभ्य और धन-दौलत का मालिक. आहाना के माता-पिता के लिए यह एक सुनहरा मौक़ा था. उन्होंने आहाना को इमोशनल ब्लैकमेल करके इस शादी के लिए हाँ करने पर मजबूर कर दिया.

आहाना ने ख़ुद को फँसा हुआ महसूस किया. वह अपने माता-पिता के प्यार और राहुल के प्यार के बीच उलझ गई थी. उसने हार मान ली, पर राहुल ने हार नहीं मानी. उसने आहाना को एक ऐसी योजना के बारे में बताया, जो उन्हें एक नई ज़िंदगी दे सकती थी. “तुम कबीर से शादी कर लो. कुछ दिन बाद उस पर झूठा दहेज का केस कर देना और तलाक़ ले लेना. तलाक़ के बाद जो पैसा मिलेगा, उससे हम दोनों कहीं दूर जाकर अपनी ज़िंदगी शुरू करेंगे.”

यह बात सुनकर आहाना काँप उठी थी. क्या यह सही था? एक बेक़सूर इंसान को धोखा देना? पर राहुल का प्यार और एक बेहतर भविष्य की लालसा ने उसकी ज़मीर को दबा दिया. उसने हाँ कर दी.

मंडप में बैठी, कबीर के साथ फेरे लेते हुए, आहाना को यह सब याद आ रहा था. कबीर की आँखों में उसके लिए जो सम्मान और प्यार था, वह आहाना को और भी ज़्यादा परेशान कर रहा था. कबीर ने उसका हाथ थामा तो वह चौंक गई. उसके हाथों की गर्माहट में एक अजीब सी मासूमियत थी. कबीर ने उसे देखकर मुस्कुराते हुए कहा, “डरो मत. मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ.” उसकी यह बात आहाना के दिल में एक गहरा दर्द दे गई.

शादी हो गई और आहाना एक नए घर में आ गई. यह घर नहीं, एक आलीशान हवेली थी. कबीर ने आहाना को हर तरह से ख़ुश रखने की कोशिश की. वह उसे कभी कुछ नहीं कहता. आहाना को लगा कि वह एक बहुत अच्छे इंसान के साथ एक बहुत बड़ा धोखा कर रही थी. जैसे-जैसे दिन बीतते गए, कबीर की ईमानदारी और उसका सच्चा व्यवहार आहाना को और भी ज़्यादा बेचैन कर रहा था. रात को वह सो नहीं पाती थी, क्योंकि उसे लगता था कि वह एक बहुत बड़ा पाप कर रही है. पर राहुल लगातार उसे फ़ोन पर याद दिलाता रहता कि उन्हें जल्द ही अपनी योजना पर काम शुरू करना है. आहाना ने धीरे-धीरे कुछ झूठे सबूत बनाए: कुछ मैसेज जिसमें उसने लिखा कि कबीर उसे परेशान कर रहा है, और कुछ कॉल रिकॉर्डिंग, जिसमें उसने अपनी माँ से रोते हुए झूठ कहा कि कबीर के परिवार वाले उसे दहेज के लिए तंग कर रहे हैं.

एक दिन, जब कबीर एक ज़रूरी मीटिंग में बाहर गया हुआ था, आहाना ने अपनी योजना को अंजाम दिया. उसने अपने कपड़ों को फाड़ा, अपने शरीर पर कुछ चोट के निशान बना लिए और पुलिस को फ़ोन किया. उसने कबीर और उसके परिवार पर दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा का झूठा आरोप लगाया. पुलिस आई और आहाना के झूठे बयान के आधार पर कबीर को गिरफ़्तार कर लिया गया.

यह ख़बर शहर में आग की तरह फैल गई. मीडिया ने आहाना को पीड़ित महिला के रूप में पेश किया और कबीर के समृद्ध परिवार को खलनायक की तरह दिखाया. कबीर की सालों से कमाई गई इज्ज़त मिट्टी में मिल गई. कबीर के पिता इस सदमे को बर्दाश्त नहीं कर पाए. उन्होंने हार मान ली थी, पर एक आख़िरी उम्मीद बची थी, अधिवक्ता शर्मा. वह एक ऐसे वकील थे, जिन्होंने अपने जीवन में कभी कोई केस नहीं हारा था और सिर्फ़ सच के लिए लड़ते थे.

अधिवक्ता शर्मा ने कबीर से मुलाक़ात की और उसकी आँखों में सच्चाई को भांप लिया. उन्होंने केस लड़ने का फ़ैसला किया. उन्होंने आहाना के बयान और सबूतों की जाँच शुरू की. उन्हें आहाना की कहानी में बहुत कमियाँ नज़र आईं. उन्होंने आहाना के फ़ोन और बैंक रिकॉर्ड की जाँच की. उन्हें आहाना और राहुल के बीच हुई बातचीत के मैसेज और राहुल के खाते में आहाना द्वारा भेजे गए पैसों का पता चला. यह सब देखकर अधिवक्ता शर्मा के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई.

कोर्ट में सुनवाई का दिन आ गया. आहाना को पूरा विश्वास था कि वह केस जीत जाएगी. पर जैसे ही अधिवक्ता शर्मा ने अपनी दलीलें पेश करना शुरू किया, आहाना के पैर काँप उठे. अधिवक्ता शर्मा ने कोर्ट में राहुल और आहाना के बीच हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग पेश की, जिसमें वे दोनों पैसे और झूठे केस के बारे में बात कर रहे थे. उन्होंने राहुल और आहाना के बैंक खातों के लेन-देन के दस्तावेज़ भी पेश किए. उन्होंने उस डॉक्टर को भी गवाह के रूप में बुलाया, जिसने आहाना की मेडिकल जाँच की थी. डॉक्टर ने कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश की और बताया कि आहाना के शरीर पर जो चोटें दिखाई गई थीं, वे किसी हमले के कारण नहीं लगी थीं. मेडिकल जाँच से यह साफ़ हुआ कि इन निशानों को जान-बूझकर बनाया गया था, ताकि वे घरेलू हिंसा के सबूत लगें.

सारे सबूतों और गवाहों के सामने आहाना की सारी योजना विफल हो गई. कोर्ट में सबके सामने उसका झूठ बेनक़ाब हो गया. जब राहुल ने देखा कि आहाना का प्लान असफल हो गया है, तो वह डर गया और उसे अकेला छोड़कर वहाँ से भाग गया. आहाना को अपनी गलती का एहसास हुआ, पर अब बहुत देर हो चुकी थी. कबीर निर्दोष साबित हुआ और आहाना को झूठा आरोप लगाने के जुर्म में सज़ा हो गई.

इस घटना के बाद, आहाना के माता-पिता को भी अपनी गलती का एहसास हुआ. वे अपनी बेटी के किए पर बहुत शर्मिंदा थे. कबीर और उसके परिवार को इस धोखे से बहुत गहरा सदमा पहुँचा था. कबीर के माता-पिता को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि एक इंसान इतना बड़ा झूठ बोल सकता है, पर उन्हें यह देखकर राहत मिली कि न्याय मिल गया है. इस घटना ने साबित कर दिया कि एक हाथ से ताली नहीं बजती. आहाना का लालच, राहुल का धोखा और उसके माता-पिता के दबाव ने मिलकर एक निर्दोष इंसान की ज़िंदगी बर्बाद करने की कोशिश की थी, पर अंत में सच की ही जीत हुई.

यह कहानी हमें सिखाती है कि किसी भी अन्याय के लिए सिर्फ़ एक व्यक्ति ज़िम्मेदार नहीं होता, बल्कि वो कई लोगों की सोच और लालच का नतीजा होता है. जब सच सामने आता है, तो पता चलता है कि ताली सिर्फ़ एक हाथ से नहीं बजती.

रंग मोहब्बत का जो उसने चढ़ाया था,

झूठ के धागों से खुद ही उलझाया था।

ताली एक हाथ से बजने चली थी,

जब सच सामने आया, तो कोई न साथ आया था।

समाप्त 

प्रतियोगिता के लिए कहानी – विषय– एक हाथ से ताली नहीं बजती

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मीनाक्षी गुप्ता 

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