अपनी अपनी सीमा –  लतिका पल्लवी :  Moral Stories in Hindi

माँ आज आप घूमने नहीं गईं?’ सुबह सात बजे जब  अनिकेत उठा और अपनी माँ को घर मे देखा तो उसे आश्चर्य हुआ और उसने यह बात अपनी माँ से पूछा, क्योंकि वह जब भी उठता तो देखता माँ घर मे नहीं है । पूछने पर अमृता कहती की माँ मॉर्निंग वॉक पर गईं है। पहले दिन उसे यह बात अच्छी नहीं लगी थी क्योंकि उसे शुरू से आदत थी कि वह जब भी ऑफिस जाता तो माँ को प्रणाम करता फिर माँ उसे गाड़ी तक छोड़ने जाती, पर जब अमृता नें समझाया कि माँ की उम्र हो चली है अब

उनके लिए अपनी सेहत का भी ध्यान रखना जरूरी है। सुबह सुबह टहलने जाएंगी तो उनका स्वास्थ्य ठीक रहेगा तो वह ख़ुश हो गया और सोचा चलो माँ को भी अपने बारे मे सोचना चाहिए, पर वह चाहता था कि माँ उसके उठकर आने के बाद जाती। एकदिन वह सुबह छह बजे जैसे उठा अपने कमरे से बाहर आ गया ताकि माँ से मिल सके पर माँ टहलने जा चुकी थी।वैसे वह सुबह नहा धोकर फ्रेश होकर सीधे अपने कमरा से निकलता था। आज पुरे आठ दिन बाद वह अपनी माँ से मिल रहा था

क्योंकि वह जब रात मे ऑफिस से घर आता है तब तक माँ सो गईं रहती है।पहले एक दो दिन अमृता नें कहा कि माँ खा पीकर सो गईं है तो उसे विश्वास ही नहीं हुआ क्योंकि माँ बिना उसे खिलाए खाती ही नहीं है। फिर वही उम्र की ही बात आ गईं। अमृता नें कहा माँ के लिए रात मे बहुत देर से खाना सही नहीं है।इस उम्र मे पाचनतंत्र उतना सही नहीं रहता है तो थोड़ा जल्दी खा लेना ही उनके लिए सही है

वह माँ के कमरे मे जब भी जाता है तो माँ को सोते पाता है।उसे बहुत आश्चर्य होता। आज से छह महीना पहले माँ घर के सारे काम कर लेती थी और अब एकाएक बहू के आते ही इतनी बूढ़ी हो गईं कि रात आठ बजे तक जगकर उसका खाना पर इंतजार भी नहीं कर सकती।वह आज माँ को देखकर बहुत खुश होता है और कहता है आज आपनें बहुत अच्छा किया जो घूमने नहीं गई। मुझे आपसे बहुत ही जरूरी काम था। तब तक अमृता भी आ गईं और आकर कहा इतना क्या जरूरी

काम है जो माँ को घूमने नहीं जाने दे रहे हो? माँ आप घूमने जाइए बात तो रात मे भी हो जाएगी। हाँ बेटा,बहू सही कह रही है मै घूम कर आती हूँ,रात को मिलते है, माँ नें दुखी मन से कहा। नहीं, आपको आज जाने की कोई जरूरत नहीं है। एक दिन नहीं घूमने से कुछ नहीं होगा।मुझे आपसे जरूरी काम है। आप बैठीए। फिर उसने अमृता से कहा अमृता अलमीरा मे एक फाइल रखा है उसे जाकर ले

आओ। मै तब तक जल्दी से नाश्ता कर लेता हूँ। माँ को चाय पकड़ाते हुए बोला लो माँ जब तक अमृता आती है तब तक आप चाय पीओ।अमृता फाइल लेकर आई तो अनिकेत नें उसे लेकर उसमे से एक कागज निकाला और माँ को कलम के साथ देते हुए कहा – माँ आप इसमें साइन कर दीजिए। माँ के कुछ बोलने के पहले ही अमृता नें पूछा यह कैसा कागज है। माँ नें भी पूछती आँखो से उसकी ओर देखा। माँ मैनें आपसे कहा नहीं था कि मै एक फ्लैट खरीदने वाला हूँ? यह उसी फ्लैट का कागज

है। अब हम इस किराये के मकान को छोड़कर उसमे चले जाएंगे। बस अब कुछ दिनों की बात है।आप साइन कर दीजिए फिर एक दिन आपको कोर्ट मे भी जाना होगा। पूरी कार्यवाई होते होते दस बारह दिन लग ही जाएगा। उसके बाद हम दशहरा के दिन वहाँ शिफ्ट हो जाएंगे। अमृता नें पूछा

इसमें माँ के साइन की क्या जरूरत है?फ्लैट माँ के नाम पर है तो माँ का साइन ही लगेगा।माँ के नाम पर क्यों? क्यों, क्या पूछ रही हो? माँ के नाम पर घर नहीं खरीदूंगा तो किसके नाम पर खरीदूंगा? वह मेरी माँ है यह कारण काफ़ी नहीं है घर उनके नाम खरीदने का? अमृता मुँह बनाते हुए यह कहकर चली गईं कि मुझे ऑफिस के लिए देर हो रही है,मै जा रही हूँ, तुम माँ बेटे का हो जाए तो तुम भी ऑफिस चले जाना। अमृता के जाते ही माँ नें कहा बेटा बहू सही ही तो कह रही है,घर मेरे नाम पर

खरीदने की क्या जरूरत है? तुम घर बहू के नाम पर खरीद लो। यही सही होगा। माँ जरूरत है तभी तो खरीद रहा हूँ। मानता हूँ कि अमृता के प्रति भी मेरी जिम्मेदारी है, पर उसके आ जाने से तुम्हारी जिम्मेदारी से तो आजाद नहीं हो सकता हूँ। आप अमृता को स्पेस दो पर अपने को अलग थलग करके नहीं। आप क्या समझती हो कि आप मुझसे दुरी बनाओगी और मुझे पता नहीं चलेगा?मेरे साथ ऐसा क्यों कर रही हो? बेटा इसी मे घर की सुख शांति है। तुम क्या जानो, तुम्हे आठ दिन से  नहीं देखी हूँ तो

मै कैसे अपने आँसू पीकर जी रही हूँ। आज जब बर्दास्त नहीं हुआ तो सोचा तुम्हे एक नजर देख लुंगी फिर बाहर चली जाउंगी पर तब तक तुमने मुझे देख लिया यह कह कर वह रोने लगी। इसीलिए घर आपके नाम पर जरूरी है। अब आपकी बहू आपसे यह नहीं कह पाएगी कि अपने बेटे और मेरे बीच से दूर रहो नहीं तो बृद्धआश्रम जाने को तैयार हो जाओ। तुम ऐसा क्यों कह रहे हो बेटा? माँ मुझे सब

पता है। शक तो हो ही रहा था कि कुछ ना कुछ बात है, वरना आप मुझे बिना खिलाए खा ही नहीं सकती हो। एक दिन कभी ऐसा हो तो समझ भी आए पर प्रतिदिन ऐसा नहीं हो सकता है।मै अभी

सोच ही रहा था कि किसी दिन सुबह उठकर आपसे पूछूंगा तभी एकदिन मैंने अमृता को अपनी माँ से फोन पर बात करते हुए सुना कि बुढ़िया को ऐसा बोली हूँ कि अब अपने बेटे के आस पास नजर भी नहीं आती है और माँ के पूछने पर उसने सारी बाते बताई। तब मै समझ गया कि आप मुझसे दूर क्यों रह रही हो। मै समझ गया कि आपने मुझे कोई तरह की टेंशन नहीं हो यह सोचकर अपने आँसू पीकर मुझसे दूर हो गईं। घर मे शांति जरूरी है पर माँ को दुखी करने की क़ीमत पर नहीं।सबका अपना अपना महत्व और सीमा है।आपके साथ अमृता को भी अपनी सीमा समझनी होगी

मुहावरा —   आँसू पीकर रह जाना

 लतिका पल्लवी 

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