मिताली….. तू आधे घंटे में बहू को लेकर मेरे घर आ सकती है क्या…..?? सूची ने फोन करते ही मिताली से पूछा ….!
पर बात क्या है…?? सब ठीक तो है ना…. मिताली ने भी प्रश्न के ऊपर प्रश्न ही कर डाला…. !
हां यार , सब ठीक है… वो अचानक प्रोग्राम बन गया कि… पूजा (कथा ) सुन लेते हैं…… तो कुछ ज्यादा नहीं बस मोहल्ले के लोग ही होंगे …. और एक दो खास…..!
तो तू भी अपनी बहू तान्या को लेकर आ जाना …..और हां थोड़ा जल्दी आना पंडित जी ने आधे घंटे का ही समय दिया है…..।
वो तो ठीक है सूची …. पर मैं आधे घंटे में कैसे आ सकती हूं….. मिताली ने कुछ कहना चाहा…. उससे पहले ही सूची ने उसकी बात काटकर कह दिया…. देख यार …कोई बहाना नहीं चलेगा ….बस तुम दोनों सास बहू मेरे घर आ जाओ….।
अरे एक मिनट मेरी बात तो सुन…. बहाना…. वहाना नहीं बना रही हूं…. मेरी समस्या ही कुछ और है सूची….
तू आधे घंटे में बुलाई है और मेरी बहू तान्या को तैयार होने में ही घंटे भर से ऊपर लगता है ….
कितनी भी जल्दी बोलो….. घंटे भर से पहले वो तैयार ही नहीं हो पाती …..हम लोग हर बार ….हर जगह देर से ही पहुंचते हैं….।
फिर भी मैं आज जल्दी पहुंचने की कोशिश करती हूं….!
देख मिताली…. तेरी बहू वैसे भी सुंदर है…. उसे ज्यादा सजने सँवरने की जरूरत नहीं है….. उसको बोलना आज जल्दी मैनेज कर लेगी….. ठीक है मैं फोन रखती हूं….. बहुत सारे काम पड़े हैं…..।
सूची के फोन रखते ही मिताली ने तान्या से कहा…… बहू जल्दी से तैयार हो जाओ….. सूची के घर जाना है …
तान्या ने थोड़े अनमने ढंग से अपनी बात रखनी चाही….. ये अचानक कोई कैसे जा सकता है मम्मी जी ……और वो भी जल्दी फल्दी में … .कोई घर में तैयार होकर बैठे थोड़ी ना रहते हैं कि मुँह उठाएं और चल दिए ….।
अरे नहीं तान्या….. वो ….उसका प्रोग्राम ही अचानक बना है बेटा…..बहुत कम …खास खास लोगों को ही बुलाया है…. हमें खास जो समझती है …..मुस्कराते हुए मिताली ने सूची की तरफदारी करते हुए कहा….।
ठीक है तान्या… तुम तैयार हो जाओ…. मिताली भी तैयार होने अपने कमरे में चली गई……!
कुछ देर बाद मिताली तैयार होकर बैठी रही ….तान्या तैयार हो जाए….. फिर जाने को निकलें.. ! जब काफी देर तक तान्या कमरे से नहीं निकली तो मिताली ने बाहर से ही कहा….
बेटा थोड़ी जल्दी करना…. पूजा खत्म हो जाएगी फिर जाकर क्या करेंगे….. अंदर से कोई उत्तर ना सुन मिताली थोड़ा और इंतजार करने लगी….!
कुछ देर बाद मिताली ने तान्या के कमरे में जाकर देखा ……तो तान्या सारे आर्टिफिशियल ज्वेलरी के सेट ….पलंग पर बिखरा कर…साड़ी में लगा लगा कर …. मैचिंग कर…. देख रही थी कि…कौन सा ज्यादा सुंदर लगेगा….।
बेटा… आज कोई भी पहन लो चलेगा …मिताली ने जल्दी तैयार होने की चाहत में कहा…..
क्या मम्मी जी …..चलेगा…. आप लोगों का चलता होगा….. मेरा ऐसे नहीं चलता है…..
” परफेक्शन नाम की भी कोई चीज होती है ”
थोड़े कड़क लहजे में तान्या ने सासु मां को सुना दिया…
काफी देर से मिताली सब्र कर रही थी …..और ये कोई पहली बार नहीं था ……हमेशा तान्या को तैयार होने में घंटों लगते हैं ……कोई भी फैमिली प्रोग्राम हो…. या कहीं बाहर जाना है तो तान्या को पहले से ही बता दिया जाता था …..फिर भी आदतन तान्या की वजह से ही देर हो जाती थी… ।
तान्या के जवाब से मिताली के सब्र का बांध टूट गया …. आज मिताली ने स्पष्ट शब्दों में कहा …..
तान्या इसमें कोई संदेह नहीं कि तुम…..
मेकअप बहुत खूबसूरती से करती हो …. .और ये भी एक कला है…..
पर बेटा …..समय का भी ध्यान रखना बहुत जरूरी है….. कभी-कभी…. किसी किसी…..परिस्थितियों में अपनी उपस्थिति ……ज्यादा मूल्य रखता है…. आपके खूबसूरत मेकअप की अपेक्षा….. हर चीज की श्रेष्ठता समय की मांग पर निर्भर होता है….।
कभी-कभी ना बेटा ….छोटे-मोटे कार्यक्रमों में थोड़ा हल्का मेकअप भी चलेगा…. समय तो बचेगा ही ….नियत समय पर पहुंचकर हमारी सक्रियता का आभास भी सामने वाले को होगा…।
और रही बात …..परफेक्शन की…. तो समय का ध्यान रखना… नियत समय पर खूबसूरती से मेकअप का तालमेल कर…. पूर्ण संतुष्टि के साथ पहुंचना ही परफेक्शन है….!
जब कार्यक्रम खत्म ही हो जाए… फिर कितने भी तैयार होकर जाओ ….मजा किरकिरा हो जाता है…… और समय-समय पर शब्दों के अर्थ और मायने भी बदल जाते हैं बेटा….।
क्या है ना बेटा…आज के बाद से जहां तक संभव हो यदि हम दोनों का जाना एक साथ जरूरी ना हो तो …मैं कोशिश करूंगी मैं समय पर पहुंच जाऊं …तुम लोग अपने समय से आना… आज मिताली ने अपने विचार व्यक्त कर एक कठोर कदम उठाने की चेतावनी दे डाली..!
मिताली की बातों से थोड़ी अपसेट तो हो ही गई थी तान्या …..उसे मम्मी जी यथार्थ का आईना इस तरह दिखा देंगी….. आभास बिल्कुल नहीं था …..वो जवाब में ज्यादा कुछ बोल नहीं पाई ……क्योंकि शुरू से ही घर में देर से तैयार होने के लिए मशहूर जो थी तान्या…।
पूजा समाप्त हो गई थी …. गनीमत है…. आरती हो रही थी …..वैसे भी कई लोग वहां …कटाक्ष कर ही चुके थे… बड़ी जल्दी आ गए आप लोग ….मिताली मुस्कुरा देती ….पर तान्या को ये बातें चुभ रही थी…. उसे लोगों से हमेशा अपनी तारीफ सुनने की आदत जो थी….।
और हमेशा की तरह आज भी देर तान्या की वजह से ही हुई थी….
आज तान्या का अपना ही मेकअप खुद पर भारी लग रहा था ….पहली बार आभास हुआ ….. समय के दायरे में रहकर ही सजना सँवरना असली कला है …. और तान्या ने प्रतिज्ञा की… अपने देर से तैयार होने और विलंब से पहुंचने के लिए विख्यात ….अपने इस टैग को समाप्त करके ही रहेगी….. !
साथियों…. कभी-कभी हमारी उपस्थिति ही बहुमूल्य होता है… ना कि हमारी सुंदरता और समृद्धि ….हमें समय को ध्यान में रखकर ही योजना बनानी चाहिए….. ताकि कहीं हमारी इतनी मेहनत ही हमारे उपहास का कारण ना बन जाए….।
मेरे विचार पर आपके प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा…..!
(स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित अप्रकाशित रचना)
साप्ताहिक विषय: # कठोर कदम
संध्या त्रिपाठी