आंसू पीकर रह जाना – खुशी : Moral Stories in Hindi

नलिनी एक अध्यापिका थीं उसके दो बच्चे थे।अदिति और आदित्य ।उसके पति निरजन गुस्सैल स्वभाव के थे।उन्हें हर चीज जगह पर बच्चों की हर बात पूरी होनी चाहिए।यदि नलिनी किसी काम में लगी हो और वो बच्चों की आवाज पर हाजिर ना हो तो उसकी रिमांड लग जाती।बाहर निरंजन दिखाता की मैं अपनी पत्नी को कितना प्यार करता हूं।पर अकेले में उस पर चीखना चिल्लाना बच्चे भी मां की इज्जत नहीं करते थे क्योंकि वो अपने पिता को देखते थे मां की इज्जत उतारते हुए।नलिनी खून

के आंसू पी कर रह जाती।स्कूल में नलिनी की सहेली निशा उसे समझाती नलिनी अपनी इज्जत खुद करना सीख नहीं तो हालात और बत्तर हो जाएंगे।नलिनी भी चाहती थीं पर क्या करे। एक दिन विद्यालय में दो बच्चों की लड़ाई हो गई और वो दोनों ही नलिनी की कक्षा के थे। प्रिंसिपल ने  नलिनी और बच्चों को बुलाया कैमरा दिखाया गया।गलती बच्चों की थी ये साफ था परन्तु प्रिंसिपल ने नलिनी को भी चार बाते सुनाई। फिर बच्चों के माता पिता भी बोलने लगे। क्लास में टीचर क्या कर रही थी।

उस दिन नलिनी को अंदर से ये अहसास हुआ कि अपने लिए कदम उठाना पड़ेगा। उसने कैमरे की रिकॉर्डिंग दिखाने के लिए कहा जिसमें साफ नजर आ रहा था कि गलती बच्चों की है ।उसने खुप सुनाया कि आप टीचर्स पर हर बात का दोष मढ़ देते है।माता पिता को अपने बच्चों की गलती समझ आई।उन्होंने माफी मांगी और प्रिंसिपल सर ने भी बात घुमा दी।निशा बोली जैसे आज मुंह यहां खोला है ना ऐसे ही घर में भी बोलो अपनी इज्जत करवाओ।नलिनी में आज थोड़ा साहस आ गया घर पहुंची

तो बेटा चिल्लाने क्या बना कर गई थी घटिया सा खाना मै नहीं खा रहा।नलिनी ने पर्स रखा और बेटे के पास आई और खींच के एक थप्पड़ लगाया।जो बनाया है वो खाओ नहीं तो खुद बनाओ मै इंसान हूँ मशीन नहीं मा से बात करने की तमीज सीखो।चुप चाप सुबोध खाना खाने लगा।उसको देखकर छोटा विवेक भी चुप चाप खाने बैठ गया।फिर दोनो भाइयों से नलिनी ने उनका सारा सामान जगह पर रखवाया और पढ़ने बिठा दिया।शाम को जब निरंजन घर आया तो सुबोध ने उसे शिकायत लगाई कि

मां ने मुझे आज मारा।निरंजन ने नलिनी को बुलाया आज तुमने सुबोध पर हाथ क्यों उठाया।नलिनी बोली तुम मेरा अपमान करते हो बच्चे भी वही करते हैं क्या मेरा कोई स्वाभिमान नहीं है।ऐसा है मेरे विद्यालय वालों ने मेरा तबादला दूसरी ब्रांच में कर दिया है मुझे वही रहना पड़ेगा तो आप देख लीजिए।निरंजन बोला छोड़ दो नौकरी हमे जरूरत नहीं।नलिनी बोली ठीक है पर घर और गाड़ी की EMI वो

कैसे भरी जाएगी उसका लोन तो मैने लिया है।निरंजन को लगा कि ये नौकरी छोड़ेगी तो नुक़सान मेरा है दूसरी ब्रांच जाएगी तो भी ।निरंजन थोड़ी मिठास लाते हुए बोला कि देख लो यही रह कर काम नहीं हो सकता।नलिनी बोली मैं तंग आ गई हूं रोज रोज के अपमान से और डाट से मुझे चले जाना चाहिए।निरंजन बोला नहीं तुम कही नहीं जाओगी प्लीज़ अपने स्कूल में बात करो मैं वादा करता हूं कोई

तुम्हारा अपमान नहीं करेगा मै खुद भी और बच्चे भी उसने बच्चों को भी लताड़ा।नलिनी बोली अभी 15 दिन है मै देखती हूं कुछ होता है क्या? उस दिन के बाद से सब लाइन पर आ गए निरंजन और बच्चे घर में मदद करने लगे।उनका व्यवहार बदल गया।नलिनी स्कूल में निशा से बोली तेरी तरकीब काम आई ऊंट पहाड़ के नीचे आ गया है वरना मैं यूहीं घुटती और अपमान सहन करती रहती ।सखी तेरा धन्यवाद।और दोनों हस पड़ी।

स्वरचित कहानी 

आपकी सखी 

खुशी

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