“ईर्ष्या “ एक समय की बात है,एक छोटा सा गाँव था जहाँ हरे-भरे खेत और बहती नदी थी ,वहाँ दो दोस्त रहते थे -राहुल और अमन दोनों बचपन से ही गहरे दोस्त थे और उनका रिश्ता बहुत मजबूत था । राहुल स्वभाव से बहुत मेहनती और सीधा साधा था ,जबकि अमन चतुर चालाक और महत्त्व कांशी था । समय के साथ राहुल ने अपना खूब नाम कमाया और गाँव में अपनी मेहनत और लगन से एक दुकान खोल ली जिसे वह अच्छी तरह से चलाने लगा ,उसे अच्छा मुनाफा होने लगा वह ग्राहकों से बड़ी
नम्रता और अच्छे ढंग से पेश आता और ईमानदारी से व्यापार करता था उसकी प्रसिद्धि आस -पास के गाँव में भी फैलने लगी । अमन जिसने कभी राहुल को अपना सबसे अच्छा दोस्त माना था राहुल की सफलता से मन ही मन ईर्ष्या करने लगा उसे यह देखकर जलन होती की राहुल कैसे आगे बढ़ रहा है,जबकि वह अभी भी संघर्ष कर रहा है ।अमन के मन में यह विचार आने लगे कि राहुल को यह सब आसानी से मिल गया है और वह इसके लायक ही नहीं है । यह ईर्ष्या अमन के मन में गहरी जड़
जमाने लगी ,उसने राहुल की दुकान के पास अपनी दुकान खोलने का फैसला किया ,यह सोचकर कि राहुल के ग्राहकों को अपनी और खींच लेगा ।उसने राहुल की नकल करने की कोशिश की लेकिन वो नाकाम रहा क्योंकि उसकी नियत साफ़ नहीं थी ।वह ग्राहकों से मीठी -मीठी बातें तो करता ,लेकिन अंदर से उसकी ईर्ष्या उसे चैन नहीं लेने देती ।कुछ समय बाद अमन ने राहुल को नुक़सान पहुँचाने के
लिए तरह -तरह के हथकंडे अपनाने शुरू कर दिए ।उसने राहुल के बारे में झूठी अफवाह फैलाई और उसे नीचा दिखाना शुरू कर दिया उसके ग्राहकों को गुमराह करने लगा ।राहुल को अमन के बदले हुए व्यवहार से बहुत दुख हुआ ,लेकिन उसने अमन के खिलाफ कभी कुछ नहीं कहा ।वह अपनी मेहनत और ईमानदारी पर अडिग रहा । एक दिन गांव में मेला लगा राहुल और अमन दोनों ने
ही अपनी-अपनी दुकान लगाई ,अमन ने सोचा कि यह अच्छा मौका है राहुल को नीचा दिखाने का ।उसने राहुल के सामान की बुराई करनी शुरू कर दी , तभी एक बुजुर्ग ग्राहक जो हमेशा सामान खरीदते थे उन्होंने अमन को टोक दिया ।बुजुर्ग ने कहा “बेटा ईर्ष्या एक ऐसी आग है जो सबसे पहले उसी को जलाती है जिसके अंदर वह होती है ।राहुल अपनी मेहनत और ईमानदारी से आगे बड़ा है
,उसकी सफलता उसकी निष्ठा पर ही कायम है तुम अपने काम पर ध्यान दो और किसी से ईर्ष्या की भावना मत रखो बस मेहनत करो ,तभी तुम्हें सच्ची खुशी और सफलता मिलेगी ।” बुजुर्ग की बाते अमन के दिल में उतर गई ,उसे अपनी गलती का अहसास हुआ उसने देखा कि राहुल के चेहरे पर अब भी वही शांति और संतोष का भाव था ,जो उसने अपनी ईर्ष्या की वजह से उसने खो दिया था ।
अमन को अब यह एहसास हुआ कि अपनी ईर्ष्या ने उसे अंदर से उसे खोखला कर दिया था और उसे ख़ुशी नहीं बल्कि दुख ही दिया था ।अमन ने राहुल से अपने किए की माफ़ी माँगी ,राहुल ने बिना हिचकिचाहट के उसे माफ कर दिया और गले लगा लिया ।दोनों दोस्त फिर से करीब आ गए , इस बार अमन ने ईर्ष्या की जगह मेहनत और सकारात्मकता को चुना । “ईर्ष्या हमें कभी ख़ुशी नहीं दे सकती ,यह केवल अंदर से जलाती है और रिश्तों को ख़राब करती है “।। शीतल भार्गव छबड़ा जिला बारां राजस्थान