Moral Stories in Hindi
रति एक बड़े घर की बहु थी।घर में ससुर गिरधारी लाल जी जिनकी सराफा में सुनार की दुकान थी। सास राधा जी जो मंदिर और कीर्तन मंडली में व्यस्त रहती तो घर की जिम्मेदारी उसी पर थी घर में उसके पति अमित और देवर सुमित थे एक ननद शिखा थी जिसकी शादी हो चुकी थी वो बैंगलोर में अपने पति विनीत और सासू मां निकिता जी के साथ रहतीं थीं।अमित पिता का बिजनेस संभालता था
और सुमित एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता था।जहां पूरा घर सिर्फ रति रति करता तो रति को लगता मै ही सर्वेस्वाहा हूँ। रति दिल की अच्छी थी पर अपनी तारीफे सुन कर वो खुद को ही सुपीरियर समझने लगी।एक दिन इतवार का दिन था सब घर पर ही थे आज रति ने कुक से सब की पसंद का
खाना बनवाया था पर खीर उसने खुद ही बनाई ।सासू जी बोली अब सुमित सेटल हो गया है इसकी भी शादी कर हम अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाते है।रति बोली मम्मी जी आप सुमित की चिंता छोड़ दो इसके लिए मैं अपनी पसंद की देवरानी लाऊंगी मेरे चाचाजी की बेटी रागिनी कैसी है? सुमित हाथ धोने अंदर गया था वो आया तो अमित ने पूछा क्यों भाई तुझे रागिनी कैसी लगती है तू कहे तो तेरे
रिश्ते की बात चलाए।रति बोली भैया को मेरी पसंद पर कोई एतराज नहीं होगा।सुमित बोला सॉरी भाभी रागिनी अच्छी लड़की है पर सारी भाभी मै उससे शादी नहीं कर सकता मै अपने साथ काम
करने वाली नंदिनी से शादी करूंगा।नंदिनी को मैं कॉलेज से जानता हूं वो फूल ऑफ लाइफ लड़की है। हंसती मुस्कुराती हर तरफ खुशियां बिखरती जो उसके पास बैठ जाए वो उसी का ही बन जाए तो आप लोग नंदिनी के लिए रिश्ता भेजिए।उसके पापा इंडियन एंबेसी में है और मम्मी कॉलेज में लेक्चरर
हैं उसकी दादी भी राइटर हैं। वाह भई अच्छी पढ़ी लिखी फैमिली ढूंढी है।हा इनके बिजनेस से तो कुछ अलग होगा। रति को ये बात बिल्कुल अच्छी नहीं लगी वो अमित से बोली सुमित ने मेरी इंसल्ट की है अमित बोला क्यों सुमित ने मेरे लाए रिश्ते को ना कह दिया और पता नहीं किसे इस घर में ला रहा है।
अमित बोला ये उसकी पसंद है वो किस्से शादी करेगा इसमें इंसल्ट जैसा कुछ नहीं है। पर रति के दिमाग में ये बात घर कर गई कि नंदिनी के कारण उसका अपमान हुआ है और घर वालों ने उसकी बात नहीं मानी।जिस दिन सब लोग नंदिनी के घर गए रति नहीं गई तबियत खराब का बहाना बना
दिया।नंदिनी सबको पसंद आई वहां पर भी सभी रति रति कर रहे थे।नंदिनी की मां नीला बोली आपकी गुणी बहु की छाया में मेरी नंदिनी भी बहुत कुछ सीख जाएगी।सगाई की तारीख पक्की कर सब लोग आए।शगुन का बहुत सा सामान मिला था।रति की साड़ी और कंगन सुंदर थे।रति ने लेकर बिना देखें ही सब रख दिया।रति नंदिनी से बिना मिले ही उससे ईर्ष्या करने लगी थी।सगाई में रति
बहुत सुंदर लग रही थी।नंदिनी भी सुंदर थी और उसकी मुस्कुराहट सबका ध्यान खींच रही थीं। रस्म अच्छे से हुई सुमित ने परिचय करवाया ये हमारी भाभी हमारी होम मिनिस्टर इनसे पूछे बिना कुछ नहीं होता।रति बोली हा देवरानी जी मेरी छत्र छाया में ही रहना पड़ेगा तभी टिक पाओगी और हंसने लगी मैं तो मजाक कर रही थी। और फिर नंदिनी और सुमित का विवाह हो गया ।शुरू के दिनों में तो सब
के सामने रति मेरी छोटी बहन आ गई करती पर जो ईर्ष्या का बीज इसके अंदर का वो पनप ही रहा था क्योंकि शादी होते ही रति के मां बनने की खबर आई कि वो गर्भवती है सबने कहा बहु का पैर तो अच्छा है।शादी के चार साल बाद इतनी बड़ी खुश खबरी आई।रति और चीड़ गई बोली मेरी इतनी बड़ी खुशी का सेहरा भी इसके सिर कर दिया।नंदिनी खुशमिजाज लड़की थी जिसमें बचपना भी था।
उसकी बाते सबका मन मोह लेती।शादी के बाद घूमकर आने के बाद ऑफिस स्टार्ट हो गया।सुमित और नंदिनी ऑफिस जाने लगे।रति तबियत खराब है का बहाना बनाकर उठती ही नहीं थी।नंदिनी सुबह का नाश्ता बनाकर जाती और अपना सुमित का लंच भी।सासू जी कहती भी लाओ बेटा मैं
करवा देती हूं पर नंदिनी मना कर देती।नंदिनी रति का भी नाश्ता बनाती और रति उसे कामवाली को दे देती।फिर कुछ नया बना के खाती।शाम का खाना रति बनाती क्योंकि उसे दिखावा करना होता की मैं सुपीरियर हूँ। आज नंदिनी ने नाश्ते में आपे और कटलेट बनाए क्योंकि सुमित की और उसकी
छुट्टी थी।सबने तारीफ की वाह क्या नाश्ता है रति भी आवाज सुन कर आई तो अमित बोला वाह क्या लाजवाब नाश्ता बना है तुम भी करो सबके कहने पर रति बैठ गई नाश्ता अच्छा बना था।पर तारीफ
का शब्द ना निकला।आज सुमित के कहने पर पापा और भैया दिन में खाने पर घर आने वाले थे।खाना आज नंदिनी बनाने वाली थी।नंदिनी ने बड़े मन से खाना बनाया और वो तैयार होने चली गई।रति ने पीछे से दाल में मिर्च और खीर में नमक डाल दिया।सब खाना खाने बैठे । प्रेमा रोटी बना रही थी और नंदिनी परोस रही थीं। पहला निवाला लेते ही रति चिल्लाई क्या घटिया खाना बनाया है दाल में मिर्च भर
दी और खीर में नमक क्या तुम्हारे घर वालों ने तुम्हे खाना बनाना नहीं सिखाया।इसी लिए कह रही थी कि रागिनी को बहु बना लो घर का सब काम जानती है ये नौकरी वाली लड़कियां घूमना जानती हैं बस।सुमित हैरान था क्योंकि वो खाना चख चुका था तब दाल में मिर्च भी ठीक थी और खीर भी मीठी थी।नंदिनी रोने लगी। राधा जी बोलीं कोई बात नहीं बेटा गलती हो जाती है जाओ रति तुम ये दाल ठीक
कर लो।नंदिनी बिना खाना खाए कमरे में आ गई और रोने लगी।सुमित उसे चुप करवाने आया।उसने पूछा सुमित तुमने खाना चखा था सब ठीक था फिर ऐसे कैसे हो गया।नंदिनीबोली मुझे भाभी का हाथ लगता है। सुमित बोला पागल हो भाभी ऐसा क्यों करेंगी हो जाता है कभी कभी।नंदिनी शुरू से ही रति
का अपने प्रति व्यवहार देख रही थी।नंदिनी सुमित को बोल कुछ दिन अपने माता पिता के यहां आ गई।पीछे से रति नंदिनी के कमरे में गई और उसकी एक दो साड़ी में कैची चला दी।नंदिनी घर आई तो उन्हें फैमिली फंक्शन में जाना था।राधा बोली जो साड़ी तुम्हारी मुंहदिखाई में दी थी वो पहनना ।नंदिनी ने साड़ी निकाली वो कटी फटी थी। ज्वेलरी मिल नहीं रही थी आज सुमित और राधा ने भी बोला तुम बड़ी लापरवाह हो। बहु हसने से कुछ नहीं होता जिम्मेदारी भी आनी चाहिए रति से कुछ
सीखो। नंदिनी ने सुमित को समझाने की कोशिश की सब बेकार ।रति नंदिनी के नाम का कोई ना कोई बम फोड़ती और नंदिनी घर वालों की नजरों में नंदिनी गिरती जा रही थी उसे जाहिल ,लापरवाह के ताने मिल रहे थे।नंदिनी से सुमित भी कटा कटा था।नंदिनी ऑफिस से घर आई तो देखा कि रति
उसके कमरे से निकल कर जा रही थी। नंदिनी ने कमरे में देखा जो सुमित उसके लिए बंगलोर से ड्रेस लाया था उसमें बहुत बड़ा छेद था।नंदिनी सब समझ गई कि ये सब रति कर रही हैं ।नंदिनी रति के पास गई बोली भाभी आपको मुझसे क्या चीड़ हैं आप मेरे साथ ऐसा क्यों कर रही है मैने आपका क्या
बिगाड़ा है।रति बोली तुमने हों तो बिगाड़ा है सुमित मेरी सब बात मानता था और तुम्हारी वजह से उसने मेरी बहन को ठुकरा दिया।इस घर में सब मेरे गुण गाते थे तुम्हारे आते ही सब तुम्हारे आगे पीछे हो गए मै ये कैसे बर्दाश्त करती।नंदिनी बोली भाभी आप मुझसे ईर्ष्या करती है।रति बोली हा और मैं तुम्हे यहां से निकलवा कर ही दम लूंगी।और रति चिल्लाने लगी नंदिनी मुझे धक्का मत दो मुझसे मत
लड़ो।पीछे से अमित आ रहा था उसे देख रति पलट गई।अमित बोला नंदिनी ये सब क्या है? गलत लड़की घर ले आए तुम इस हालत में रति से लड़ रही हो।नंदिनी बोली भैया मेरी बात सुने।अमित बोला जाओ यहां से।नंदिनी कमरे में आई और सुमित के लिए मैसेज छोड़ अपने घर चली गई क्योंकि घर में कोई नहीं था।नंदिनी घर आई दादी बोली अकेले ।नंदिनी बोली दादी आपकी याद आ रही थी ।
दादी बोली ठीक है चल मेरे साथ दोनों दादी पोती घूमने चलेंगे।दादी ने सुमित को फोन कर पूछा सब ठीक हैं सुमित बोला जी दादी सब ठीक है तो दादी बोली तेरी परी को मैं ४ दिन चुरा कर ले जा रही हूं।वापस आ कर मिलते है दादी पोती दोनो गोवा घूमने चली गई।दादी नंदिनी की उदासी पढ़ रही थीं बोली बता क्या हुआ।नंदिनी ने सब कुछ बताया।दादी बोली अरे मेरी रानी जो जैसा करे उसके साथ वैसा करो वो जब इतना कुछ बोल रही थी तो रिकॉर्ड क्यों नहीं किया ।अब सुन दादी ने कुछ समझाया और दो दिन बाद नंदिनी घर अब नंदिनी सम्भल गई थी वो जब रति आस पास होती अपने फोन का
रिकॉर्डर ऑन रखती।नंदिनी ने खाना बनाया रति ने फिर उसे बिगाड़ा पर इस बार डाइनिंग टेबल पर ही खाने के साथ वीडियो भी शेयर हो गई सबने देखा रति नंदिनी को क्या क्या सुनाती है और कैसे उसका काम बिगाड़ती है। राधा बोली क्यों बहु तुमने ऐसा क्यों किया तुम्हे कोई रोक टोक नहीं है तो
नंदिनी के साथ ये सब करने की क्या जरूरत थी।सुमित बोला भाभी अपनी ईर्ष्या में आप मेरा नुकसान करने चली थी।पापा मम्मी मै यहां से बंगलोर शिफ्ट हो जाऊंगा ।अब हम यहां नहीं रहेंगे।राधा जी
बोलीं कोई कही नहीं जाएगा।इस घर की शांति के लिए मैने और तेरे पापा ने घर की जिम्मेदारी रति को दी और समझाया था कि इस घर में कभी क्लेश नहीं होना चाहिए पर रति तुमने मेरा विश्वास तोड़ दिया इसलिए अब तुम यहां से जाओगी।रति सबसे माफी मांगने लगी। नंदिनी तुम मेरी बहन जैसी हो
मुझे घर से मत निकलवाओ ।नंदिनी बोली मां हम सब यही रहेंगे ये आपका प्यार का मंदिर है कभी कभी मंदिर में भी तो ग्रहण लगता है समझिए ये वही था अब ये ग्रहण दूर हो गया है सब ठीक है क्यों भाभी चलिए हमे छोटे मेहमान के आने की तैयारी भी करनी है।सब मुस्कुरा उठे और रति ने नंदिनी को गले लगा अपने व्यहवार की माफी मांग ली।
स्वरचित कहानी
आपकी सखी
खुशी