मीरा, बी.कॉम फर्स्ट ईयर की छात्रा, हर दिन की तरह आज भी कॉलेज जा रही थी। सुबह की हल्की धूप और मन में ढेर सारे सपनों के साथ वह सड़क पर चल रही थी कि अचानक एक तेज़ रफ़्तार गाड़ी के ब्रेक की कर्कश आवाज़ आई।
टायर सड़क पर घिसटे और गाड़ी मीरा के ठीक सामने आकर रुकी। हड़बड़ाहट में मीरा का पैर मुड़ गया और वह गिर गई। उसके घुटने पर हल्की चोट लग गई, लेकिन दर्द से ज़्यादा उसे गुस्सा आया।
गाड़ी का दरवाज़ा खुला और एक लंबा, हैंडसम आदमी बाहर आया। उसकी आँखों में घबराहट साफ़ झलक रही थी।
“अरे! देखकर नहीं चल सकते क्या? आँखें कहाँ हैं?” मीरा ने दर्द में कराहते हुए कहा।
आर्यन, जो शहर के सबसे कामयाब बिजनेसमैन में से एक था, तुरंत झुककर बोला, “मुझे बहुत अफ़सोस है। प्लीज़, मुझे माफ़ कर दीजिए। मैं सच में बहुत जल्दबाज़ी में था।”
मीरा का गुस्सा शांत नहीं हुआ। वह उठने की कोशिश करने लगी, लेकिन घुटने में तेज दर्द हुआ और वह लड़खड़ा गई।
आर्यन ने बिना समय गंवाए कहा, “चलिए, मैं आपको पास के क्लिनिक ले चलता हूँ। आपको तुरंत मरहम-पट्टी की ज़रूरत है।”
“नहीं, इसकी कोई ज़रूरत नहीं है। मैं चली जाऊँगी,” मीरा ने मना किया।
लेकिन जब दर्द असहनीय हो गया और उसे लगा कि वह एक कदम भी नहीं चल पाएगी, तो उसने हार मान ली। “ठीक है,” वह धीमी आवाज़ में बोली।
आर्यन ने उसे सहारा दिया और अपनी गाड़ी में बिठाकर क्लिनिक ले गया। डॉक्टर ने पट्टी की और कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है। इस दौरान आर्यन ने मीरा से कई बार माफ़ी मांगी। जब वह ठीक हो गई, तो आर्यन ने ज़िद करके उसे कॉलेज तक छोड़ा।
कॉलेज गेट पर पहुँचकर मीरा ने बस शुक्रिया कहा और उतरने लगी।
“क्या मैं आपका नाम जान सकता हूँ?” आर्यन ने पूछा।
“मीरा,” उसने जवाब दिया।
“आपसे मिलकर अच्छा लगा, मीरा। और फिर से, माफ़ी चाहता हूँ।” आर्यन ने मुस्कुराते हुए कहा।
अगले दिन से, एक नया सिलसिला शुरू हो गया। रोज़ सुबह आर्यन अपनी गाड़ी लेकर उसी सड़क पर मीरा का इंतज़ार करता। “जब तक तुम पूरी तरह ठीक नहीं हो जाती, मैं तुम्हें रोज़ कॉलेज छोड़ूँगा,” उसने कहा।
धीरे-धीरे रोज़ की मुलाक़ातें गहरी दोस्ती में बदल गईं। वे घंटों बातें करते। कभी कॉलेज के बारे में, कभी करियर के बारे में, और कभी बस ज़िंदगी की छोटी-छोटी बातों के बारे में। उनकी दोस्ती इतनी गहरी हो गई थी कि अब मीरा को हर सुबह आर्यन का इंतज़ार रहता था।
एक दिन, बातों-बातों में मीरा ने उसके घर-परिवार के बारे में पूछा। आर्यन की आँखों में एक अलग ही चमक आ गई। उसने बताया कि उसकी लव मैरिज हुई है और उसकी पत्नी, सिया, प्रेग्नेंट है। “वह आजकल थोड़े मूडी रहती है,” आर्यन ने हँसते हुए कहा, “प्रेग्नेंसी के चक्कर में मूड स्विंग्स होते रहते हैं। लेकिन मैं उसे बहुत प्यार करता हूँ।”
यह सब सुनकर मीरा ऊपर से तो मुस्कुरा दी, पर उसके अंदर कहीं कुछ टूट गया था। उसे लगा कि वह एक ऐसे रिश्ते की तरफ़ बढ़ रही थी, जिसकी नींव पहले से ही किसी और के प्यार पर बनी हुई थी।
आर्यन और मीरा की मुलाक़ातें अब सिर्फ़ कॉलेज छोड़ने तक सीमित नहीं रहीं थीं। उनका रिश्ता दोस्ती से कहीं आगे बढ़ चुका था। वे शाम को कॉफ़ी शॉप में मिलते, वीकेंड पर घूमने जाते और घंटों एक-दूसरे के साथ वक़्त बिताते।
आर्यन को भी मीरा के साथ रहना सुकून देता था, शायद इसलिए कि उसकी ज़िंदगी की जिम्मेदारियों के बोझ से भरी दुनिया में मीरा एक ताज़ी हवा के झोंके जैसी थी। मीरा को भी यह सब पता था कि वह शादीशुदा है, फिर भी वह इस रिश्ते को ख़त्म नहीं कर पाई क्योंकि उसे लगने लगा था कि वह आर्यन से सच्चा प्यार करने लगी है।
आर्यन की पत्नी सिया की प्रेग्नेंसी का आख़िरी समय था। इसी बीच, एक दिन मीरा कॉलेज में बैठी थी जब उसने आर्यन को कई बार फ़ोन लगाया, पर उसका फ़ोन लगातार व्यस्त आ रहा था। मीरा को चिंता हुई, वह बार-बार कोशिश करती रही,
लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। वह बेचैन हो उठी, न जाने उसे क्या हुआ होगा। पूरा दिन इसी उधेड़बुन में बीत गया। शाम को जब वह थककर घर पहुँची, तब उसके फ़ोन की घंटी बजी। स्क्रीन पर आर्यन का नाम देखकर उसके चेहरे पर एक अजीब-सी बेचैनी और खुशी दोनों एक साथ आ गईं। उसने तुरंत फ़ोन उठाया।
दूसरी तरफ़ से आर्यन की आवाज़ आई, जो खुशी से भरी हुई थी।
“मीरा, मैं पापा बन गया हूँ! मुझे बेटा हुआ है!” उसकी आवाज़ में एक ऐसी खुशी थी जो मीरा ने पहले कभी नहीं सुनी थी।
आर्यन के लिए यह दुनिया की सबसे बड़ी खुशखबरी थी, लेकिन मीरा के लिए यह एक कड़वी सच्चाई थी। उसकी खुशी के बदले मीरा के दिल में दर्द, जलन और ख़ालीपन भर गया। ऊपर से वह खुशी जता रही थी, “वाह, यह तो बहुत अच्छी ख़बर है! बधाई हो!” लेकिन अंदर ही अंदर वह जल रही थी। उसका दिल टूट गया था।
अगले दिन कॉलेज में, मीरा गुमसुम बैठी थी। उसकी आँखों में नमी देखकर उसकी दो पक्की सहेलियाँ, रिया और नीधि, उसके पास आईं। “क्या हुआ मीरा? तुम ठीक हो?” रिया ने पूछा। मीरा कुछ नहीं बोली और वहाँ से उठकर एक सुनसान जगह पर चली गई। उसकी सहेलियाँ उसके पीछे गईं।
वहाँ कोने में बैठकर मीरा फूट-फूटकर रोने लगी। उसकी सहेलियों ने उसे सांत्वना दी और पूछा कि आख़िर बात क्या है। तब मीरा ने उन्हें सब कुछ बता दिया, उस दिन हुए एक्सीडेंट से लेकर आर्यन के प्यार में पड़ने तक की पूरी कहानी।
उसकी बात सुनकर रिया और नीधि को बहुत गुस्सा आया। उन्होंने मीरा को बहुत डाँटा, “तुम यह क्या कर रही हो मीरा? वह शादीशुदा है! उसका बच्चा है! तुम किसी के घर को बर्बाद कर रही हो।” उन्होंने उसे समझाया कि वह सिर्फ़ उसका इस्तेमाल कर रहा है,
यह कोई प्यार नहीं है। लेकिन प्यार में अंधी मीरा किसी की बात सुनने को तैयार नहीं थी। उसने उनकी बातों को अनसुना कर दिया क्योंकि उसे यकीन था कि आर्यन भी उससे प्यार करता है।
अपनी सहेलियों से डाँट और सलाह सुनने के बाद मीरा ने धीरे-धीरे उनसे दूरी बना ली। उसने आर्यन के बारे में बात करना कम कर दिया। रिया और नीधि को लगा कि शायद मीरा समझ गई है और उसने आर्यन को भुला दिया है, इसलिए वे भी इस विषय पर कुछ नहीं बोलती थीं। लेकिन उनके चुप रहने से मीरा को और भी अकेलापन महसूस होने लगा।
बच्चे के जन्म के दो-तीन दिन बाद, आर्यन मीरा से मिलने आया। उस दिन मीरा कॉलेज नहीं गई। वे दोनों पूरा दिन बाहर घूमते रहे, कॉफ़ी पी, बातें कीं। आर्यन ने उसे बताया कि वह कितना खुश है और उसका बेटा कितना प्यारा है।
मीरा यह सब सुनती रही, ऊपर से मुस्कुराती रही, लेकिन अंदर ही अंदर उसकी बेचैनी बढ़ती जा रही थी। अब उनका रिश्ता बहुत गहरा हो चुका था और वे एक-दूसरे से मिले बिना नहीं रह पाते थे। कभी-कभी आर्यन अपनी पत्नी या बच्चे के बारे में कोई बात बता देता तो मीरा सुनती, पर उसके दिल में एक टीस-सी उठती थी।
फिर एक दिन आर्यन का जन्मदिन आया। मीरा ने अपने मन में बहुत सारी ख़ास तैयारियाँ कर ली थीं। उसने सोचा था कि वे कहाँ जाएँगे, क्या करेंगे। वह पूरे दिन उसे फ़ोन करती रही, लेकिन आर्यन ने एक बार भी फ़ोन नहीं उठाया। मीरा का दिल तेज़ी से धड़क रहा था, मन में अनगिनत सवाल थे।
कुछ देर बाद आर्यन का फ़ोन आया। उसकी आवाज़ में ख़ुशी नहीं, बल्कि झुंझलाहट थी।
“क्या है, तुम फ़ोन पर फ़ोन क्यों किए जा रही हो?” उसने रूखी आवाज़ में पूछा।
मीरा की आवाज़ लड़खड़ा गई, “तुम्हारा जन्मदिन है… मैं… मैं तुमसे मिलना चाहती थी।”
आर्यन ने बिना कोई भावना दिखाए कहा, “अभी मेरे यहाँ पार्टी चल रही है, मीरा। मेरे सासू-ससुर आए हुए हैं। मेरी वाइफ़ ने मेरे लिए एक पार्टी रखी है। मैं तुमसे कल बात करूँगा।”
यह सुनकर मीरा का दिल पूरी तरह टूट गया। उसका जो सपना उसने अपने लिए बुना था, वह बिखर गया था। उसकी आँखों से आँसू बहने लगे और वह रोने लगी।
अगले दिन मीरा ने हिम्मत करके आर्यन का सोशल मीडिया अकाउंट खोला। वहाँ जन्मदिन की तस्वीरों में आर्यन अपने परिवार के साथ खड़ा था – उसकी पत्नी, सिया, और उनका नन्हा बेटा। वह सबके साथ बहुत खुश दिख रहा था। यह देखकर मीरा का दिल पूरी तरह टूट गया। उसे एहसास हुआ कि आर्यन की ज़िंदगी में वह कहीं नहीं है। वह पूरा दिन रोती रही और आर्यन को फ़ोन नहीं किया।
दो दिन बाद आर्यन का फ़ोन आया, पर मीरा ने नहीं उठाया। आर्यन समझ गया कि मीरा गुस्सा है और उसे कैसे मनाना है वो भी पता है । कुछ देर बाद वह कॉलेज के पास उसी जगह पर खड़ा था जहाँ वे रोज़ मिलते थे। उसने मीरा को देखा और उसके पास चला आया।
“तुम मेरा फ़ोन क्यों नहीं उठा रही हो, मीरा?” उसने मासूमियत से पूछा। मीरा की आँखों में आँसू आ गए। वह कुछ बोल नहीं पाई। आर्यन ने उसका हाथ पकड़कर कहा, “मैं जानता हूँ तुम नाराज़ हो। सच कहूँ तो मेरी वाइफ़ ने मेरे लिए सरप्राइज़ पार्टी रखी थी, मुझे इस बारे में कुछ पता ही नहीं था। वह मेरे बराबर में ही बैठी थी, बताओ मैं तुमसे कैसे बात करता?
” उसकी बातों में ऐसी मिठास थी कि मीरा सारी कड़वाहट भूल गई। वह उसके भोलेपन के आगे हार गई और उसकी बातों में आ गई। उनका घूमना-फिरना और साथ वक़्त बिताना फिर से शुरू हो गया। इसी तरह दो-चार महीने और बीत गए।
एक दिन मीरा कॉलेज में आर्यन की गाड़ी से उतरी, तो उसकी दोनों सहेलियाँ, रिया और नीधि, उसे देख लेती हैं। मीरा, उनसे नज़रें चुराकर जल्दी से अंदर जा रही थी, लेकिन रिया ने उसका हाथ पकड़कर उसे किनारे पर खींच लिया। रिया की आँखों में गुस्सा था और नीधि की आँखों में निराशा।
“मीरा, क्या हो रहा है यह सब?” रिया ने ज़ोरदार आवाज़ में पूछा। “तुम्हें बिल्कुल शर्म नहीं आती? जो इंसान अपनी प्रेग्नेंट बीवी को, जिससे उसने खुद प्यार किया था, धोखा दे सकता है, वह तुम्हारे साथ क्या करेगा?”
नीधि ने मीरा के कंधों को पकड़कर कहा, “मीरा, होश में आओ! क्या तुम्हें नहीं दिख रहा कि वह तुम्हें सिर्फ़ बहला-फुसला रहा है? उसका घर बसा हुआ है, उसका परिवार है, उसका बच्चा है! वह सिर्फ़ तुम्हारे भोलेपन का फायदा उठा रहा है! इस रिश्ते का कोई भविष्य नहीं है।”
उनकी बातें सुनकर मीरा रोने लगी। उसने रोते हुए कहा, “नहीं, ऐसा नहीं है। मैं उससे बहुत प्यार करती हूँ और वह भी मुझसे बहुत प्यार करता है।”
रिया और नीधि ने एक-दूसरे की तरफ़ देखा। फिर रिया ने सिर पर हाथ रख लिया और बोली, “हमसे बात मत करना।”
नीधि ने कहा, “जब तुम यह समझ नहीं जाती कि तुम गलत कर रही हो तब तक हम तुमसे बात नहीं करेंगे।”
मीरा रोते हुए बस एक ही बात कहती रही, “वह मुझसे बहुत प्यार करता है।”
अपनी सहेलियों से डाँट खाने के बाद, मीरा ने कॉलेज जाना बहुत कम कर दिया। उसका पूरा वक़्त अब सिर्फ़ आर्यन के साथ बीतता था। जब भी उसकी सहेलियाँ उसे समझाने की कोशिश करतीं, वह उनसे झगड़ा कर लेती और गुस्सा हो जाती।
उसे लगता था कि वे उससे जलती हैं और आर्यन को उससे दूर करना चाहती हैं। इसी तरह, वह आर्यन की दुनिया में और गहरे उतरती चली गई। उसका यह रिश्ता दोस्ती से शुरू होकर, धोखे और झूठ के दलदल में बदल गया था।
इन सब के बीच, दो साल कब बीत गए, पता ही नहीं चला। एक दिन आर्यन ने मीरा से कहा कि वह काम के सिलसिले में शहर से बाहर जा रहा है। मीरा ने उस पर भरोसा कर लिया। पर कुछ दिन बाद मीरा की सहेली ने उसका सोशल मीडिया अकाउंट देखा।
वहाँ आर्यन ने अपनी पत्नी के साथ एक ट्रिप की तस्वीरें डाली हुई थीं। वे दोनों बहुत खुश नज़र आ रहे थे और उसने तस्वीरों के कैप्शन में लिखा था, “माय वाइफ, माय लाइफ।”
सहेली ने तुरंत ये तस्वीरें मीरा को दिखाईं और गुस्से में बोली, “देख ले अपने प्यार को। वह अपनी बीवी के साथ खुश है और तू उसके लिए पागल हुई जा रही है।” मीरा ने तस्वीरें देखीं तो उसका दिल बैठ गया। उसकी आँखों में फिर से आँसू आ गए। पर इस बार वह रोई नहीं,
बल्कि उसने अपने ही मन को समझाया। उसने अपनी सहेली से कहा, “मुझे पता है यार, वह मुझसे बहुत प्यार करता है। उसने मुझसे कहा था कि उसे अपनी बीवी के साथ जबरदस्ती रहना पड़ता है क्योंकि बच्चा अभी छोटा है, परिवार का सवाल है। वह मुझसे प्यार करता है पर परिवार की मजबूरी के कारण वह कुछ कर नहीं पा रहा है।”
सहेली ने सर पकड़ लिया और बेबसी से देखती रह गई कि मीरा किस तरह खुद को और झूठे दिलासों में फँसा रही थी।
फिर कुछ समय बाद एक और सच सामने आया जिसने मीरा को हिला दिया। आर्यन की पत्नी दोबारा प्रेग्नेंट हो गई थी। यह सुनकर मीरा बहुत रोई। उसका दिल फिर से टूट गया। इस बार वह रोते-रोते आर्यन के पास गई और उससे लड़ाई करने लगी, “तुम तो मुझसे प्यार करते हो! तो फिर वह कैसे प्रेग्नेंट हुई? तुम मुझसे झूठ बोल रहे थे!”
आर्यन ने हमेशा की तरह उसे फिर से बहलाना शुरू किया। उसने मीरा को अपनी बाँहों में भर लिया और प्यार से कहा, “अरे पगली! यह सब बस एक ग़लती थी जो ग़लती से हो गई। तुम क्यों इतना सोच रही हो? मेरा दिल और मेरी आत्मा सिर्फ़ तुम्हारे लिए है।
वह तो मेरी सिर्फ़ पत्नी है, पर मेरी ज़िंदगी की खुशी सिर्फ़ तुमसे है। मैं उसके साथ रहता हूँ क्योंकि यह दुनिया का दस्तूर है, लेकिन मेरा प्यार तो सिर्फ़ तुम हो, और यह बात तुम अच्छी तरह से जानती हो।”
मीरा, आर्यन की प्यार भरी बातों और झूठे दिलासों में फिर से फँस गई। उसकी आँखों पर पड़ी पट्टी और भी मोटी हो गई थी।
कुछ महीनों बाद आर्यन की पत्नी ने एक प्यारी-सी बेटी को जन्म दिया। आर्यन अपनी बेटी के आने से बहुत खुश था। वह परिवार के साथ इतना व्यस्त हो गया था कि उसने कुछ दिनों तक मीरा का फ़ोन नहीं उठाया और उससे कोई बातचीत नहीं की। सोशल मीडिया पर नए मेहमान के स्वागत और घर में जश्न की तस्वीरें भरी पड़ी थीं।
मीरा की सहेलियों ने जब ये तस्वीरें देखीं, तो वे मीरा के पास गईं। इस बार उनका लहजा गुस्से वाला नहीं, बल्कि शांत और प्यार भरा था। रिया ने कहा, “मीरा, अब तो बच्चा भी हो गया। अब तो वह अपनी पत्नी को तलाक देगा ना? क्या तुम उससे एक बार बात करोगी?”
मीरा निराश होकर बोली, अभी तो बच्चे छोटे हैं, ऐसे में अपने परिवार के सामने कैसे बात कर सकता है।
नीधि ने कहा, “मीरा, एक काम करते हैं।” उसका चेहरा शांत था, “हो सकता है आर्यन अपनी पत्नी और परिवार से बात करने में घबरा रहा हो। अगर वह डर रहा है, तो तुम उसकी मदद कर सकती हो।”
मीरा ने हैरानी से पूछा, “कैसे?”
“तुम उससे कहना कि अगर वह तलाक की बात नहीं कर पा रहा, तो तुम खुद उसकी पत्नी और परिवार से मिलकर सब कुछ बता दोगी। जब उन्हें सच पता चलेगा, तो वे खुद ही तलाक दे देंगे और तुम्हारा काम आसान हो जाएगा।”
यह सुनकर मीरा के चेहरे पर एक चमक आ गई। उसे लगा कि यह बात बिल्कुल सही है। शायद आर्यन वाकई डर रहा हो। उसे अपनी सहेलियों की सलाह पसंद आ गई और उसके दिल में एक नई उम्मीद जाग गई।
अगली बार जब आर्यन उससे मिला, तो मीरा ने उससे इस बारे में बात की। आर्यन ने हमेशा की तरह उसे बहकाने की कोशिश की, पर मीरा अपनी ज़िद पर अड़ी रही। “नहीं आर्यन! तुम नहीं कर पा रहे हो, तो मैं करूँगी। मैं तुम्हारी पत्नी को सब कुछ बता दूँगी। हम बहुत प्यार करते हैं, और यह उसका हक है कि वह सच जाने।”
मीरा को अपनी बात पर अड़ा देखकर आर्यन गुस्से में आ गया। उसका सारा बनावटी प्यार एक ही पल में टूट गया। वह गुस्से से चिल्लाया, “मैं अपनी पत्नी, अपने बच्चों और अपने परिवार से प्यार करता हूँ! मैं तुमसे प्यार क्यों करूँगा? तुम्हारे साथ तो मैं सिर्फ़ टाइम पास कर रहा था! मेरी पत्नी प्रेग्नेंसी में मेरी ज़रूरतें पूरी नहीं कर पा रही थी, इस वजह से मैं तुम्हारे पास आया था!”
आर्यन की बातें सुनकर मीरा का दिल टूट गया। उसकी दुनिया बिखर गई थी। वह बेसुध होकर ज़मीन पर बैठ गई और ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी। मीरा को रोता देखकर आर्यन थोड़ा नरम पड़ गया। वह उसके पास आया और उसे चुप कराने लगा।
“देखो, मीरा,” उसने कहा, “हमारा रिश्ता कितना अच्छा चल रहा था। तुम क्यों शादी और तलाक की बातें कर रही हो? हम ऐसे ही तो खुश थे। मैं तुम्हें प्यार करता हूँ। हमें इस रिश्ते को शादी में क्यों बदलना है?”
मीरा ने रोते हुए अपना सिर उठाया। इस बार आर्यन की आवाज़ से ज़्यादा उसे अपनी सहेलियों की बातें याद आ रही थीं: “मीरा, वह सिर्फ़ तुम्हारा इस्तेमाल कर रहा है।” मीरा की आँखों में अपने साथ हुए धोखे का एहसास साफ़ झलक रहा था। उसने रोते हुए कहा:
“तुमने मुझसे प्यार नहीं किया, आर्यन। तुमने मेरे प्यार का इस्तेमाल किया। मुझे लगा कि तुम अपनी पत्नी से खुश नहीं हो और मुझसे प्यार करते हो। मैंने अपने सपने और अपने सारे रिश्ते तुम्हारे लिए छोड़ दिए, सिर्फ़ इसलिए कि मैं तुमसे सच्चा प्यार करती थी।”
उसकी आवाज़ में दर्द था, “लेकिन तुमने मेरा विश्वास तोड़ा है। आज जो तुमने मेरे साथ किया है, कल वही तुम्हारी बेटी के साथ भी हो सकता है। कुछ तो वक्त से डरो तुम !”
मीरा की आँखों में आँसू थे, पर उसकी आवाज़ में एक अजीब-सी ताक़त थी, “इंसान के कर्मों की सज़ा उसको एक दिन ज़रूर मिलती है। जो बोया है, वही काटेगा। सोचो, कल को कोई तुम्हारी बेटी का दिल तोड़े, उसका इस्तेमाल करके छोड़ दे, तो तुम्हें कैसा लगेगा?”
यह कहकर मीरा वहाँ से हमेशा के लिए चली गई।
मीरा के जाने के बाद आर्यन वहीं कुछ देर तक खड़ा रहा। उसके मन में एक अजीब-सी शांति थी, जैसे कि कोई बड़ा बोझ उतर गया हो। उसे लगा कि अब सब कुछ ठीक हो गया है, वह अपनी सामान्य ज़िंदगी में वापस लौट सकता है। लेकिन जैसे ही उसने अपनी गाड़ी स्टार्ट की, मीरा के अंतिम शब्द उसके कानों में गूँजने लगे, “वक्त से डरो आर्यन!”
घर पहुँचने पर उसने देखा कि उसकी पत्नी, सिया, अपनी छोटी बेटी के साथ खेल रही थी। घर में हंसी-खुशी का माहौल था। आर्यन ने अपनी बेटी को गोद में उठाया, उसे प्यार किया। लेकिन जैसे ही उसने उसकी मासूम आँखों में देखा, उसे अपनी करनी याद आ गई। उसे लगा जैसे उसकी बेटी की आँखों में मीरा का चेहरा दिख रहा हो। उसके कानों में मीरा की आवाज़ गूँजने लगी, “कल को अगर कोई तुम्हारी बेटी के साथ ऐसा करे, तो तुम्हें कैसा लगेगा?”
उसका दिल तेज़-तेज़ धड़कने लगा। उसका चेहरा सफ़ेद पड़ गया। उसने तुरंत बेटी को सिया की गोद में वापस रख दिया और बिना कुछ कहे अपने कमरे में चला गया। सिया हैरान होकर उसे देखती रही।
अगले कुछ दिन आर्यन अजीब व्यवहार करने लगा। वह शांत रहने लगा और उसकी आँखों में एक अजीब-सी उदासी थी। रात में वह जागता रहता और उसे लगता कि कोई उसे देख रहा है। वह अपनी बेटी के साथ खेलने से भी डरने लगा, हर बार जब वह उसे देखता, उसे मीरा की बातें याद आतीं। उसका पूरा परिवार इस बदलाव से परेशान था, लेकिन आर्यन किसी को कुछ बता नहीं सकता था।
आर्यन का बाहरी जीवन भले ही पहले जैसा था, लेकिन अंदर ही अंदर वह डर के साए में जीने लगा था। शायद उसे अपने कर्मों की सजा मिल रही थी ।
समाप्त
मीनाक्षी गुप्ता