विश्वास – खुशी : Moral Stories in Hindi

रोहित एक गरीब घर का लड़का था किसी तरह बारहवीं पास की और घर की जिम्मेदारी की वजह से उसने एक दुकान पर काम पकड़ लिया उसके पिताजी रतन सिक्योरिटी गार्ड थे।  उनकी आंखों में मोतियाबिंद हो गया था इसलिए अब वो काम पर नहीं जाते थे।मां रूपा भी घर संभालती।दो कमरों का छोटा सा घर था।

इसलिए  रोहित ने बारहवीं करके काम पकड़ लिया। वो एक पंक्चर की दुकान पर काम करने लगा पर उससे आमदनी अच्छी ना हो पाती। इसलिए वो दूसरा काम ढूंढ रहा था। उसके पिता हमेशा कहते बेटा कभी भी ईमानदारी का दामन मत छोड़ना। हमारे दिन जरूर बदलेंगे। रोहित सोचता इस पंचर की दुकान में क्या दिन बदलेंगे।

एक दिन वो दुकान का कुछ सामान लेने बड़े बाजार गया वहां बहुत जोर का तूफान और बारिश शुरू हो गए।तूफान के कारण रोहित वही एक दुकान की आड़ में खड़ा रहा।9:०० बज रहे थे अभी तक बारिश नहीं रुकी लोग दुकानें बंद कर जा रहे थे।रोहित वही बैठा रहा और कुछ देर में उसकी आंख लग गई।अगले दिन सुबह सब शांत था वो उठा तो देखा दुकान के बाहर गार्ड बैठा था

और उसके पास एक बोर्ड लगा था काम के लिए लड़के की तलाश है।रोहित वही रुक गया जब दुकान खुली और सेठ जी आए तो वो डरते डरते अंदर गया बोला जी मुझे काम की तलाश है कुछ काम मिलेगा।सेठ बोले बेटा काम तो मिलेगा पर एक ही शर्त है यहां काम करने की ईमानदारी ।रोहित बोला सेठ जी मेरे बाबा भी यही कहते हैं आप मुझे काम दे दीजिए।

सेठ जी बोले ठीक है 5000 महीना मिलेगा।रोहित बोला जी ठीक है कल से आ जाना ।रोहित दुकान से पंचर की दुकान पर आया तो मालिक चिल्लाने लगा पैसे लेकर कहा गायब हो गया था।भैया जी सामान लिया तो तूफान आ गया वही रुका रहा वही से सीधा आ रहा हूं।मालिक बोला पता है तुम्हारे जैसे का ।रोहित बोला आप मेरा हिसाब कर दो आप को मुझ पर यकीन नहीं है

तो मालिक बोला हा ठीक है तेरे जैसे बहुत देखे उसने 1500 रुपए रोहित को दिए रोहित घर आ गया।मां बाप परेशान थे उसने सारी बात बताई और बोला नई नौकरी भी लग गई है कल से जाना है।रोहित दुकान जाने लगा

और कुछ ही दिनों में उसने सेल्समैन का काम अच्छे से सीख लिया जो आता उसके व्यवहार के कारण सामान बिना खरीदे ना जाता। सेठ जी भी खुश थे उसके काम से उसकी तरक्की भी हो गई तनख्वाह भी बढ़ गई। घर के हालत भी सुधर गए।

अब सेठ जी को रोहित पर इतना विश्वास था कि वो पैसों का हिसाब किताब भी देखने लगा।सेठ जी बाहर जाते तो पूरी दुकान रोहन के हवाले कर जाते।दुकान की सेल्स बढ़ रही थी और रोहन का लालच भी अब रोहन गल्ले में से पैसे निकालने लगा।घर में हर चीज आ गई।पिताजी कहते बेटा गलत काम तो नहीं कर रहा वो कहता नहीं पिताजी सेठ

जी ने काम से खुश हो कर दिए हैं। अब रोहित के लिए शादी की बात चली उन्हीं की जनपहच।न में अच्छेलाल जी की बेटी आंचल जो 12 पास थी और ब्यूटीपार्लर चलाती थी उसका रिश्ता आया सभी की रजामंदी से शादी हो गई। आंचल ने अपने घर में तंगी देखी थी यहां तो सब कुछ था घर भी रोहित ने अच्छा करवा दिया था। आंचल ने नीचे के एक कमरे में अपना पार्लर खोल लिया

और ऊपर के हिस्से में दो कमरे रोहित ने शादी से पहले बनवा दिए थे वो वहां रहते थे।रोहित अब दुकान में दूसरे लड़कों से काम कर।ता और खुद मोबाइल देखता ।बीच बीच में दुकान से गायब भी हो जाता।घर में इतना पैसा रोहित ला रहा था जो उसकी तनख्वाह से ज्यादा था।एक दिन सोमवार को दुकान की छुट्टी थी रोहित घर पर था ।रतन जी बोले रोहित मुझे ऐसा लगता है तू कुछ गलत कर रहा

है देख बेटा विश्वास की डोर बहुत नाजुक होती हैं ये टूटते देर नहीं लगती और तेरे सेठ जी तुझे बेटे जैसा प्यार करते हैं तू उन्हें धोखा दे रहा है।रोहित बोला पापा ऐसा कुछ नहीं है आपको गलतफहमी हो रही है।रतन जी बोले तू मुझसे आंख नहीं मिला पा रहा कह रहा है गलतफहमी हुई है अभी भी वक्त है सुधर जा। आंचल बोली पिताजी आपको सुख रास नहीं आ रहा लगता है तभी ये सब बोल।रहे हो वो

कंगाली के दिन भूल गए ये मेहनत करते है और आप इन पर इल्जाम लगा रहे हो।रतन बोले बस बहु तुम जानो और तुम्हारा पति कल को कुछ होगा तो हम जिम्मेदार नहीं। रोहित दुकान पर आया तो आज सेठ जी आए हुए थे वो हिसाब किताब देख रहे थे वो बोले रोहित पैसों में और सेल में अंतर आ रहा है तुम सब ठीक से देख रहे हो ना ।पैसे भी कम आ रहे है। सेल भी कम हो गई है मुझे लगता है

मुझे ही दुकान पर बैठना पड़ेगा।अगले दिन से सेठ जी दुकान पर बराबर आने लगे इसलिए रोहित आज कल पैसा ना निकाल पाता।आंचल नई नई फरमाइश करती जो आज कल रोहित पूरी ना कर पाता।एक दिन सेठ जी आए और थोड़ी देर में निकल गए।रोहित गल्ले के पास आया उसने देखा उसमें नोटो के बंडल पड़े हैं उसने एक बंडल से पैसे निकाल लिए और अपनी जगह वापस आ गया।

सेठ जी आए उनके साथ पेमेंट लेने वाला भी आया था उसने जब पैसे गिने तो 10000 रुपए कम थे।सेठ जी ने गिना उस आदमी ने गिना पर पैसे कम सेठ जी ने अपनी जेब से पैसे दिए और उस आदमी को भेज दिया। रोहित की जान अटकी पड़ी थी कि कही तलाशी ना हो ।सेठ जी ने शाम को रोहित को बुलाया तुम जरा रुक कर जाना।रोहित सबके जाने के बाद सेठ के पास आया बोला जी सेठ जी।

सेठ जी ने एक वीडियो चलाया जिसने रोहित पैसे चुरा रहा था।रोहित ने आंखें झुका ली।सेठ जी बोले मैने तुम पर इतना विश्वास किया और तुमने मुझे धोखा दिया पैसे निकालो और यहां से दफा हो जाओ मै चाहता तो तुम्हे पुलिस में दे सकता था पर मेरी दुकान की बदनामी होगी इसलिए और तुम्हे एक महीने का समय देता हूं

मेरा पैसा लौटाने के लिए।रोहित ने अपनी जेब से पैसे निकाल कर रखे और सेठ जी के पैरों में गिर पड़ा मुझे माफ कर दो मैने पाप किया है आप का विश्वास तोड़ा है।सेठ जी बोले मुझे तुम पर शक पहले ही हुआ था पर मैं सोचता तुम भले हो ऐसा नहीं करोगे।पर जब तुम्हारी शादी थी और तुम छुट्टी पर थे तब मैने दुकान का हिसाब देखा था उसमें गड़बड़ थी सेल ज्यादा कमाई

कम मुझे नुकसान हो रहा था।तभी मैने दुकान में कैमरा लगवा दिया और तुम्हारी सब कामचोरी और चोरी उसमें कैद हो गई।मैने तुम्हें भला इंसान समझ काम पर रखा था तुम्हारे मां बाप का ध्यान रखते हुए तुम्हे पुलिस के हवाले नहीं कर रहा जाओ यहां से और याद रखना एक महीने में मेरा सारा

पैसा मुझे वापिस चाहिए।रोहित दुकान से निकला वो अपनी करनी पर शर्मिंदा था उसके कान में उसके पिता के शब्द गूंज रहे थे विश्वास को खोते देर नहीं लगती और ये टूट जाए तो दुबारा नहीं जुड़ता।रोहित ने सोचा मै लालच ना करता तो ये सब नहीं होता।

स्वरचित कहानी 

आपकी सखी 

खुशी

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