आंचल पसारना – सीमा सिंघी : Moral Stories in Hindi

 मानसी की शादी के कुछ दिन बाद ही भाई रमन की किसी बात को लेकर उस से अनबन हो गई ! यूं तो मानसी अक्सर अपने भाई रमन को याद करती रहती थी मगर दो दिन बाद ही राखी का त्यौहार था !

उसे रह रहकर अपने भाई रमन की बहुत याद आ रही थी ! उसे लग रहा था। काश उसके भाई रमन ने भाभी की एक छोटी सी बात में आकर अगर उस से अनबन नहीं करता, तो वह अपने भाई के घर राखी बांधने जा सकती थी ! 

ऐसे तो भाभी दीप्ति बहुत अच्छी थी, मगर वह छोटी-छोटी बातें भी रमन को बोल दिया करती थी। जबकि औरतों के अंदर यह गुण होना चाहिए

कि घर की छोटी-छोटी बातों को वह घर के मर्दों को ना बताएं । अपने तक ही सीमित रखें। तभी घर गृहस्थी अच्छे तरीके से चल पाती है क्योंकि जहां चार बर्तन होते हैं। वह कभी-कभी खड़क ही जाते हैं ।

 अक्सर ऐसा देखा जाता है  साधारण तौर पर कही हुई एक छोटी सी बात भी जब चार सदस्य के जिह्वा पर जाती है, तो वह अपने स्वाद अनुसार न जाने कितने नमक मिर्च खा कर अपना स्वरूप ही बदल डालती है, बेहतर है उसे अनदेखा कर दिया जाए मगर दीप्ति भाभी ने ऐसा नहीं किया।

काश आज भाई का फोन ही आ जाए  ! तभी अचानक फोन की घंटी बजी !  जैसे ही हेलो कहने को हुई । उसके पहले ही भाई रमन बोल उठा। 

अरे मानसी मेरी बहना राखी बांधने घर जरूर आ जाना, और सुन तेरी भाभी तुझ से कुछ कहना चाहती है। फोन पर उधर से भाभी दीप्ति की आवाज सुनाई दी।

 दीदी मुझे क्षमा कर दीजिए। मैंने एक छोटी सी बात को बड़ी कर के बहुत बड़ी भूल कर दी । जबकि उस में भूल आपकी थी ही नहीं। 

मैं खुद ही उस बात पर गलतफहमी पाले बैठी रही। उससे भी बड़ी भूल मैंने यह बात आपके भाई रमन से भी कह दी। जो मुझे नहीं कहना चाहिए था। आज मैं अपना आंचल पसार कर आपसे प्रार्थना करती हूं । अपने इस रिश्ते की जड़ हमेशा हरी भरी रहे ।

 दीप्ति की बात सुनकर मानसी तुरंत बोल उठी। अरे ऐसी कोई बात नहीं है भाभी । मैं आपके और भाई रमन के राखी बांधने जरूर आऊंगी। कहकर फोन रख दिया ।

आज मानसी के पैरों में न जाने  कितने अनगिनत खुशी के घुंघरू बंध चुके थे। जो वह बिन नाचे भी उसके पैरों में बज रहे थे।

दूसरे दिन ही वो राखी लेकर अपने भाई रमन  के घर पहुंच गई ! 

 खुशी-खुशी राखी का त्यौहार मनाया! आज मानसी और रमन दोनों ही बहुत खुश थे,क्योंकि दोनों की ही मन की गांठे खुल गई थी ! 

सच कहूं तो बहन भाई का रिश्ता ऐसा ही होता है ! जो कभी-कभी कुछ दिन या कुछ देर के लिए दूर हो सकते हैं मगर टूट नहीं सकते !

 यह सच है जहां और जिसके द्वारा रिश्ते में गांठ पड़ जाती है, अगर वह खुद झुक कर ठीक करना चाहे तो सामने वाला भी खुशी खुशी उसे ज्यादा ना झुकाते हुए और ना शर्मिंदगी महसूस कराते हुए उसे स्वीकार कर ले, तो जहां तक मैं समझती हूं। 

रिश्ते बने रहते हैं। आज मानसी बहुत खुश थी क्योंकि उसकी भाभी दीप्ति ने समय रहते अपना आंचल पसार कर रिश्ते को सहेज कर रखना सीख लिया था।

 स्वरचित 

सीमा सिंघी  

गोलाघाट असम

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