रे मोहित बहू को लें आ-यह मां की आवाज थी।
खुद आ जायेगी मां,जब आना होगा-मोहित ने ठंढे स्वर में जबाब दिया।
फिर भी साल भर हो गये,अब मुन्ना भी बोलने लगा होगा।-आखिर मां सपने की आंखों से पोता को देख रही थी।
अब मोहित दफ्तर चला गया उसकी मां की आंखों से सावन भादो की बरसात होने लगी।
आज से दो साल पहले मोहित का विवाह उसके पसंद की लड़की से कराया था। मोहित बैंक में अधिकारी था और अपनी मां के साथ रहता था।उसकी मां कौशल्या देवी बी ए पास एक विधवा सेवा निवृत्त शिक्षिका थी।वह किसी तरह पितृ हीन बेटे को पढ़ाया
और बैंक में नौकरी दिलाई।आज तीन साल के भीतर वह शाखा प्रबंधक पद पर था।उसने प्रेम विवाह बंगाली रूमा के साथ किया था।आज रूमा बहू बनकर आयी। कामचोर रूमा आते के साथ ही अपने रूप दिखाने शुरू कर दिया।
आज रूमा पति के साथ घूमने जाती,मैके हरदम चली जाती।
मगर उस दिन वह प्रेगनेंट थी और चिड़चिड़ापन बढ़ गया था।
अचानक ही किसी बात पर पति पत्नी में झगड़ा हो गया और इल्जाम सास पर लगा दिया।
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मांजी पति पत्नी में लड़ाई लगाना बंद करो -वह चिढ़कर बोली।
मैने क्या कहा है, मुझे तो कुछ भी मालूम नहीं है।-बेटा पति-पत्नी में इस तरह नहीं लड़ते।अरे गुस्से में रहा होगा कुछ बोल दिया होगा।-वह समझाने लगी।
मगर जिस औरत को मायके से आपरेट किया जाता है वह बदजुबान और जिद्दी होती है।
वहीं बात हो गयी लड़ाई इतनी बढ़ गई कि वह अचानक बिगड़कर मैके चली गई।
उसने छोड़ दिया,आज साल भर से ज्यादा हो गया न तो वह आयी न यह बुलाने गया।
सो आज मां ने टोका था,सच में पत्थर दिल बताया था।उधर ससुराल में रोमा भी परेशान थी ,जोश में आकर मैके भाग गयी थी मगर बूढ़े मां-बाप इसकी सेवा करने में असमर्थ थे।
सो पूरा अस्पताल का खर्च, सम्हालने के लिए घर में दाई रखना पड़ा और दूसरे तमाम खर्चों ने उसे परेशान कर दिया।जब मां कहती-खोखी गुस्सा मत कर ,जवांई राजा को बुला लें, खुद फोन कर।
अभी बड़ी मुश्किल से इसके अस्सी साल पार पिता दवाई , सब्जी और बाकी चीजें ला पाते थे। मां खाना नहीं बना पाती थी।
सो आज –वह गुस्से में पति को रोती हुई “पत्थर दिल ” कहने लगी।आज सुननेवाला कोई नहीं था।इधर पैंसठ की सांस आज भी सारा काम करती है,कितने प्यार से रखती है दूसरी ओर यह उसे फोन तक नहीं किया न ही पोते के बारे में बताया।
इसने बुरी तरह फटकारा था सो कहीं पत्थर दिल तो नहीं है।यह जितना सोचती उतना ही रोती थी।
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#बेटियां डांट इन साप्ताहिक विषय
#दिनांक-7-7-2025
#देय विषय-पत्थर दिल
रचनाकार -परमा दत्त झा, भोपाल।
#शब्द संख्या -700कम से कम।
समय (-7-7से13-7तक)
#(रचना मौलिक और अप्रकाशित है, इसे मात्र यहीं प्रेषित कर रहा हूं।)