पत्थर दिल – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

नहीं पापा.. मैं उसको किसी भी कीमत पर मनाने नहीं जाऊंगा वह अपनी मर्जी से घर छोड़ कर गई है अगर उसको आना होगा तो स्वयं ही आ जाएगी पर मुझ से दोबारा  लाने की मत कहना! पर बेटा… तू समझने की कोशिश तो कर, तेरा, तेरे बच्चों का क्या होगा? हम कब तक रहेंगे? पूरी जिंदगी अकेले कैसे निकालेगा? नहीं पापा आप तो जानते ही हैं

मैंने दिव्या की मृत्यु के बाद सिर्फ अपने बच्चों को ध्यान में रखते हुए  दूसरी शादी की थी हालांकि मैं जानता था वह मेरे लायक नहीं है मैं बैंक में मैनेजर मेरी अच्छी खासी इनकम है और वह एक कम पढ़ी-लिखी और यहां तक की एक बेटे की मां भी है किंतु मैंने तो सिर्फ यह सोचकर उससे शादी की थी कि मेरी तो जैसे तैसे कट जाएगी

किंतु मेरे बच्चे जो दिन रात अपनी मां के लिए तरसते हैं उनको एक मां मिल जाएगी और जब मैं पहली बार उससे मिला था तो उसने यही बताया था कि उसका तलाक इसी वजह से हुआ था कि 8 साल से उसका पति उसके साथ मारपीट करता था और इसीलिए वह उससे अलग हुई थी, मुझे अपने बेटे के लिए पापा और अपने लिए एक सचचे जीवनसाथी की जरूरत है,

मैंने तो सोचा था मेरे बच्चों को मां का प्यार और उसके बच्चे को पिता का प्यार मिल जाएगा हंसी-खुशी हमारी जिंदगी को एक मुकाम मिल जाएगा,मुझे क्या पता कि वह आते  ही मेरे बच्चों पर मेरे पीछे से जुल्म  ढाना शुरू कर देगी, मुझे तो पता भी नहीं चलता जब 6 महीने बाद मेरा 6 साल का बेटा बिस्तर में सूसू करने लग गया और जब डॉक्टर के पास लेकर गया तब उन्होंने बताया

कि इसके अंदर किसी तरह का डर समाया हुआ है और मेरी बेटी जो अपनी मां की मृत्यु के बाद में धीरे-धीरे बड़ी हो रही थी मुझसे कुछ कह ना पाती तब मुझे लगा कई बातें ऐसी होती है जो बेटी अपने पापा से नहीं बल्कि अपनी मां के साथ में  करती है, बस मैंने यही सोच कर अपने बच्चों की खातिर शादी की थी लेकिन जब  मेरे बच्चे डरे सहमे रहने लगे, उनकी हंसी जाने कहां चली गई,

मेरे लाख पूछने पर भी वह डर के मारे कुछ ना कह पाते तब मुझे शक हुआ और फिर मैंने उसकी जानकारी के बिना घर में सीसीटीवी लगवाएं जिसमें पता चला वह दोनों बच्चों को मारती है उन्हें धमकी देती है कि अगर उन्होंने मुझे कुछ भी बताया तो वह मेरा और बच्चों का बुरा हाल करेगी, इस वजह से बच्चे डर गए और मैने जब रागिनी से पूछा कि तुम कैसी मां हो मेरे बच्चों को डराती धमकाती हो,

तुम्हारे अंदर क्या इन मासूम बच्चों को देखकर भी दया नहीं  आती क्या तुम वाकई में एक औरत कहलाने लायक हो क्या इसी दिन के लिए मैं तुम्हें उनकी मां बनाकर अपने घर लाया था? तब पता है पापा उसने क्या कहा था… उसने कहा.. कि आपके बच्चे को मैंने चोरी करते हुए पकड़ा था जबकि वह चोरी उसके बेटे ने की थी

और बोली आपकी बेटी का भी गलत लड़कों के साथ उठना बैठना है, पापा  अभी सिर्फ 13 साल की है मेरी बेटी, उसको ऐसे कहने में जरा भी शर्म नहीं आई और वह  चाहती है कि मेरे बच्चों को हॉस्टल भेज दिया जाए क्या हॉस्टल भेजने के लिए मैंने उससे शादी की थी? अभी भी वह इसी शर्त पर वापस आना चाहती है कि मेरे दोनों बच्चों को हॉस्टल भेज दिया जाए

मैंने उसके बच्चे को अपना नाम दिया प्यार दिया क्या नहीं किया फिर उसने मेरे बच्चों के साथ पापा ऐसा क्यों किया? मुझे पत्नी की जरूरत नहीं है मुझे सिर्फ अपने बच्चों के लिए मां की जरूरत है, अब मैं उसके प्रति बिल्कुल पत्थर दिल हो चुका हूं मैं ऐसी औरत को किसी भी कीमत पर घर नहीं लाऊंगा और पापा मेरा क्या है आधी जिंदगी तो मेरी निकल ही गई

और बची हुई इन बच्चों को देखकर निकल जाएगी, पहले भी तो मैं मां और  पिता दोनों का रोल निभा रहा था तो अब क्यों नहीं? फिर आप और मम्मी भी तो मेरे साथ हो , बस मेरे बच्चे कुछ बन जाए लायक बन जाए इससे ज्यादा मुझे और कुछ नहीं चाहिए !

अपने बेटे तरुण की बातें सुनकर उसके पापा को विश्वास ही नहीं हुआ इतने नरम दिल बेटे का भी पत्थर का दिल हो सकता है किंतु परिस्थितिया सब कुछ करवा देती हैं और वह अपने बेटे की भावनाओं को समझते हुए वहां से चले गए!

  हेमलता गुप्ता स्वरचित

.  कहानी प्रतियोगिता (पत्थर दिल )

    #पत्थर दिल

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