विश्वास की डोर – सुनीता माथुर : Moral Stories in Hindi

 आयुष ने मेडिकल कॉलेज में टॉप किया था और कॉलेज से विदेश ऐक साल के लिए आगे का कोर्स करने के लिए स्कॉलरशिप मिली थी ताकि वह किसी एक सब्जेक्ट में एक्सपर्ट डॉक्टर बन जाए।

स्मिता और अनुराग बहुत खुश थे उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था कि—- उनका बेटा विदेश जा रहा है! और वहां से एक्सपर्ट डॉक्टर बनकर वापस आएगा! उनको अपने आयुष पर पूरा विश्वा था। आयुष की छोटी बहन अनुश्री भी अपने भाई की कामयाबी से बहुत खुश हो रही थी, और अपनी सब सहेलियों को उसने मिठाई खिलाई कि मेरा भाई डॉक्टर बन गया

और अमेरिका 1 साल के लिए जा रहा है। लेकिन— माँ के मन में प्रसन्नता तो थी, पर— चिंता ज्यादा थी, क्योंकि आयुष की माँ ने मोहल्ले वालों को बताया था, आयुष डॉक्टर तो बन गया। लेकिन 1 साल का कोर्स करने विदेश जा रहा है तब सभी मोहल्ले वाले

और उसके रिश्तेदार कहने लगे कि जो बेटे बाहर विदेश चले जाते हैं—— वह लौटकर नहीं आते, वहीं उनकी नौकरी भी लग जाती है, बस यही सोचकर माँ बार-बार दुखी हो जाती है और आंखों में आंसू आ जाते हैं।

आखिर आयुष बेटा विदेश चला जाता है देखते देखते 1 साल निकल जाता है हालांकि आयुष अपने माता-पिता और अपनी छोटी बहन अनुश्री से हमेशा फोन पर बात करता था।

आयुष को विदेश गए जब 1 साल भी निकल जाता है, तब आयुष के माता-पिता को चिंता होने लगती है। पता नहीं——– हमारा बेटा वापस आएगा कि नहीं, कहीं अमेरिका में बेटे की नौकरी लग गई और वहीं रहने लगा तो,——– वैसे आज घर में सभी लोग आयुष को याद कर रहे थे,

क्योंकि उसका जन्मदिन है स्मिता औरअनुराग अपने दोनों बच्चों का ही जन्मदिन खूब धूमधाम से मनाते थे!—- लेकिन आज सुबह से आयुष का कोई फोन नहीं आया और उन्होंने भी फोन लगाया तो उसने उठाया नहीं, शाम को अचानक फोन की घंटी बजती है और आयुष अपने माता-पिता से बोलता है——

मैं वापस अपने देश आ रहा हूं! वापस आने की कार्यवाही कर रहा था इस कारण आज मैं बहुत बिजी था, मुझे अपने जन्मदिन की भी याद नहीं रही और आपका फोन भी नहीं उठा पाया! लेकिन—– आपके “विश्वास की डोर” को मैं टूटने नहीं दूंगा! आयुष अपने माता-पिता से बोलता है आपको मेरे ऊपर पूरा विश्वास था ना कि मैं वापस आऊंगा!

अपने देश में, अपने शहर में रहकर सबका इलाज करूंगा! विदेश से लिवर का एक्सपर्ट डॉक्टर बनकर आ रहा हूं, यह सुनकर आयुष के माता-पिता और छोटी बहन खुशी से झूम उठते हैं और अपने मोहल्ले बालों को बताते हैं मोहल्ले वाले भी प्रसन्न हो जाते हैं।

आज एक बहुत बड़ी खुशी का दिन था। अभी तक ऐसा नहीं हुआ था!—— जो भी बच्चे विदेश गए वह वहीं बस के रह गए 2 दिन बाद आयुष आने वाला था सभी लोग अपने घरों को और मोहल्ले को फूलों से सजा देते हैं और आयुष के आने का इंतजार करते हैं।

आखिर वह दिन आ ही जाता है जब आयुष अपने घर वापस आ जाता है।  आज माँ के विश्वास की जीत हुई थी, और आयुष ने भी अपने माता-पिता के “विश्वास की डोर” को टूटने नहीं दिया!— सबके मुंह से एक साथ निकलता है आज हमारे शहर को एक योग्य डॉक्टर तो मिला जिसकी सोच भी अपने देश के लिए है।

 सुनीता माथुर

  मौलिक रचना 

 पुणे महाराष्ट्र

Leave a Comment

error: Content is protected !!