बहू भी इंसान होती है रोबोट नहीं – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

अलार्म की आवाज सुनकर मेनका की आंख खुल गई इस समय सुबह के 5 बजे थे उसका उठने का मन नहीं कर रहा था उसे कल रात सोने में बहुत देर हो गई थी ननद ने अपने बेटे का जन्मदिन यहीं अपने मायके में बनाया था केक से लेकर खाने का सभी सामान घर में उसे ही बनना पड़ा था फिर मेहमानों के जाने के बाद रसोई की साफ-सफाई और बिखरे सामानों को रखना उठाना करते हुए

उसे रात के 1-30 बज गए थे। मेनका फिर करवट बदल कर सो गई दोबारा जब उसकी आंख खुली तो सुबह के सात बज चुके थे वह जल्दी से बिस्तर छोड़कर बाथरूम में चली गई थोड़ी देर बाद वह तैयार होकर जब कमरे से निकलने लगी तो मन ही मन सोच रही थी कि,आज उसका स्वागत सासू मां के तानों से ही होगा

और ननद रानी आग में घी का काम करेंगी। मेनका कमरे से निकलकर सीधे रसोई की ओर चली गई जैसे ही वह रसोई के दरवाजे पर पहुंचीं तो उसे अपनी ननद की आवाज सुनाई दी जो उसकी सास से कह रही थीं मां आपने अपनी बहू को जरूरत से ज्यादा छूट दे दिया है यह समय है बहू के उठने का अभी तक महारानी जी सो रहीं हैं उन्हें इतनी भी चिंता नहीं है

कि,अगर वह समय पर नहीं उठी तो सास ननद को चाय बनानी पड़ेगी। क्या उसकी मां ने कोई संस्कार नहीं दिए हैं उसे इतनी तमीज तो होनी चाहिए की वह सुबह घर में सबके उठने से पहले उठें हर बहू अपनी ससुराल में यही करती है। मैंने देखा है आप भी तो घर में सबसे पहले उठाती थीं और आज कल की लड़कियों को देखो उन्हें कोई शर्म ही नहीं है

सूरज सिर पर चढ़ आया है और महारानी जी अभी तक अपने कमरे से बाहर नहीं आई हैं तुम ठीक कह रही हो मोना मुझे मेनका की लगाम कसनी पड़ेगी नहीं तो वह हमारे सिर पर चढ़कर नाचेगी अभी तो नई नई है तब यह आलम है थोड़े दिनों बाद तो वह और भी ढीठ हो जाएगी पड़ोस की मिसेज पाटिल की बहू को देखो सुबह सूरज निकलने के एक घंटे पहले उठ जाती है ।

एक हमारी बहू है जो आठ बजे से पहले बिस्तर नहीं छोड़ती मेरी तो किस्मत ही फूट गई जो ऐसी बहू मिली मेनका की सास ने अपनी बेटी से कहा।  मां जब अपना सिक्का ही खोटा हो तो परखने वाले का क्या दोष लव-मैरिज करके लाया है आपका बेटा तो बहू आपकी इज्ज़त कहां करेंगी

मेनका की ननद मोना ने मुझे बनाते हुए कहा। मेनका अपनी सास ननद की बात सुनकर स्तब्ध रह गई उसकी शादी को एक साल हो गया था वह जबसे शादी करके ससुराल आई थी तब से लेकर आज तक वह सुबह सबसे पहले उठाती है

और घर का हर काम करती है उसकी सास ने उसके आने के बाद घर में काम करने वाली रानी की भी छुट्टी कर दी थी नौकर के नाम पर राधा अम्मा ही थी जो सिर्फ़ बर्तन धोने का काम करतीं हैं उनसे ज्यादा काम नहीं हो पाता है। रानी जो घर के दूसरे काम करती सासू मां ने मेनका के आने के बाद उसे नौकरी से निकाल दिया था।

मेनका सुबह से लेकर शाम तक पूरे घर का काम अकेले ही करती थी उसने कभी भी कोई शिकायत नहीं की ननद की शादी उसी शहर में हुई थी वह अकसर अपने परिवार के साथ मायके आ जाती यहां खाना भी खाती और रात का खाना पैक करा कर ले जाती इस बार उनके बेटे का जन्मदिन भी घर में ही मनाएं जाने का निर्णय लिया गया

और खाने से लेकर केक तक की जिम्मेदारी मेनका को सौंप दी गई मेनका ने सब खुशी खुशी किया। आज थकान के कारण उसको उठने में देर हो गई तो उसके किए कराए पर उसकी सास ननद ने पानी फेर दिया क्या उसे थकान नहीं लगती वह इंसान नहीं रोबोट है। अपनी सास ननद की बात सुनकर मेनका के चेहरे पर गुस्से की लहर दौड़ गई

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उसने कहा कुछ नहीं अपने को संयमित किया और रसोई में आ गई उसे अचानक आया देखकर उसकी ननद सकपका गई मेनका ने उनकी ओर ध्यान ही नहीं दिया उसने अपने लिए एक प्याला चाय बनाई और उसे लेकर वहां से जाने लगी। उसे वहां से जाते हुए देखकर सास ने तमक कर कहा, कहां चल दी महारानी जी नाश्ता कौन बनाएगा?

मां जी मेरी मां ने कोई संस्कार नहीं दिए हैं इसलिए मैं आराम करने जा रही हूं मुझे थकान लगी है इसका कारण आपकी बेटी है अब आप लोग अपने लिए नाश्ता बना लीजिए मेनका ने कहा और वहां से जाने लगी।  बड़ों से ज़बान चलाना क्या यही संस्कार दिए हैं तुम्हारी मां ने, मैंने अपने बेटे का जन्मदिन अपने मायके में मनाया है तुम्हें बुरा क्यों लग रहा है

अभी मेरे माता-पिता जिंदा हैं तुम कौन होती हो मुझे ताना देने वाली ननद ने गुस्से में कहा  दीदी यह आपका मायका है यह मैं भी जानती हूं मैं भी इस घर की बहू हूं कोई नौकरानी नहीं मुझे भी थकान लगती है इंसान हूं कोई रोबोट नहीं की आप लोगों ने बटन दबाया और काम हो गया मैं हर दिन घर का पूरा काम करतीं हूं कभी कोई शिकायत नहीं करती

मैंने खुशी खुशी जन्मदिन का सारा काम किया आप लोगों के बाद मैं सोने गई आज सुबह नींद जल्दी नहीं खुली तो आप लोगों ने मेरे माता-पिता के संस्कारों पर उंगली उठा दी आप अपनी ससुराल में कितना काम करती हैं आए दिन यहां चली आती हैं जिससे आपको अपने ससुराल में काम न करना पड़े आपने जीजाजी से पैसा लिया और कहा कि,

आप होटल में जन्मदिन मनाएंगी पर यहां सब कुछ मेरे मत्थे मढ दिया मैंने वह भी किया आपको मेरा अहसान मानना चाहिए पर आप तो अहसान मानना दूर मेरे संस्कार पर प्रश्नचिन्ह लगा रहीं हैं अगर अच्छा करने के बाद भी बुराई मिलनी है तो मुझे अब अच्छा नहीं बनना है मैं अब उतना ही काम करूंगी जितना आसानी से कर सकतीं हूं

मैं इंसान हूं कोई कठपुतली नहीं मेनका ने गुस्से में कहा बहू बिल्कुल ठीक कह रही है तुम दोनों मां बेटी ख़ुद तो कोई काम करती नहीं हो बस दिन भर बैठकर बहू पर हुकूम चलाती रहती हो वह खुशी खुशी सभी काम करती है जिससे तुम दोनों ख़ुश रहो पर तुम्हें तो बहू को अपमानित करने का बहाना चाहिए कल रात सारा काम ख़त्म करने के बाद बहू अपने कमरे में गई

थकान के कारण आज सुबह उठने में देर हो गई तो तुम दोनों बहू के संस्कार पर उंगली उठाने लगी। जबकि संस्कार तो तुमने अपनी बेटी को नहीं दिए हैं बहू की मां ने तो अपनी बेटी को बहुत अच्छे संस्कार दिए हैं वरना कोई दूसरी लड़की होती तो कब का तुम्हारी बेटी का यहां आना बंद करा देती कान खोलकर सुन लो तुम दोनों आज के बाद कोई भी बहू के साथ ग़लत व्यवहार नहीं करेगा

वह उतना ही काम करेगी जितना आसानी से कर सकती हैं वह इस घर की बहू है नौकरानी नहीं मैं बस कुछ देखते हुए भी चुप था पर आज तुम दोनों मां बेटी ने मुझे बोलने पर मजबूर कर दिया बहू भी किसी की बेटी है अगर तुम्हारी बेटी के साथ उसकी ससुराल वाले ऐसा ही व्यवहार करें तो तुम्हें कैसा लगेगा और मोना तुम को तो बहू से ऐसा बोलने का कोई अधिकार ही नहीं है

पहले खुद को देखो तुम कितना अपने ससुराल वालों की सेवा करती हो तब अपनी भाभी पर उंगली उठाओ अगर तुम आज अपनी भाभी के साथ अपने सम्बन्ध अच्छे नहीं रखोगी तो हमारे न रहने के बाद तुम्हारा मायका ख़त्म हो जाएगा

आगे जैसा तुम करोगी वैसा ही पाओगी इतना कहकर मेनका के ससुर चले गए मेनका भी उनके पीछे-पीछे वहां से चली गई। मेनका की सास और ननद एक-दूसरे का मुंह देखती रह गई ।

  अपने पिता की बात सुनकर मोना का चेहरे पर शर्मिंदगी के साथ साथ गम्भीरता के भाव भी दिखाई देने लगे थे वो मन ही मन सोच रही थी कि,आज उसके पिता ने उसे आईना दिखा दिया है अगर वो अभी भी नहीं बदली तो आगे चलकर उसका मायका उसके लिए पराया हो जाएगा

मोना को अपनी ग़लती समझ आ गई थी और मेनका की सास भी मन ही मन सोच रही थी अगर उन्होंने अपना रवैया नहीं बदला तो वो दिन दूर नहीं जब उनकी बहू उनका सम्मान करना छोड़ देंगी।
यही सोचते हुए मेनका की सास ने अपनी बेटी से गम्भीर लहज़े में कहा,

“मोना आज के बाद तुम अपनी जिम्मेदारियों को खुद उठाओगी अपनी कोई भी जिम्मेदारी बहू पर नहीं डालोगी अब मैं तुम्हारे किसी भी ग़लत फैसले में तुम्हारा साथ नहीं दूंगी वरना तुम्हारे साथ साथ मैं भी बहू की नजरों में अपना सम्मान खो दूंगी “

” मां मुझे अपनी ग़लती का अहसास हो गया है मैं अभी जाकर भाभी से माफी मांग लूंगी और आगे से कभी भी उनका अपमान नहीं करूंगी और न ही उन पर अपना व्यक्तिगत काम करने का दबाव डालूंगी ” मोना ने अपनी मां से कहा


” यही हमारे लिए ठीक रहेगा मुझे भी बहू से माफी मांगनी होगी मैंने उसका और उसके मम्मी पापा का अपमान किया है उसके संस्कारों पर अंगुली उठाई है जबकि उसकी कोई ग़लती नहीं थी ” मोना की मां ने कहा और फिर वे दोनों मेनका के कमरे की ओर बढ़ गई।

डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित अयोध्या उत्तर प्रदेश

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