” बहु, मुझे चक्कर आ रहे हैं ।
तुम्हारे पापा ( ससुर जी ) को एक ग्लास गर्म पानी दे देना । उन्हें दवा खाना है ।”
कहते हुए जैसे ही रमा देवी किचन की चौखट से जैसे ही बाहर निकलीं , वे अपने-आप को सम्हाल नहीं पाईं और चक्कर खाकर धड़ाम से गिर पड़ीं ।.
आवाज सुनकर अंदर कमरे में बिमार पड़े प्रेमकिशन बाबू खांसते हुए बाहर आए और पत्नी को यूं गिरे हुए देखकर अपनी बहु को आवाज देने लगे उठाने में मदद के लिए ।
हाथ में मोबाइल पकड़े और कानों में इयर फोन लगाए बहु निशा अपने कमरे से सिर्फ झांककर वापस चली गई । यह देखकर कभी मुंह ना खोलने वाले प्रेमकिशन बाबू के मुंह से भी एक तरह से बद्दुआ ही निकल गई ,
” तुम अनदेखा कर दो लेकिन भगवान सब देखते हैं बहु!”
फिर वे किचन से पानी लाकर पत्नि के चेहरे पर छींटें मारे । रमा देवी को होश आया तो कमजोर नजरों से चारों ओर देखकर केवल इतना ही बोलीं ,
” बहु के कानों में आवाज नहीं गई ====?”
पत्नी की आंखों में आंसू देखकर प्रेमकिशन बाबू की आवाज भी भर्रा गई।
प्रेमकिशन बाबू उन्हें चुप रहने का इशारा कर
हाथों का सहारा देकर वह कमरे में ले गए और आराम करने की सख्स हिदायत देते ।
रमा देवी के मुंह से भी निकल गया ,
” भगवान सब देख रहे हैं बहु ,
जिसे हमने बेटी समझा वह तो परायों से भी बदतर व्यवहार करने लगी है । अब हमारा बुढ़ापा लगता है ऐसे ही बितेगा ।”
भविष्य के विषय में सोचकर दोनों पति – पत्नी की आंखों से अश्रुधारा बह निकले ।
“राहुल से कुछ ना कहना ।
बेकार में परेशान होगा ।
उसके सामने तो इसका व्यवहार ठीक ही रहता है !
.बस उसके घर से निकलते ही यह अपने असली रूप में आ जाती है ।
यह तो शुक्र है कि हमारे बेटे को हमारी इतनी फिक्र रहती है । वर्ना हम तो जीते जी मर जाते ।”
रमा देवी की आंखों के आंसू थमने के नाम नहीं ले रहे थे ।
राहुल , उन दोनों का इकलौता बेटा है जो दिल्ली के ही एक मल्टीनेशनल कम्पनी में ऑफिसर है । राहुल और निशा की अभी छः महीने पूर्व ही शादी हुई है । शादी राहुल के पसंद से ही हुई है ।
निशा के बहु बनकर घर आने पर प्रेमकिशन बाबू का पहला शब्द यही था ,
” आज हमें बेटी की कमी नहीं लग रही है ।
तुम इस घर की बहु नहीं,बेटी हो और हमारा सबकुछ तुम दोनों के लिए ही है ।”
आरंभ में निशा के व्यवहार में भी इतना रुखापन नहीं था लेकिन महीने भर बाद ही उसकी एक सहेली किसी एक्जाम के सिलसिले में दिल्ली आई और उन्हीं के घर में हप्ते भर के लिए रुकी थी ।
पता नहीं , उसने निशा को क्या पट्टी पढ़ाई कि उसके रहते ही निशा के व्यवहार में ऐसा परायापन नजर आने लगा था ।
लेकिन आज की घटना से दोनों पति – पत्नी टूट से गए ।
अंततः प्रेमकिशन बाबू ने राहुल को सबकुछ बताने का निश्चय किया ।
” बेटा , तुम थके – हारे ऑफिस से आते हो इसलिए हमने तुम्हें अभी तक कुछ नहीं बताया लेकिन अब पानी सर से ऊपर जा रहा है तो चुप रहना भी मुश्किल है ।”
” क्या बात है पापा ,
जो भी कहना है , आप बेहिचक कहिए। भला मुझसे छुपाने वाली ऐसी क्या बात है =====?”
राहुल अपने माता – पिता की बहुत इज्जत करता है और दिल से उनका ख्याल रखता है । यह अलग बात है कि समयाभाव के कारण वह उनके साथ समय नहीं बिता पाता है ।
प्रेमकिशन बाबू ने आज की घटना का विस्तार से विवरण करते हुए निशा को समझाने की बात कही तो राहुल तुरंत निशा को बुलाकर सब सच उसके मुंह से भी सुनकर उसे स्पष्ट शब्दों में बोला ,
” मेरे माता – पिता मेरे लिए सबकुछ हैं और यदि तुम्हारे किसी भी व्यवहार से वे दुखी होते हैं तो हम दोनों के लिए यह शर्म की बात है और मैं इसके लिए तुम्हें कभी भी माफ नहीं करुंगा ।”
निशा को भी अपनी गल्ती का एहसास हो गया और वह अपने सास – ससुर से माफी मांगते हुए इतना ही बोली ,
” मम्मी जी – पापाजी ,
मैं अपनी दोस्त के बहकावे में आकर जो भी गल्ती कर बैठी उसके लिए आप दोनों मुझे माफ कर दें । मैं भी कितनी बेवकूफ थी ,
आपलोग मुझे अपनी बेटी का दर्जा दिए और मैं ऐसा व्यवहार कर रही थी ।
अब मुझे समझ में आ गया है कि आप लोग भी मेरे मम्मी – पापा ही हैं ।”
कहकर निशा अपनी सासूमां के गले से लग गई ।
सभी एकबार खिलखिलाकर हंस पड़े और इसबार रमा देवी कह उठीं ,
” बहु, भगवान सब देख रहे हैं । उनके घर में देर है , अंधेर नहीं ।”
लेखिका —–
प्रतिभा सिन्हा ।
भागलपुर, बिहार।
#बहू! ये मत भूलो भगवान सब देख रहा है!