” पापा जी , यह दादा जी कब तक हमारे यहां रहेंगे ? बारह वर्षीय शुभम ने अपने पापा से पूछा|
” ये अब यही रहेंगे हमारे साथ | तुम ऐसा क्यों पूछ रहे हो ?” पापा ने शुभम से कहा | ” पापा जी ,मुझे दादा जी अच्छे नहीं लगते| मैं चाहता हूं कि वे जल्द से जल्द यहां से चले जाएं| ” शुभम बोला |
” ऐसा नहीं बोलते| वे तुम्हारे दादाजी हैं |” मम्मी ने कहा |
” पर मैं नहीं चाहता हूँ कि वे यहाँ रहें |” शुभम धीरे से बोला |
” पर क्यों? तुम ऐसा क्यों चाहते हो ? ” पापा ने पूछा |
” क्योंकि दादा जी हमेशा खांसते रहते हैं और मुझे टोकते रहते हैं | बाजार की चीजें ज्यादा मत खाओ | घर का खाना खाओ | रोज दूध पियो | पानी बर्बाद मत करो | अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो | ज्यादा मोबाइल टीवी मत देखो | वीडियो गेम ज्यादा मत खेलो |
थोड़ा बाहर जाकर खेलो | इत्यादि इत्यादि | मुझे अच्छा नहीं लगता है | आप इन्हें वापस गांव भेज दें | ” शुभम पापा से आगे बोला-” दादाजी मुझे काम करने को कहते रहते हैं | कभी पानी मांगते हैं | कभी पेपर , कभी दवा | “
“ये सब तो अच्छी बातें हैं | इसमें बुरा क्या मानना? ” मम्मी ने कहा |
” पर मुझे अच्छा नहीं लगता |” शुभम तुरंत बोला |
” मेरे पास बैठो |” पापा शुभम को अपने साथ सोफे पर बैठाते हुए बोले -“पहले तुम्हारी दादी जिंदा थी तो दादा जी और दादी गांव में रहते थे | वहाँ दोनों को मन लगता था| दोनों को सारा गांव जानता था, पसंद करता था | वह सबसे मिलते जुलते रहते थे और उनका हाल-चाल पूछते रहते थे | साथ ही यथाशक्ति मदद भी करते थे |
सारा गांव उनका सम्मान करता था और सारे गांव से उनको प्यार था | साथ ही खेती-बाड़ी की देखभाल भी करते थे | इसीलिए वे आते तो ज्यादा नहीं रहते थे वापस चले जाते थे | अब तुम्हारी दादी तो रही नहीं | चार महीने पहले वह गुजर गई तो अब दादा जी का देखभाल करने वाला वहां गांव में कोई नहीं है | दादाजी अकेले हो गए इसलिए हम उन्हें यहां अपने पास ले आए |
उनकी तबीयत खराब है | वह तो आना भी नहीं चाहते थे पर उनकी तबीयत खराब होने के कारण हम उन्हें अपने साथ अपने पास यहां ले आए | मैंने उन्हें डॉक्टर से दिखाया है | डॉक्टर ने दवा दिया है | वे जल्द ठीक हो जाएंगे | तब वे नहीं खांसेंगे | ” पापा ने शुभम को समझाया |
” तब वे अपने गांव लौट जाएंगे ” शुभम ने पूछा |
” नहीं ,अब वे हमेशा हमारे साथ रहेंगे|” पापा ने कहा – ” वे मेरे पिता हैं | मैं अब उन्हें अकेले गांव में नहीं रहने देना चाहता | वहां उनकी देखभाल कौन करेगा? यहां हम उनका ध्यान अच्छे से रख पाएंगे|”
” फिर तो उनकी टोका टोकी चलती रहेगी |” शुभम चिढकर बोला |
” शुभम, तुम गलत बोल रहे हो |” मम्मी ने जोर से कहा |
” पर वो ऐसा करते हैं | ” शुभम बोला |
” देखो बेटा , वे तुम्हारे दादाजी हैं | उनके बारे में कुछ गलत मत सोंचो , न गलत बोलो | रिश्तों की मर्यादा को समझो ,उन्हें सम्मान दो | वे तुम्हारे दादाजी हैं और तुमसे बहुत प्यार करते हैं | इसीलिए तुम्हें टोकते रहते हैं | जिस तरह तुम मुझसे प्यार करते हो इसी तरह मैं दादाजी से प्यार करता हूं |
जिस तरह मैं तुम्हारी जरूरत पूरी करता हूं इसी तरह दादाजी ने भी मेरी देखभाल की है मेरी ज़रूरतें पूरी की है | ” पापा ने आगे कहा- ” वे अपने गांव के स्कूल में शिक्षक थे | उन्होंने अपनी शिक्षा, अनुशासन और अच्छी बातों से अनेक बच्चों का भविष्य बनाया है |
मैं जो आज इतना सफल हूं, इतनी सुख सुविधा सम्मान पाया हूं ,तुम्हारी इतनी अच्छी तरह पालन पोषण कर पा रहा हूं तो इस सब का कारण भी तुम्हारे दादा जी हीं हैं | उनकी शिक्षा अनुशासन और संस्कार की बदौलत हीं मैं यह सब कर पाया हूं |
वे तुमसे बहुत प्यार करते हैं और इसीलिए तुम्हें टोकते हैं ,ताकि तुम भी एक योग्य और सफल व्यक्ति बनो|”
शुभम ध्यान से पापा जी की सारी बातें सुन रहा था – ” तो क्या दादा जी की बात मानने से मैं भी आपकी तरह बन जाऊंगा ? ” शुभम बोला |
” तुम दादाजी की बातें मानोगे तो मुझ से भी अच्छे और बड़े बनोगे | जीवन में बहुत सफलता पाओगे | ” पापा जी शुभम के सिर पर हाथ फेरते हुए बोले-” एकदिन तुम भी मेरी तरह बडे़ होगे और उसके बाद दादाजी की तरह बूढ़े होगे , तब क्या तुम नहीं चाहोगे की तुम्हारे बच्चे , बुढापे में तुम्हें अपने साथ रखें, तुम्हारा सम्मान करें, ध्यान रखें? “
” अगर ऐसी बात है तो फिर आप दादाजी को यहीं रखिए | मैं उनकी सारी बातें मानूंगा| ” शुभम झट से बोला |
” दादा जी को कोई गंभीर बीमारी नहीं है | वह जल्द ही ठीक हो जाएंगे | तब तुम उनके साथ पार्क में घूमने खेलने भी जा सकते हो | उनसे अपनी पढ़ाई में मदद भी ले सकते हो | ” पापा ने कहा |
” यह तो बहुत अच्छी बात है | मैं ऐसा ही करूंगा | ” शुभम बेहद खुश होकर बोला |
” हाँ, यह ठीक है | तुम बहुत समझदार हो |” हंसते हुए मम्मी ने उसे प्यार से गले लगा लिया |
डॉक्टर की दवा और उचित देखभाल से दादाजी शीघ्र ही ठीक हो गए | शुभम ने उनसे दोस्ती कर ली | उनकी बातें मानने लगा | दोनों एक दूसरे से बेहद खुश थे | दादा जी को शुभम के रूप में उनके बुढ़ापे का सहारा मिल गया और शुभम को दादाजी के रूप में एक मार्गदर्शक | दोनों एक दूसरे का पूरा-पूरा साथ देते |
शुभम दादा जी के सारे छोटे-मोटे काम कर देता- जैसे पानी पिलाना ,दवा उठा कर देना, अखबार पढ़ने के लिए देना ,उनका मनपसंद चैनल लगा देना | दादा जी के साथ पार्क जाता, मंदिर जाता | दादाजी भी उसका पूरा ध्यान रखते| उसकी हर समस्या का समाधान करते |
अच्छी-अच्छी बातें सिखाते | उसे होमवर्क बनाने और पढ़ाई करने में मदद करते | उनकी सहायता से शुभम अपनी पढ़ाई में दिनों दिन प्रगति करता गया | उसका रिजल्ट बेहतर होता गया |
इस बात को कई वर्ष हो गए | दादाजी स्वर्ग सिधार गए पर उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन से शुभम बेहद अच्छा और सफल इंसान बना | उसने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई बहुत अच्छे से पूरा किया और एक बहुत बड़ी कंपनी में उच्च पद पर काम करने लगा |
उसकी शादी हो गई | दो बच्चे हुए,एक लडका,एक लडकी | वह रिश्तों की मर्यादा और परिवार का महत्व अच्छी तरह समझ गया था | अपने माता-पिता का पूरा सम्मान करता | अपने परिवार का पूरा ध्यान रखता | साथ हीं वह हमेशा अपने दादाजी को याद करता, अपने बच्चों को उनके बारे में बताता और अपनी सफलता का श्रेय दादा जी को देता था |
# रिश्तों की मर्यादा
स्वलिखित और अप्रकाशित
सुभद्रा प्रसाद
पलामू, झारखंड |