गहन दुख और पीड़ा के इस क्षण में होते हुए भी नीतू इस बात पर हैरान थी कि ऐसे दुख के समय में उसके नंदोई घर के एक कोने में जाकर किसी से खूब हंस-हंसकर बात कर रहे थे।
फिर वह इस बात को जल्दी ही भूल भी गई क्योंकि अपने पति राजेश को खो देने से बड़ा दुख क्या हो सकता है।राजेश को लिवर सिरोसिस हुआ था। डॉक्टर ने बहुत कोशिश की लेकिन राजेश को बचा न सके।नीतू और राजेश के दोनों बच्चे बेटा आरव 10 वर्ष का और बेटी काजल 6 वर्ष की बहुत ही दुखी थे।
नीतू की ननद भी गुजर चुकी थी लेकिन तब भी नंदोई रमेश का इस घर में आना जाना बहुत था। नीतू की सास उन्हें बहुत मानती थी वह कहती थी की” बेटी नहीं है तो क्या हुआ,दामाद जी से कैसे रिश्ता तोड़ दूं, वह तो इतने अच्छे इंसान हैं।”
उनका एक ही बेटा था जो की हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रहा था वह लगभग 16-17 वर्ष का था। स्वयं नीतू भी नंदोई जी का बहुत आदर करती थी। वह बहुत सरल व्यक्तित्व के हैं ऐसा सबको लगता था। साधारण कुर्ता पजामा पहनते थे और सबसे आदर से पेश आते थे, खाने पीने के मामले में कोई नखरे नहीं, जो दे दो खुशी से खा लेते थे।
सास के मना करने पर भी बच्चों के लिए उपहार आदि लाते थे। राजेश को कभी उन्होंने अपना साला नहीं समझा, दोस्त की तरह व्यवहार करते थे।राजेश की मृत्यु का समाचार सुनकर रो रहे थे।
जब उनकी पत्नी की मृत्यु छत से गिरकर हुई थी तब भी बहुत रोए थे और उसके बाद किसी औरत के साथ उनके चर्चे सुनाई दिए थे। तब उन्होंने अपनी सास को यकीन दिलाया था कि ऐसा कुछ नहीं है लोग मुझे बदनाम कर रहे हैं।मेरे बेटे पर क्या असर पड़ेगा इसीलिए मैंने उसे हॉस्टल भेज दिया है।सास,दामाद के आंसू देख कर परेशान थी।
ऐसे इंसान को जब नीतू ने दुख की घड़ी में फोन पर हंसते मुस्कुराते बात करते देखा तो दो पल के लिए सोच में पड़ गई थी।
आज राजेश की 13वीं हो गई थी।सभी लोग जा चुके थे। नीतू बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित थी क्योंकि उसे पता था अब सब कुछ उसे ही संभालना होगा।
उसने B.Ed कर रखा था,इसीलिए कुछ समय बाद उसे अपने बच्चों के स्कूल में ही टीचर की जॉब मिल गई थी। दोपहर में बच्चों के साथ घर आ जाती थी और सुबह के कामों में उसकी सास उसकी बहुत मदद करती थी।
एक दिन जब वह स्कूल से वापस आई तो उसने देखा कि नंदोई जी बैठे हैं,उसने उनका चरण छूकर अभिवादन किया और फिर सबके लिए फुल्के बनाने रसोई में चली गई।सबको खाना खिलाने के बाद उसकी सास और नंदोई बातें करने लगे, नीतू बेटे को ट्यूशन के लिए भेज कर अपनी बेटी काजल को लेकर कमरे में लेटने चली गई।नीतू की आंख लग गई और थोड़ी देर बाद जब उसकी आंख खुली तो काजल वहां पर नहीं थी।
ड्राइंग रूम से नंदोई की आवाज आ रही थी। वह उठकर गई तो देखा कि उसकी सास तो सोने चली गई थी और नंदोई जी ने काजल को गोद में बिठा रखा था और कहानी सुनाने के बहाने उसे गलत तरीके से स्पर्श कर रहे थे। नीतू को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ,,उसने भाग कर काजल का हाथ पकड़ कर खींचा। उसे अचानक आया देख कर नंदोई खिसियानी हंसी हंसता हुआ बोला-” कहानी सुना रहा था बच्ची को” और कहकर वहां से चला गया।
नीतू ने अपनी सास को सब कुछ बताया, तो उन्होंने कहा-” तुम्हें गलतफहमी हुई है बहू, दामाद जी बिल्कुल ऐसे नहीं है बच्ची को गोद में लेकर बैठे थे, तो क्या हुआ? ”
नीतू को रमेश पर संदेह हो चुका था। अब वह बहुत ज्यादा सावधान रहने लगी थी।वह कभी-कभी चाय पानी लेने के बहाने उसके पीछे-पीछे रसोई में भी आ जाते थे,उसे समझ नहीं आ रहा था की सास को उसकी असलियत कैसे दिखाऊं, उसने रसोई में मोबाइल रखना शुरू कर दिया था ताकि समय पढ़ने पर वीडियो रिकॉर्डिंग कर सके।
कुछ दिन बाद वह शाम के समय अचानक आए और सास के साथ बाहर वाले कमरे में बैठ गए। सास ने आवाज लगाई -” बहू पहले पानी लेकर आ और फिर चाय बना ले, दामाद जी आए हैं। ”
तभी नीतू ने सुना-” मां जी, वह स्कूल से थक हार कर आती है पानी मै खुद लेकर आता हूं। ”
नीतू ने तुरंत रिकॉर्डिंग ऑन करके मोबाइल सही जगह पर रख दिया लेकिन वह इंसान इतना शातिर था कि उसने आते ही इधर-उधर देखा और मोबाइल उठाकर उसे ऑफ करने के बाद बोला, ” तुम तो बहुत चालाक हो, मेरी रिकॉर्डिंग करना चाहती थी और फिर उसकी कमर पर हाथ लगाता हुआ बोला तुम्हारी नंद भी रिकॉर्डिंग करना चाहती थी,बेचारी मारी गई,मेरी बात मानोगी,तो तुम्हारी बेटी भी सुरक्षित रहेगी और तुम भी ऐश करोगी।”
यह सुनकर नीतू के तो होश ही उड़ गए। इसका मतलब दीदी को इन्होंने मार डाला। हे भगवान! कैसा बेशर्म हत्यारा है,पर मेरी सांस तो कुछ सुनने को तैयार नहीं,क्या करूं -क्या नहीं,कुछ समझ नहीं आ रहा।
फिर लगभग एक सप्ताह बाद रमेश फिर आया। उसे समय तबीयत ढीली होने के कारण नीतू की सास कमरे में लेटी हुई थी।
नीतू ने धीरे से कहा-” मैंने बहुत सोचा, आपकी बात सही है, आपने सही कहा था,आपकी पत्नी मर चुकी है और मेरा पति, मैं आपकी बात मानने को तैयार हूं परंतु सासू मां का क्या करूं? ऐसा करती हूं पहले इन्हें एक हफ्ते के लिए हरिद्वार भेज देता हूं। ”
रमेश-” एक हफ्ते के लिए क्यों, हमेशा के लिए हरिद्वार भेज देता हूं। ”
डर के मारे नीतू की चीख निकल गई। उसकी चीज सुनकर स अंदर से बोली -” क्या हुआ बहू? ”
नीतू-” कुछ नहीं माँ जी, एक आवारा कुत्ता घर में घुस आया था इसीलिए डर गई। ”
रमेश-” वाह! हमें खड़े-खड़े कुत्ता बना दिया। ” वह वहां से खुश होकर चला गया कि नीतू उसके जाल में फस गई है।
नीतू सोच रही थी कि यह इंसान तो नीचता पर उतर आया है और रिश्तो की मर्यादा भी भूल चुका है।
कुछ दिन बाद काजल का जन्मदिन था।सिर्फ कुछ बच्चों को बुलाकर घर में जन्मदिन मनाया गया, बच्चे छोटे-छोटे सुंदर उपहार लाए थे और रमेश एक सुंदर सा बड़ा टेडी बेयर लाया था जिसे देखकर काजल बहुत खुश हो गई थी, बेचारी बच्ची को क्या समझ।
सारे उपहार शोकेस में सजा दिए गए थे सिर्फ टेडी ही बाहर था क्योंकि वह बहुत बड़ा था।
2 दिन बाद दोपहर के समय रमेश आया। नीतू ने कहा-” मुझे पहले पूरा प्लान बताइए क्योंकि मैं गलत प्लान में शामिल होकर जेल नहीं जाना चाहती। ”
रमेश-” अरे!क्यों डरती हो तुम, मैं क्या आज तक जेल गया हूं। तुम्हारी ननंद का मरना, सबको एक्सीडेंट लगा था या नहीं, बुढिया का भी ऐसे ही लगेगा। ”
नीतू-” आपने कैसे किया था, वह तो छत से गिरी थी। ”
रमेश-” पहले तो मैंने कपड़े सुखाने वाली तारें ढीली कर दी थी और फिर जब वह कपड़े डालने के लिए जरा सा झुकी मैं पीछे से हल्का सा धक्का दिया और वह नीचे जा पड़ी और मैं नीचे अपने कमरे में जाकर सो गया शोर मचने पर बाहर आया।”
नीतू-” पर आपने ऐसा क्यों किया? ”
रमेश-” उसने मुझे दूसरी औरत के साथ रंगे हाथों पकड़ने के लिए मोबाइल से वीडियो बनाने की कोशिश की थी। ”
नीतू ने पूछा -“अब क्या प्लान है? ”
रमेश-” अपने साथ बुढिया को हरिद्वार ले जाकर नदी में धक्का दे दूंगा बस,शोर मचाऊंगा मेरी माता जी को बचाओ,वह बह गई। ”
अब अंदर छुपी नीतू की सास से रुका नहीं गया और वह कमरे से बाहर आ गई रमेश के मुंह पर तमाचा मारते हुए बोली, ” निर्लज हत्यारे, मेरी बेटी को मारकर मेरे सामने शरीफ बनता रहा,मेरी पोती और बहू पर बुरी नजर रखी और मुझे भी मारना चाहता है,। मैं सब कुछ पुलिस को बताकर तुझे जेल में डलवा दूंगी। फाँसी चढ़ावाऊंगी तुझे, तू रिश्तो की मर्यादा भूल चुका है, तुझे तो पुलिस के डंडों से सब कुछ याद करवाऊंगी। ”
रमेश-” अरे,जा जा बुढिया, पुलिस तेरी बात क्यों मानेगी, मैंने तो कुछ कहा ही नहीं है और फिर तेरी अपनी बहू मेरे साथ है तू क्या बिगाड़ लेगी मेरा। ”
तभी अंदर के कमरे से चार-पांच पड़ोसी निकल आए और कहने लगे जो कुछ तुमने कहा है उसकी गवाही हम देंगे।
तभी नीतू ने रमेश के पास जाकर एक जोरदार थप्पड़ उसके मुंह पर मारा और बोली-” तुझे क्या लगा, मैं तेरे साथ हूं,तेरी बातों में आ गई हूं तू तो जेल जाएगा जेल। ”
रमेश ने नीतू के बाल पड़कर जोर से झटका दिया और तभी उसकी कनपटी पर किसी ने रिवाल्वर रख दी। रमेश पुलिस को देखकर हैरान था। तब नीतू ने बताया-” इतनी हैरान क्यों हो रहे हो नंदोई बाबू मैं तुम्हारी बात मानने का नाटक पुलिस के कहने पर ही किया था। एक दिन में आधी छुट्टी में पुलिस स्टेशन गई थी।उन्होंने मुझे काजल का जन्मदिन मनाने को कहा और उसके बाद मैं उपहार जो शोकेस में सजाए थे
तब देखा कि आप उनको चेक कर रहे थे मैं समझ गई कि आप उनमें चेक कर रहे हैं कि कोई कैमरा तो फिट नहीं कर दिया गया है जबकि आपको अपने लाए टेडी बेयर पर कोई डाउट नहीं था।पुलिस ने उसी में कैमरा लगाया था और मुझे एक पर्सनल नंबर दिया था ताकि मैं आपके यहां आने पर उनको सूचित कर सकूं और वे लोग छुपे कैमरे के जरिए आपको लाइव देख सके और सुन सके।”
फिर पुलिस रमेश को ले गई और थर्ड डिग्री से सारे गुनाह कबूल करवाए,रमेश को उम्र कैद हुई। नीतू की समझदारी से सब कुछ ठीक था।,
स्वरचित,अप्रकाशित गीता वाधवानी दिल्ली
#रिश्तों की मर्यादा