“नीता!तुम्हारे विकास भैया का फोन मेरे ऑफिस में आया था तुम्हार भतीजे कुणाल की शादी तय हो गई ,मई में शादी है, हमें बहुत इसरार और सम्मान से ब्याह का न्यौता दे रहे थे!
कह रहे थे “आप घर के दामाद हैं बहन से पहले आप को फोन कर रहा हूं!पता है नीता मुझसे झगड़ा करेगी कि पहले यह खुशखबरी उसे क्यूं नहीं सुनाई! पर आपका मान रखना मेरा फर्ज है!बहन की नाराज़गी तो मैं बर्दाश्त कर लूंगा!”
भई!मैं तो उनकी खुशी में बहुत खुश हूं!अभी से छुट्टी के लिए अप्पलाई कर देता हूं”!नीता के पति विवेक ने चहकते हुए कहा!
नीता ने तुनकते हुए जवाब दिया”हुंह!” विकास भैया के घर शादी”
अपने जैसे ही कम पैसे वाले समधी ढूंढे होंगे!कोई पैसे वाला ढंग का आदमी तो अपनी लड़की ब्याहने से रहा!
किसी टुच्चे से होटल या धर्मशाला में बारात रुका देंगे!वो भी एक एक दड़बेनुमा कमरे में चार चार लोग!न ढंग से उठ बैठ सको ना तैयार हो सको!
ऐसी बारात किस काम की जिसमें न जाने का मजा ना खाने का मजा!
कुछ देर बाद फिर बोली “यहां से आने जाने का किराया ,मेरे तुम्हारे और बिट्टी के नये कपड़ों का खर्च और ऊपर से बहू की मुंह दिखाई “!
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और बिदाई में विकास भैया देंगे क्या?बस तीनों के कपड़े,फल मिठाई और ज़्यादा से ज़्यादा नेग के लिफाफे!
“अरे भई इकलौते बेटे का ब्याह करेंगे तो भतीजे के ब्याह में बुआ को हीरे के टाप्स ना सही सोने की चेन भी ना मिले तो ब्याह में जाने का क्या मजा?”
इतना तो हमें नेग भी ना मिलेगा जितना ब्याह में टिकाना पड़ेगा!
तुम्हें याद है विकास भैया और भाभी ने पिछली बार जब हम गर्मियों की छुट्टी में उनके घर गऐ थे कैसी सस्ती सी साड़ी मुझे दी थी!”नीता मुंह सिकोड़कर बोले चली जा रही थी!
विवेक बोले”पर मुझे तो बाज़ार ले जाकर भैया ने मेरी पसंद के कपड़े दिलाए थे,और तुम भी शायद भूल रही हो अभी कुछ दिन पहले अपनी किट्टी में उसी साड़ी की तारीफ सुनकर तुम कैसी इठलाती घूम रही थी!
तुम्हें तो हर चीज में नुक्स निकालना है बस!”
नीता फिर बोली”एक विकास भैया और दूसरी तरफ विनय भैया! दो साल पहले क्या ठाठ बाट से अपनी बेटी रीना का ब्याह किया था!”
विवेक बोले”हां याद है पर तुम शायद भूल गई कैसे न्यौता दिया था उन्होंने ब्याह में आने का!कार्ड भेज दिया था वो भी चार दिन पहले!और तुम फोन का इंतज़ार ही करती रहीं!भाभी के रिश्तेदारों को बढ़िया होटल में ठहराया था जिसमें बारात रुकी थी और हमें तुम्हें घर पर ही रुका दिया था!भाभी ने यह कहकर चुप करा दिया था कि घरवालों को होटल में ठहराना क्या अच्छा लगेगा!
भैया भाभी ने सीधे मुँह बात भी नहीं की थी हमसे!मान सम्मान तो एक तरफ!
मैने तुमसे कुछ नहीं कहा क्योंकि मैं तुम्हारा दिल दुखाना नहीं चाहता था पर अपने घर बुलाकर उनका ऐसा व्यवहार ठीक नहीं था!
तुमने अपनी हैसियत भी बढ़कर रीना के लिए सोने का सैट खरीदा था यह कहकर कि भैया भाभी बिदाई में दोगुना देंगे!
याद है भाभी ने रीना के लिए तुम्हारा लाया सोने का सेट देखकर कितनी नाक भौं चढ़ाई थी!और पुरानी रखी हुई साड़ी और कपड़े देकर हमें बिदा कर दिया था!
खैर!मैं उस लेन-देन को लेकर बहस नहीं करना चाहता क्योंकि उपहार लेना देना तो देने वाले की नीयत और इच्छा पर निर्भर करता है!
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मेरा तो तुमसे सिर्फ इतना कहना है कि उपहार की कीमत नहीं देने वाले का दिल देखा जाता है!
विकास भैया कम पैसे वाले सही पर जब भी हम उनके घर गए उन्होंने हमें सर आँखों पर बैठाया!हमारे खाने पिलाने,घुमने घुमाने में कभी कोई कसर नहीं छोड़ी!
किसी के देने लेने से घर नहीं भरता,जहां प्यार और मान सम्मान मिले वहां जाने में जो खुशी मिलती है वह छप्पन भोग परोसने या महल अटारी में ठहराने से भी नहीं मिल सकती!
तुम बस विकास भैया का प्यार भरा निमंत्रण देखो!वे क्या देंगे क्या लेंगे इसे छोड़कर ब्याह में जाने की तैयारी करो!अरे इकलौते भतीजे की शादी है नाचो गाओ,मौज मनाओ!”
इसी बात पर चलो बाज़ार एक बढ़िया सी साड़ी खरीद कर लाते हैं जिससे पूरी शादी में हमारी नीता रानी ही चमकें!
विवेक की बात सुनकर नीता की आँखों में आंसू आ गए वह बोली” तुमने मेरी आंखें खोल दी!सचमुच में विकास भैया भाभी के प्यार को मैंने उपहार के लेने देने के तराजू में तोलकर देखा!मैं कितनी गलत थी!पैसा रूपया तो हाथ का मैल है,दौलत तो आनी जानी है!मैं बहन-भाई के रिश्ते के बीच लेन-देन के लालच की दीवार खड़ी कर रही थी भूल गई थी कि जीवन पर्यंत तो प्यार भरे रिश्ते ही साथ चलते हैं!
भाई भाभी के लेन-देन को अगर मैं अपने दिल में गिरह की तरह बांध लेती तो शायद उम्र भर मायके को तरस जाती!”
विकास के दिल को बहुत राहत मिली,भले देर से ही सही नीता को समझ तो आई!
जो लोग रिश्तों में प्रेम प्यार को न देखकर उपहारों के लेन-देन के तराजू से तौलते हैं उनके लिए कोई भी रिश्ता अपनत्व नहीं बल्कि व्यापार बनकर रह जाता है!
कुमुद मोहन
स्वरचित-मौलिक
#उपहार की कीमत नहीं देने वाले का दिल देखा जाता है!