अहंकार एक दिन सबको ले डूबती है रामु पढ़ा लिखा एक समझदार व्यक्ति था रामु के साथ भरा पूरा परिवार था रामु एक स्कूल में सिक्षक था बचपन से ही जिद्दी किस्म का इंसान था वो जो भी ठान लेता था वही काम करता था रामू को साफ सुथरी चीजें पसंद थी उसके अनुसार अगर कुछ नहीं होता था
तो रामु बहुत ही ज्यादा गुस्सा हो जाता था देखते ही देखे रामु शादी करने लायक हो गया घर वाले रामु को शादी करने के लिए मानाने लगे लेकिन रामु अपने ही जिद्द पर अरा रहा मैं शादी करूंगी तो उसी से जो सबसे सुंदर होगी वरना मुझे क्या मैं ऐसे ही ठीक हूं,, मां-बाप के लाख समझाने पर भी रामु ने
किसी की बात नहीं सुनी रामु को अपने सुंदरता और अपने कामों पर बहुत ही ज्यादा अहंकार था अपने अहंकारों में वो किसी भी रिश्ते का मान नहीं रखा ,देखते ही देखते कई साल बीत गए रामु ने शादी नहीं किया क्योंकि उसके पसंद की कोई लड़की मिली ही नहीं,
इधर रामु के मां-बाप और एक बड़े भाई भी गुजर गए ,रामु के सारा परिवार छिन्न भीन्न हो गया कहां हंसता खेलता परिवार था और कहां सन्नाटे से भरी हुई माहौल बन गई ।। देखते ही देखते सभी लोग अपने-अपने कामों में लग गए रामू भी नौकरी पर चला गया कभी कबार गांव लौटता था
बाकी परिवारों से मिलने के लिए कुछ दिन रहता था फिर चला जाता था ,समय बीतते देर नहीं लगती है समय तो यूंही चलता रहता है चलते चलते एक तीन ऐसा हुआ की रामू बहुत बीमार पड़ गया फिर रामु के परिवार वाले काफी देखभाल करने लगे लेकिन रामु अपने स्वभाव से बड़े ही अकरु टाइप इंसान थे
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उसके स्वभाव के कारण सभी लोग गुस्सा रहते थे फिर भी परिवार ऐसी परिस्थितियों अकेले कैसे छोड़ देते सभी लोगों ने खूब सेवा की लेकिन रामु के अहंकार कम ही नहीं हो रहे थे धीरे-धीरे सभी लोग रामु से नाराज होने लगे इधर रामु की ऐसी स्थिति हो गई कि वो ना जी पा रहे थे ना मर पा रहे थे
बस कस्टों से भरी जिंदगी जी रहे थे, रामु ने पैसों की दम पर दो दो नौकर रख लिए लेकिन नौकरों के साथ भी दुर्व्यवहार करने लगे वह नौकर भी रामु को छोड़कर चला गया फिर भी रामु को समझ नहीं आ रहा था कि अहंकार नहीं करनी चाहिए हमें, इधर रामु के सभी रिश्तेदारों ने बातचीत करना भी बंद कर दिया
रामु मन ही मन सबसे नफरत करने लगा लेकिन अपने अंदर का अहंकार नहीं देख पा रहा था समय के साथ-साथ आज के दिन रामु का स्थिति ऐसा है कि खाना तो बहुत दूर की बात एक ग्लास पानी देने वाला भी कोई नहीं है बीमार रामु सब कुछ घर में ही करता है ,वो रामु जिसे सिर्फ साफ सुथरा पसंद था गंदगी से नफरत थी
वो रामु आज गंदगियों के साथ अपना जीवन व्यतीत कर रहा है क्योंकि वो शरीर से लाचार हैं और में अहंकार भरा पड़ा है रामु अपनी अहंकारों की वजह से आज ये हाल में है सब के रहते हुए सब कुछ रहते हुए भी अकेला है कुछ नहीं है उसके पास रामु ने अहंकारों में इतना डुबा हुआ था की सारे रिश्ते नाते को खो दिया रामु का ये अहंकार शायद रामु के अर्थी के साथ ही खत्म होगी बहुत अहंकार है।।
अदिति सिंह