फूटी आंख न भाना – अमित रत्ता : Moral Stories in Hindi

मां बाप की जिद्द के आगे न चाहते हुए मानव कुछ बोल न  सका और मनप्रीत से शादी करने को तैयार तो हो गया मगर दिल से अपनाने को नही।

मानव ऊंचा लंबा कद एक दम हीरो के माफिक दिखने वाला गबरू जवान था। अच्छा पढ़ा लिखा होने के साथ साथ संस्कारी भी था। उसके पिता ने उसका रिश्ता अपने एक पंजाबी दोस्त की बेटी से तय कर दिया। दोनो दोस्त नही भाइयों की तरह थे एक दूसरे के लिए जान देने वाले। मानव की मां भी इस रिश्ते से खुश थी

क्योंकि वो मनप्रीत को बचपन से जानती थी अक्सर दोनो परिवार एक दूसरे के घर आया जाया करते। मनप्रीत का स्वभाव बहुत ही सरल था नयन नक्श भी बहुत सुंदर थे बडो का आदर सम्मान और संस्कार कूट कटकर भरे हुए थे बस कमी थी तो ये की उसका रंग सांवला था और कद थोड़ा छोटा।

मानव को मनप्रीत फूटी आंख नही भाती थी मगर माँ बाप की जिद्द और मनप्रीत के घर से पुराने संबन्धों के आगे शादी करने को मजबूर था। दोनो की शादी तो हुई मगर मानव ने मनप्रीत को कभी मन से नही अपनाया

वो उसके साथ चलने में शर्म महसूस करता अपने दोस्तों के साथ या किसी विवाह शादी पार्टी में भी जाता तो तनु से दूरी बनाकर रखता। मनप्रीत को ये सब बुरा तो लगता कभी कभी वो पास आने की कोशिश भी करती मगर मानव उसके प्यार को समझ कर भी नासमझ बनने की कोशिश करता।

कुछ दिन बीते मानव अचानक बीमार हो गया उसकी बीमारी दिन प्रतिदिन बढ़ती गई और सूखकर एकदम दुबला पतला हो गया गाल पिचकने लगे सर के बाल झड़ गए और वो जवानी में ही बूढ़ा दिखने लगा। आसपास के डॉक्टर से इलाज करवाता रहा मगर कोई फर्क न पड़ा उसकी बीमारी गम्भीर होती गई

मगर इस हालत में भी मनप्रीत ने उसका साथ एकपल के लिए भी नही छोड़ा मनप्रीत दिनरात उसके पास बैठी रहती अपने हाथों से उसे खाना खिलाती उसकी टांगे दबाती और अपने आंसू छुपाकर उसे सांत्वना देती की जल्द ही ठीक हो जाओगे। टेस्ट करवाया तो पता चला उसकी दोनो किडनी खराब हो चुकी थीं

अगर जल्द ही न बदली गई तो बहुत मुश्किल हो जाएगी। मनप्रीत ने बिना कुछ सोचे अपनी एक किडनी मानव को देने का फैंसला किया डॉक्टरी परीक्षण के बाद उसकी किडनी मैच होते ही मानव को ट्रांसप्लांट कर दी गई। थोड़े ही दिन में मानव बिल्कुल स्वस्थ हो गया उसकी आँखों मे एक पश्चाताप का बोझ था

क्योंकि अब उसे समझ आ गया था कि प्यार रंग रूप कद या मोटा पतला होंने से नही बल्कि रूह से होता आत्मा से होता है। कोई कितना भी सुंदर हो मगर जो मन से सुंदर है उससे ज्यादा सुंदर कोई नही होता।

दुनिया क्या सोचेगी ये सोचने की बजाय अपना जीवन साथी क्या उपेक्षा करता है ये सोचें क्योंकि बुरे बक्त में दुनिया नही अपना ही काम आता है। अब मानव की दुनिया बदल चुकी थी मानव के लिए मनप्रीत ही उसकी दुनिया थी।

               अमित रत्ता

       अम्ब ऊना हिमाचल प्रदेश

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