शादी – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

हां तो भाई साहब हो गयी सारी तैयारी शुभी के ब्याह की….??

हां शंभू बाकी तो सब हो गया अभी गेस्ट हॉउस को लेकर मन बड़ा असमंजस में हैँ….

असमंजस की क्या बात इसमें …. और गेस्ट हॉउस…. आप तो यहीं कॉलोनी में ही शादी करने की बोल रहे थे ना …. कि यहीं टेंट लग जायेगा….. खूब जगह हैँ…..

नहीं यार शंभू….. वो जो सामने गरीब बस्ती हैँ ना … वहां कल ऐसे ही टेंट लगाके शादी हो रही थी… और वो रोड पर जो वीआईपी गेस्ट हॉउस हैँ ना  वहां भी अपने शुक्ला की बेटी की शादी थी…. तू तो आया नहीं पर जितने भी लोगों से वहां मिलना हुआ सब यहीं बोले कि इन बस्ती के गरीब लोगों ने तो कॉलोनी की रेपोटेशन गिरा दी हैँ… रोड पर टेंट लगा लेते हैँ…… जब गेस्ट हॉउस नहीं कर सकते तो शादी ही क्यूँ करते हैँ…. पता नहीं कहां से परमिशन मिल ज़ाती हैँ इन्हे ….

शंभू वहां मौजूद सभी लोग सहमत थे विनायक जी की बात से….

उनकी बात सुन मेरे हाथ में रखा रसगुल्ला मेरे गले के नीचे ना उतरा … चला आया मुंह लटकाकर ….

कोई भी गेस्ट हॉउस दस लाख से कम में बुक नहीं हो रहा…. ऊपर से लड़के को गाड़ी देनी हैँ… बाकी सामान… खर्चा …. क्या करूँ ….

भाई साहब …. हम सबकी शादी वहीं गांव में रोड पर टेंट लगाके ही होती आयी हैँ….. क्या हमारी नाक कट गयी…. बाऊ की का नाम ही काफी हैँ वहां तो…… और वो बबलू ताऊ की लाली का ब्याह छह महीने पहले गांव से ही  तो हुआ था…. लग ही नहीं रहा था की रोड पर टेंट लगा हैँ… क्या सजावट करवाई थी ताऊ जी ने….

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दिल खुश हो गया था… कितने पैसे वाले हैँ ताऊ जी फिर भी दिल्ली से गांव आकर शादी की…. आप भी गांव से ही कर दीजिये  अगर संकोच लग रहा हैँ यहां से करने में तो….

मैं तो अच्छी ही सलाह दूँगा आपको….. वो मिंटू भाई साहब  ने पिछली साल दिखावे के चक्कर में उस गेस्ट हॉउस से शादी करी ज़िसमें बड़े बड़े  नेताओं की होती हैँ…… पूरे कर्ज में डूब गए थे… कैसे मूँछ ताने खड़े थे…. सब अकड़ ठंडी पड़ गयी उनकी…. ना तो किसी को खाना पसंद आया…. 2000 रूपये की कितनी प्लेटें खराब हुई सो अलग….. अब नमक रोटी खा रहे हैँ कर्ज जो चुकाना  हैँ….. आयें दिन बिमार अलग पड़ ज़ाते हैँ…… चेहरे की हंसी ही गायब हो गयी हैँ उनकी…. तो दूसरों से सबक लीजिये….

पूरी गली गांव की अपने ही परिवार वालों की हैँ….. किसी बड़े गेस्ट हॉउस से कम नहीं ….. बढ़िया सजावट करवा दीजियेगा …..

और बाबा के ब्याह से लेके अब तक के सब ब्याह में खाना बनाने वाले राजन चाचा की कैटर्स  करवा लेना… लोग उंगलिय़ां  चाटते रह ज़ायेंगे….. वो कहावत नहीं सुनी भाई साहब थोथा चना बाजे घना…. तो इन सबके चक्करों में मत पड़िये ….

जो काम बिना टेंशन लिए ख़ुशी ख़ुशी कर पायें वहीं करिये … बाकी लोगों के मुंह कोई नहीं पकड़ सकता…. आप कितना भी अच्छा कर लो…. उन्हे बोलना होगा तो बोलेंगे ही….. अपना बजट देखिये….. और चलिये  गांव……

कह तो सही रहा हैँ शंभू ….. लड़के वाले तो वैसे भी पहले ही कह रहे कि गांव से कर लीजिये … हमें पास पड़ेगा…. बाऊ जी और सब चाचा ताऊ आ जायेंगे बारात में गांव…. उन्हे तो कोई  दिक्कत नहीं….

सुषमा मेरे एक जोड़ी कपड़े रख दे बैग में शंभू के साथ गांव जा रहा हूँ…. तुम लोग भी तैयार रहना… चार दिन बाद गांव ही आ जाना…..

अरे भाई साहब ये हुई ना बात ….. ठीक हैँ 12 बजे की बस से निकलते हैँ…. व्यवस्था भी तो करनी  हैँ एवन  अपनी भतीजी शुभी  के ब्याह  की……

मीनाक्षी सिंह की कलम से

आगरा

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