अपमान – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

पापा के इज्जत का #अपमान #किया है मैने.. बेटी होने का फर्ज मैने नहीं निभाया… ऐसा पापा का कहना है.. पर मैने और नरेन ने पूरे आठ साल इंतजार किया आपकी सहमति का पापा.…

                               आखिर में मुझे मजबूरन कोर्ट मैरिज करनी पड़ रही है पापा… मेरे जीवन के सबसे महत्वपूर्ण दिन में मेरे जनक और मेरी जननी की अनुपस्थिति उनका स्नेहिल आशीर्वाद से वंचित होना उफ़… एक बेटी हीं समझ सकती है… मेरी भावनाओं का मेरे जज्बात का विश्वास का #अपमान #कोई मायने नहीं रखता…

कल कोर्ट मैरिज हो गई… नरेन उसकी मां भाई भाभी बहन बहनोई और मेरी ओर से मेरे साथ पढ़ाने वाले कलीग्स मेरी फ्रेंड और मेरी स्टूडेंट्स थे.. कल विधिवत हल्दी मेहंदी और फिर शादी की रस्में होंगी…

          दो घंटे बाद सहेलियों ने बैचलर पार्टी रखी है… उसमें जाना है… मेरी आंखों के सामने विगत घटनाक्रम घूमने लगे.. आंख बंद करते हीं… मम्मी पापा की मै बड़ी संतान हूं.. मुझसे छोटे दो भाई बहन हैं जो ट्विंस हैं… पापा बिजली विभाग ने एसडीओ, मां बैंक में काम करती थी पर चार साल पहले जॉब छोड़ दीं.. मैं बचपन से हीं पढ़ने में मेघावी थी.. इसके विपरीत मेरे भाई बहन दोनो का मन पढ़ने में बिल्कुल नहीं लगता… मास्टर्स की डिग्री मैने स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स लंदन से ली..

वहीं मेरी मुलाकात नरेन से हुई..फिर बोस्टन यूनिवर्सिटी से पीएचडी की…. इंडिया आकर मैने एलएलबी की डिग्री भी ली.. मैं दो तीन यूनिवर्सिटी में गेस्ट लेक्चरर के रूप में पढ़ाना शुरू किया…मेरे पढ़ाने का सलीका और सादगी ने मुझे स्टूडेंट के बीच फेमस कर दिया…स्टूडेंट मुझे बहुत सम्मान देते थे…नरेन भी इस बीच सेंट्रल यूनिवर्सिटी में लेक्चरर बन गए…इसी बीच कोविड का प्रकोप शुरू हुआ.. मैने ऑनलाइन अपना पढ़ाने का काम शुरू किया.. नरेन मुझे बहुत सपोर्ट कर रहे थे…

मैने पापा मम्मी से नरेन के लिए बोल रखा था.. पापा ने साफ इंकार कर दिया था पर मुझे उम्मीद थी वो जरूर मान जाएंगे… पर… वक्त गुजरता रहा… मैं आर्थिक रूप से संपन्न थी… एक डुप्लेक्स भी अपने नाम से ले लिया था पापा की सहमति से… नरेन के घरवाले मुझे बहुत पसंद करते थे..

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नरेन के पापा जब आशीर्वाद से भरा हाथ मेरे सर पर रखते और कहते नेहा जल्दी से इस घर में आ जाओ तुम्हारी हीं कमी है इस घर को सम्पूर्ण होने में तो मैं शर्म से लाल हो जाती..सीधे साधे लोग थे नरेन के घरवाले.. नरेन के पापा कई बार बोले बात करूं तेरे पापा से पर मैं मना कर देती…

                      इसी बीच दिल का दौरा पड़ने से नरेन के पापा चल बसे… बहुत रोई मै.. उनकी आखिरी ख्वाहिश पूरी नहीं कर पाई मै…

                         नरेन बोले नेहा आठ साल कम नहीं होता तुम पापा से बात करो…

               और इसी बीच पापा मेरे लिए बीपीएससी क्वालीफाई किया हुआ डीएसपी राघव से मेरे इंगेजमेंट की बात तय कर दी थी….. उफ्फ.. कहां मैं उनकी सहमति का इंतजार कर रही थी और कहां ये…. मैने उसी समय घर छोड़ दिया और एक पीजी में चली गई…. कोर्ट में शादी के लिए अर्जी दे दी… अरे दो घंटा कैसे बीत गया… फोन आने शुरू हो गए बैचलर पार्टी के लिए…

            आज मेरी शादी है.. मेरे कलीग्स स्टूडेंट्स लड़की वालों की ओर से हैं और सारी व्यवस्था इन लोगों ने की है… मम्मी छुप कर फोन करती हैं… मैने कार्ड भिजवा दिया है पर कोई नहीं होगा मेरे मायके से.. आंखें नम हो रही है.. नहीं आज मुझे खुश रहना है… पर ये आंसू…

               कितनी अच्छी व्यवस्था की है इनलोगों ने… हल्दी मेहंदी तो खूब धूम धाम से संपन्न हो गई.. रात में फेरे और शादी की रस्में हैं… काश अभी भी पापा मान जाते.. मम्मी पापा कन्यादान करते… निधि जूता चुराती और नमन लावा मिलाने का रसम करता… मन का एक कोना अभी भी उम्मीद पाले हुए है… शायद…

पर नहीं कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता… और कोई नहीं आया मेरे मायके से… सीनियर प्रोफेसर शकुंतला मैम और उनके पति कृष्णकांत सर ने कन्यादान किया… मेरे कलीग सुहास से भाई बनकर लावा मिलाया… फल और मिठाइयां कपड़े सबकुछ इनलोगों ने बिल्कुल अपनी बेटी की तरह तैयारी कर के लाए थे.. मैं भावुक हो गई… रिया मानसी तन्वी आलिया पूजा  अंजू मोनी रेणु सभी ने बहन और सहेलियों से बढ़कर सारी रस्में निभाई.. दूल्हे की जूता भी चुराया गया.. फेरे सिंदूरदान फिर दुल्हा दुल्हन का चूमावन हुआ… नरेन ने मंगलसूत्र पहनाया….

अपने तरफ से उनलोगों ने कोई कमी नहीं छोड़ी… कभी कभी अपने भी पराए हो जाते हैं और पराए भी अपनों से बढ़कर हो जाते हैं…..

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                  कल मौर्या लोक में नरेन के घरवाले रिसेप्सन पार्टी रखे हैं… आज मेरी विदाई हो रही है… सभी की आँखें नम है.. शकुंतला मैम और कृष्णकांत सर बहुत रो रहें हैं जैसे उनकी अपनी बेटी की विदाई हो रही है… सुहास गले लिपटकर रो पड़ा… सभी सहेलियों ने मुझे विदा किया.. नरेन के घर आ गई मै… पापा के तस्वीर को प्रणाम किया आँखें छलक पड़ी.. काश आज पापा होते तो कितना खुश होते मुझे इस घर की बहु के रूप में देखकर..

             रिश्ते मान #अपमान #से परे होते हैं दिल से जुड़े होते हैं पर पापा ने इसे झूठा साबित कर दिया.. मुझे भी सच्चाई को समझना होगा और जीवन में आगे बढ़ना होगा… शायद यही जीवन की कड़वी सच्चाई है… भाभी लहंगा ट्राई करने बोल रही हैं कल रिस्पेशन में पहनना है.. अच्छा चलती हूं जीवन के इस नए इंद्रधनुषी रंग में रंगने.….

     

#अपमान #

Veena singh 

#स्वलिखित सर्वाधिकार सुरक्षित #

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