मन का रिश्ता – डॉ रुपाली गर्ग : Moral Stories in Hindi

चारों तरफ शांति थी बस घड़ी की टिक टिक की आवाज आ रही थी ।हर कोई नेहा  की आंख खुलने का इंतजार कर रहा था ।

नेहा एक खूबसूरत, हंसमुख, लोगों के दिलों में घर बनाना, सबकी परेशानी को अपना बनाना ,बड़ों के साथ बड़ा और बच्चों के साथ बच्चा बन जाना और न जाने क्या-क्या खूबी थी उसमें ।नेहा जिसका कल सुबह एक्सीडेंट हुआ है और वह अस्पताल में एडमिट है ।

अभी सब नेहा के बारे में सोच रहे थे कि अचानक उसको होश आया और वह सब को देखकर बहुत खुश हुई ।

पर अभी वो ऑक्सीजन सपोर्ट पर थी इसलिए डॉक्टर ने उसको आराम करने के लिए कहा । नेहा हॉस्पिटल के कमरे में अकेली  थी उसने सोने की बहुत कोशिश की पर उसको नींद नहीं आई। फिर वह कुछ सोचने लगी। सोचते सोचते,वह जिंदगी के उस पड़ाव पर पहुंच गई जहां से उसकी जिंदगी ने करवट ली थी। नेहा 3  बहने है

खुशी ,सुहानी और नेहा ।  नेहा सबसे छोटी और सब की लाडली है। तीनों बहनें एक से एक सुंदर हैं। जिस आज घर में शादी का मोहाल है सब लोग इधर से उधर जा रहे हैं आज नेहा की दूसरे नंबर की बहन (खुशी )की शादी है। सब बारात जाने का इंतजार कर रहे हैं ।नेहा के चाचा  बंदूक भर रहे हैं, वह वहां हवाई फायरिंग करेंगे ।

सब बहुत उत्सुक है ।नेहा की चाचा से गोली गलती से चल गई और वह नेहा की बहन की सर में जाकर लग गई ।  ली और पूरी दीवार पर खून ही खून लग जाता है और खुशी वहीं गिर जाती है चाचा डर की वहां से भाग गए कहीं उन्हें पुलिस ने पकड़ ना ले । ख़ुशी को ऐसा देखा उसके पापा को  दिल का दौरा आ जाता है और वही खत्म हो जाते हैं ।

एक शादी का माहौल कैसे मातम में बदल गया ,किसी को भी एहसास नहीं था ।एक पल में सब कुछ बर्बाद हो गया। 

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 एक तरफ  बहन  और दूसरी तरफ पापा

… कैसी विडम्बना आई  है ?एक ही पल में घर वीरान हो गया कुछ समझ नहीं आ रहा था ।हंसी कैसे आंसू में बदल गई । इसकी कल्पना करना भी मुश्किल था ।

 नेहा के आगे अभी सवाल था कि उसको बेटी नहीं बेटे का फर्ज पूरा करना है । उसमें न जाने कहां से हिम्मत आ गई। उसने सबसे पहले दीवार को साफ किया फिर अपनी मां और बहन को हिम्मत देते हुए अपने पापा और बड़ी बहन का अंतिम संस्कार किया जो बहुत-बहुत मुश्किल था पर उसने वह बहुत जल्दी से किया । आज एक बेटी ने  बेटे का फर्ज निभाया जो बहुत मुश्किल था।

 उसकी बड़ी बहन सुहानी यह सब देकर बेहोश हो गई । वह पेट से भी थी उसके पति ने जल्दी से उसको अस्पताल में एडमिट कराया ,पर उसकी ब्लीडिंग रुक नहीं रही थी ।

नेहा अपनी मां को हिम्मत दे रही थी जो खुद टूटी हुई थी।  नियति ने यह कौन सा खेल खेला जो एक परिवार बिखर गया ।

एक मां जिसने बहुत कुछ खो दिया ,एक बेटी को तो वह खो चुकी थी और दूसरी अस्पताल में थी । दुख ने फिर से दस्तक दी उसकी दूसरी बेटी भी नहीं रही जो अस्पताल में थी । हे भगवान यह सब क्या हो गया नेहा और उसकी मां को समझ नहीं आ रहा था क्या करें ?  सवालों की कतार उनके सामने आ रही थी। कल तक पूरा घर था और अब सिर्फ दो लोग रह गए ।नेहा और उसकी मां

धीरे धीरे सब लोग  अपने घर चले गए और घर खाली हो गया।

नेहा ने अपनी पढ़ाई पूरी की और मम्मी को लेकर दिल्ली आ गई । वहां उसने नौकरी की और वह अपना और मम्मी का ख्याल रखती । एक दिन अचानक नेहा के सहकर्मी  ने  शादी का प्रस्ताव रखा , तो उसने सीधे-सीधे बोला कि वह शादी उससे करेगी जो उसे और उसकी मम्मी दोनों को अपनाएगा ।

तब लड़के ने कहा मेरी मां नहीं है और मुझे तुम और मां दोनों एक साथ मिल जाएंगे तो मुझे क्या आपत्ति हो सकती है ।बस फिर क्या था , उनकी शादी हो गई और नेहा की मां अब दोनों की मां बन गई अब नेहा को यह सोचते सोचते नींद आ गई और अगली सुबह डॉक्टर ने कहा कि वह पहले से काफी सही है।

 

डॉ रुपाली गर्ग

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