रती एक सर्वगुण सम्पन्न बहु,पत्नी और दो बच्चो की मां थी।उसके पति राजेश एक बिजनेस मैंन थे ।दो बच्चे विशाल और मेघा दसवीं और बारवीं में पढ़ते थे।दोनो पढ़ने में जहीन थे। कुल मिलाकर एक सुखी परिवार था।
दुनिया के लिए सुखी परिवार था परंतु रती की घर में कोई इज्जत नहीं थी पति राजेश अपने बिजनेस में बिजी रहते और उनके पास घर के लिए वक्त नहीं था।घर आते तो बच्चों की बेजा जिद और जरूरतें पूरी करते।
बच्चे भी लाड प्यार में बिगड़कर मां को कुछ ना समझते ।रती बच्चो के लिए खाना बनाती बच्चे बाहर से ऑर्डर कर देते।राजेश के पास वक्त ही ना होता।पर रती को बाते सुनाने का मौका ना छोड़ते।
बच्चे पापा सब रती को कुछ ना कुछ बोलते रहते।अब रती ऊबने लगी थी।पर मां थी बच्चो के लिए बिना सोचे कैसे रहती। एक दिन रती की बेटी मेघा की सहेलियां उसके घर आई ।रती ने बड़े मन से समोसे,पिज्जा और मोमोज बनाए
सभी सहेलियों को पसंद आया पर मेघा का मूड ऑफ था ।सहेलियों के जाते ही मेघा मां पर चिल्ला पड़ी क्या समझती हैं आप बाहर से ऑर्डर कर देती ।अपना बनाया सड़ा सा खाना खिला दिया । मेघा की सहेली आरती अपना बैग भूल गई
वो लेने आई तब उसने सुना मेघा अपनी मां पर चिल्ला रही थीं।रती आरती के सामने यह सब सुनकर बर्दास्त न कर सकी।और अपने कमरे में आकर रोने लगी वो सोच रही थीं कि मैं इन सब के लिए कितना करती हूं पर इनकी नजर में मेरी कोई कीमत नहीं।
यही सोच कर रती ने एक फैसला किया और वो अपना सामान समेटने लगी।शाम को राजेश आने पर राजेश ने उसे कहा क्यों बनती हो बाहर से मंगवा देती।कोई नहीं सुनता समझता
रती यही सोचते सोचते सो गई।अगली सुबह घर में 9:०० बजे काम वाली आई तो उसने घंटी बजाई।रती रती चिल्लाते हुए राजेश ने दरवाजा खोला।घड़ी देखी तो फिर बोलने लगा रती कहा मर गई
आज उठाया भी नहीं।बेटा विशाल बोला आज मेरा मैच था मम्मी ने नहीं उठाया मैं लेट हो गया ।मेघा बोली नाश्ता भी नहीं बनाया।राधा सबका नाश्ता टेबल पर लगते हुए कहती हैं
दीदी कहा है ।राजेश बोला होगी यही कही वो कहा जा सकती है तुम अपना काम करो ।राधा कमरे की सफाई करती है तो उसे एक चिट्ठी मिलती है ।राजेश
मेघा और विशाल तुम्हे तुम्हारी जिंदगी मुबारक हो।में तुम लोगो की जिंदगी पर बोझ हु।राजेश तुमसे शादी करके में अपना अस्तित्व ही भूल बैठी थीं कि मैं भी इंसान हु कुछ हु।आज में सब छोड़कर अपनी।तलाश में जा रही हूं।
मुझे ढूंढने की कोशिश मत करना।अब मैं आपकी दुनिया में वापिस नहीं आओगी।आपकी मॉर्डन लाइफ में मै।कोई मायने नहीं रखती।राजेश और बच्चे एक दूसरे की शकल देख रहे थे।और दूर रती स्कूल में बच्चों को सीखा रही थी आज मैं आजाद हूँ मस्त गगन मै।
स्वरचित
आपकी सखी
खुशी