ससुराल की मिट्टी – सुधीर सोनी : Moral Stories in Hindi

मॉ उन्होंने तलाक़ माँगा है,मुझे पता नहीं वजह क्या है,?

बिना इतला किए ससुराल से अपने मायके आकर ये सब वो अपनी मॉ को बता रही थी।,___

ऐसा क्या हुआ तुझे जो तुम भरी दोपहर में बिना इतला किए यहाँ आई ,  फ़ोन पर भी बोल सकती थी मुझे,…!!

अपनी मॉ से लिपट कर रो पड़ी थी वो बेटी जिसे उसके पिता ने बड़ी धूमधाम से विदा किया था..।

दोपहर का वक़्त था भाई और पिता उस वक़्त घर में नहीं थे

पिताजी एक Govt.कम्पनी में कार्यरत थे और छोटा भाई जॉब पर था,वो दोनो इस बात से पूरी तरह अनभिज्ञ थे क्यूँ की बेटी भी अचानक घर आई थी इसलिए उन्हें मालूम नहीं

मॉ ने लंबी आह भरते हुए अपनी बेटी को गले लगा कर कहा तु चिंता मत कर सब ठीक हो जाएगा,….।

#वो ऐसा कैसे कर सकते है….?

मॉ और बेटी के वार्तालाप में कब 7 बज गए वक़्त का उन्हें पता ही नहीं चला , दरवाज़े की डोरबेल बजी,…..

शायद तेरे पापा आए है जा दरवाज़ा खोल ….!

बेटी अपने आप को संभालते हुए दरवाज़ा खोला,

इस कहानी को भी पढ़ें: 

साँच को आँच नहीं – डाॅक्टर संजु झा। : Moral Stories in Hindi

अरे बिटिया कभी आई…..?

मुझे कॉल कर देती मैं तुझे लेने आ जाता ऑफ़िस से सीधे तेरे घर,और सभी से मिल भी लेता|!,……

अपने पापा से लिपट कर रो पड़ी थी वो बेटी..।

जो अपनी बेटी की आँखो में उसके सयानी होने तक आँसु नहीं देखे थे उस पिता ने ..

वो बेटी आज लगातार रोए जा रही थी,____!!

पिता ने भी उसे अपनी बाँहों में तब तक भींच कर रक्खा जब तक वो चुप ना हो जाए ,….

क्या हुआ तुझे अब बताएगी भी क्या …?

मॉ ने सारी घटना उनको बता दी …..!!

उसका छोटा भाई भी आ गया था सभी ख़ामोश थे

उन्हें कुछ भी नहीं सूझ रहा था कि,वो क्या करे….?

अचानक निकल पड़े थे अपनी बेटी के ससुराल वो माता-पिता जो मन ही मन आहत हो गए थे,___

डोरबेल बजते ही सास ने दरवाज़ा खोला

वो बिना कुछ बोले अंदर चली गई,एक शब्द भी नहीं निकला उनके मुँह से और जाकर तुरंत सौफे पर बैठ गई,___!!

इस कहानी को भी पढ़ें: 

सिंदूर – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

अपमानित महसुस कर रहे थे अपने आप को वो मॉ-बाप जो बेटी के अपमान का हाल जानने बेटी के ससुराल गए थे,_

कुछ भी सूझ नहीं रहा था कि शुरूआत कहाँ से करें|!,

फिर दरवाज़े की डोरबेल बजी,…….

उस घर का बेटा आया था जिसने अपनी पत्नी के लिए तलाक़ के काग़ज़ात तैयार करवाए थे ,__!

अरे पापा जी आप कभी आए ….?

उसने अपने सास-ससुर के चरण स्पर्श किए और तेज़ी से अपने बेडरूम की तरफ़ चला गया,—-!!

आक्रोश वश बेटी के पिता को बहुत ग़ुस्सा आया और वो भी उसी बेडरूम की और गए जहाँ उनका दामाद गया था,….।

दरवाज़े को अंदर से बंद कर दिया था ,___।

कमरे के भीतर ससुर और दामाद का वार्तालाप चल रहा था जिसकी आवाज़ कमरे के अंदर तक ही आ रही थी,बाहर सभी स्तब्ध थे कि अंदर क्या चल रहा है…….

क़रीब एक घंटा बीत गया अभी तक दरवाज़ा नहीं खुला था रात के नौ बज चुके थे ।,___

थोड़ी देर बाद दरवाजा खुला,……

दोनो के मुँह पर एक गहरी ख़ामोशी थी !

वो पिता लड़खड़ाते पैरों से बड़ी मुश्किल से आकर सौफे पर बैठ गए जैसे उसकी पूरी ज़िंदगी तबाह हो गई हो ….।

दामाद ने फिर अपनी सास के चरण स्पर्श किए और अपनी मॉ के भी …!

इस कहानी को भी पढ़ें: 

समय – दर्शना जैन

किसी को कुछ भनक तक नहीं थी कि ससुर और दामाद के बीच बन्द कमरे में क्या #बातें हुई थी ..।

अपने आप को सम्भालते हुए बड़ी मुश्किल से वो बेटी का बाप उठा …!

उनकी आँखों से आँसू निकल रहे थे उसने अपने दामाद की और गहरी निगाहो से देखा फिर उसके गले मिल उसके माथे को #चूमते हुए अपनी पत्नी को लेकर दरवाज़े की और बढ़ा,

वो फिर पीछे मूड अपने दामाद को देख रहा था..।

बेटी के माता पिता घर पहुँचे, रास्ते में उसने कुछ नहीं बोला जबकि उसकी पत्नी उन्हें कितनी बार पूछा था कि आपसे क्या बात हुई,…… क्या हुआ था ……?

घर पहुँचते ही सबसे पहले पिता ने बेटी को गले लगाया अपने बेटे और पत्नी को बुलाकर कहा कि|!

ऐसा अच्छा #दामाद हमें कहीं नहीं मिलेगा,..।

फिर अपने बेटे को कहा कि,बेटा जा अपनी बहन को उसके ससुराल छोड़ कर आ और बेटी को भी भरे गले से कहा कि,

बिटिया जा और जितनी ज़िंदगी उनके साथ और गुज़ारनी है मस्ती से जी भर गुज़ार ले ।,

[ वो इंसान नहीं देवता है बिटिया …] और अभी वो कुछ ही महीनो के और #मेहमान है ।,__

आँखो में आँसु लिए बड़ी भावुकता से एक ही बार में उन्होंने सभी को वो बातें कह दी जो बन्द कमरे में दामाद के साथ उस बेटी के पिता ने की थी ,___!

वो अपने घर में सभी को बता रहे थे कि दामाद जी ने मुझे ये कहा था कि,______

पापा मेरी शादी को महज़ एक साल हुआ था , एक रोज़ में दफ़्तर जा रहा था तो अचानक मेरे सर में दुखावा हुआ और मैं ज़मीन पर गिर पड़ा, बेहोशी टूटी तो मैं अपने आप को हॉस्पिटल में पाया …।”

डॉक्टर ने बताया कि,मुझे एक गहरी बीमारी है जिस कारण मैं मूर्च्छित हो गया था,

मेरे बहुत आग्रह करने पर Doctor ने बताया की मुझे ब्रेन ट्यूमर [ Brain Tyumar ] है

इस कहानी को भी पढ़ें: 

साँवली – अनिल कुमार सिन्हा

और मैं कुछ महीनो का ही मेहमान हूँ…..।

मैंने डॉक्टर साहेब को हाथ जोड़ कर विन्नती की थी कि मेरी इस बीमारी के बारे में मेरे घर वाले और किसी को भी कुछ मत बताना नहीं तो वो जीते जी मर जाएँगे|!,…..

कभी इस भयंकर बीमारी ने मुझे अपनी आग़ोश में ले लिया मुझे भी मालूम नहीं पड़ा…!!

मेरी कोशिश उस दिन से यही रही की मैं मेरे माता पिता मेरे भाई बहिन और मेरी पत्नी इन सभी को मेरी बीमारी बताकर उन्हें अभी से ही दुखी करना नहीं चाहता था…..।

आपकी बेटी के सामने पूरी ज़िन्दगी पड़ी है हमारी शादी को महज़ १ साल अभी पूर्ण हुआ है और मैंने आपकी बेटी और मेरी पत्नी से कल रात जानबुझ कर झगड़ा किया उस पर अत्याचार किया ताकि वो मुझे छोड़ कर चली जाए और अपनी ज़िंदगी नए सिरे से पुन: शुरू करें इसलिए मैंने उसे ये भी कहा था की मुझे तुमसे डायवोर्स / तलाक़ चाहिए …।

बेटी, तेरे पति ने ख़ासतौर पर हाथ जोड़ कर मुझे ये कहा था की मुझे जो ये Brain Tyumar है वो मेरी पत्नी को मत बताना,……।

सभी की आँखो में अश्रुधार निकल रही थी वो बेटी नंगे पाँव अपने पति को मिलने दौड़ पड़ी थी,……

1/- ख़ुशी और गम का ये कैसा अद्ध्भूत #खेल था जो उस पति ने सभी की ख़ुशियों के ख़ातिर रचा था।,_

2/- कैसा कलेजा होगा उस पति का जिसने दिल पर पत्थर रख ना चाहते हुए भी अपनी पत्नी से #डायवोर्स माँगा था , ताकि उसकी पत्नी दूसरी शादी कर ले,_विशेषकर अपनी उस अर्द्धागिनी के लिए जिसे वो ख़ुद से ज़्यादा चाहता था..

ससुराल पहुँची बेटी बड़ी आत्मीयता से अपने पति से लिपट पड़ी थी उसे ये भी हौश नहीं था कि, उसके सास-ससुर ये सभी देख रहे थे जिन्हें ख़ुद अभी तक मालूम नहीं था कि उनका बेटा कितनी भयंकर बीमारी से जूझ रहा था ….!!”

नि:स्वार्थ #मिलन का बहुत ही भावुक द्रश्य था उस वक़्त जब वो अपने पति से लिपट लिपट कर #ख़ुशी_और_गम

इस कहानी को भी पढ़ें: 

बंधुआ मजदूर  –  गोमती सिंह

में वो लगातार रो रही थी,……!

कुछ दिन बीते, महीनो बीते, एक साल भी बीत गया,…

अभी तक बेटी के ससुराल में किसी को मालूम नहीं था और ना ही उन्हें किसी ने बताया था क्यों कि उस बेटे ने सभी को क़समों के बंधन में बाँध जो दिया था …..।

सिर्फ़ उसकी पत्नी और उसके ससुराल वालों को ही पता था

वो पत्नी भी जब से उसे अपने पति के Brain Tumor के बारे में मालूम पड़ा वो भी अपने पति को छोड़ कहीं भी नहीं गई उसके मायके तक भी नहीं ….!

अपना मायका तक भूल चुकी थी वो,__!!

सिर्फ़ अपने हमसफ़र के साथ अपनी बची ज़िन्दगी ख़ुशी से बीता रही थी और अपने पति को ये पूरा आभास करा रही थी की,— “ मैं हूँ ना “….

आख़िरकार एक दिन रात को अचानक उसके पति की तबियत बिगड़ी और एक हिचकी के साथ ही उसके पति भगवान को प्यारे हो गए,____

विधि का विधान ही ऐसा था क्या करें,__?

उसका जाना तो पहले से निश्चित था_____!!

उसकी आँखो के आँसु सुख चुके थे शायद वो पत्नी एक वर्ष के अंतराल में अकेले ही अकेले मन ही मन बहुत रोई होगी क्यों कि उसे अपने पति के जीने की वो #निश्चित_अवधि मालूम जो थी !

निधन के बाद जब ये सच्चाई सबके सामने आई,_

इस कहानी को भी पढ़ें: 

चूल्हे की रोटी – अनुज सारस्वत

तो ये जान सभी की आँखे आँसुओ से नम हो गई,_

वो पत्नी उसकी यादों को सँजोए आज भी सुहागन का जीवन व्यतीत कर रही है,__!

अपने पति के साथ बिताया वो एक साल ही उस पत्नी के लिए सब कुछ था,__!

उसके पास उसके पति की वो सुहानी गुज़री यादें और उसका बेइंत्तहा सच्चा प्यार था,जो आज भी वो उसके #ससुराल की मिट्टी की #महक से महसूस कर रही है और अपने ससुराल में सास-ससुर की सेवा दिल से कर रही है ,___!!

 सुधीर सोनी

स्वरचित मौलिक रचना

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!