क्या ..?
गौरीशंकर अचंभित होकर पूछा..
क्या ?
महाराज जी की बॉडी गायब हो गई?
नही ..नही
वो ऐसा नहीं कर सकती…
कौन ऐसा नहीं कर सकती गौरीशंकर जी ( गांव वाले ने पूछा)
अरे नही …वो..मैं…वो ….वो
ये क्या वो मैं , मैं वो लगा रखे हो गौरीशंकर जी
अरे वो मैं डॉक्टर के बारे में बोल रहा था की इतनी बड़ी लापरवाही कैसे कर सकते है वो लोग
( गौरीशंकर ने फिर से बातें छुपा ली)
मैं आज ही किसी अच्छे तांत्रिक को बुलाकर अपने घर को दिखवाता हूं , महाराज जी तो रहे नही तो अब मैं हाथ पर हाथ रख कर बैठ नही सकता
( गौरीशंकर अपने एक रिश्तेदार के पास जाता है और उसे अपने घर की और गांव की सारी बात बताता है फिर वो रिश्तेदार उसे एक तांत्रिक के पास ले जाता है)
गौरीशंकर तांत्रिक को दूर से ही प्रणाम करता है जो एक डरावना रूप लिए काले कपड़े में बाल खुले हुए माथे पर भस्म और मनुष्य के खोपड़ी के साथ बैठा था
कल्याण हो ….( तांत्रिक ने कहा)
कहो किस कार्य हेतु मुझ तांत्रिक को आवश्यकता आन पड़ी
तांत्रिक महाराज मेरा नाम गौरीशंकर है और मैं ………..
( गौरीशंकर ने अपने गांव सहित सारी बातें तांत्रिक के समक्ष रख दी)
क्या……( तांत्रिक एक आश्चर्यजनक मुद्रा के साथ चीखा)
नही ये नही हो सकता ….
महाबलेश्वर कोई छोटा मोटा साधु संत नही था जिसे कोई भी इतनी आसानी से मौत के घाट उतार दे…
जरूर तुझे ही कोई भ्रम हुआ होगा
नही महाराज ….
मैने अपनी आंखों से उस शरीर को देखा है मैं उन्हें पहचानने में भूल नही कर सकता
परंतु मैं भी जानता हूं ऊस महान आत्मा को कोई इतनी आसानी से मार नही सकता क्योंकि मैं महाबलेश्वर को बचपन से जानता हूं, मेरा बाल सखा था वो लेकिन उसकी रुचि शिव की ओर होने के कारण वो एक बड़ा शिव भक्त और मैं एक तांत्रिक बन गया
मैं चलूंगा तुम्हारे साथ लेकिन तुमसे ज्यादा अपने बालसखा के लिए….
तुम दोनो जाओ मैं शाम तक तुम्हारे गांव पहुंच जाऊंगा लेकिन एक बात ध्यान रखना आज शाम अपने घर में भोजन बनाने के लिए या फिर सांझ का दीपक दिखाने के लिए अग्नि का प्रयोग मत करना
जी महाराज ( गौरीशंकर उठ कर चला गया)
तांत्रिक महाराज ने अभी से तैयारी शुरू कर दी थी क्योंकि उन्हें पता था की शायद उसे इस बार एक बहुत ही शक्तिशाली रूह से सामना करना पड़ेगा क्योंकि जो महाबलेश्वर को खतम कर सकता है गौरीशंकर के अनुसार वो जरूर शक्तिशाली है….
शाम का समय है
तांत्रिक महाराज अपने निवास से एक बिलकुल काले घोड़े पर सवार होकर चल देते है और कुछ ही देर में वो गौरीशंकर के गांव में प्रवेश के लिए तैयार है लेकिन गांव में प्रवेश करने से पहले महाराज जी ने घोड़े से उतरकर उसकी लगाम को कसकर पकड़ लिया और गांव के दहलीज ( सिमाना) को घोड़े ने जैसे ही लांघना चाहा ….
घोड़ा हिनहिना कर अपने पिछले दोनो पैरों पर खड़ा हो जाता है…..
शांत हो जाओ …
शांत हो जाओ… ( तांत्रिक ने घोड़े को प्यार से पुचकारकर बोला)
घोड़ा अब शांत था..
तांत्रिक ने आंखे बंद करके कुछ बुदबुदाना शुरू करता है और अपने दोनो हाथों को हवा में लहराकर झटक देता है….
ऐ काली आत्मा..
मुझे छेड़ने की चेष्टा भी मत करना वरना मैं अपने जिद्दीपन्ना में आया तो तू कही की नही रहेगी..
और तांत्रिक घोड़े को पकड़कर आगे बढ़ जाता है इसबार घोड़ा शत था
एक तांत्रिक को गांव में आते देख गांव वाले हैरानी से देखते रहते है और तांत्रिक के पूछने पर वो उन्हे गौरीशंकर के घर छोड़ आते है.
इधर गौरीशंकर किसी बहाने से उमा को आज घर में अग्नि प्रज्वलित करने से रोकने में कामयाब रहता है
तभी दरवाजे पर से आवाज आती है
गौरीशंकर जी… आपसे कोई मिलने आए है
गौरीशंकर दौड़ कर बाहर जाता है और तांत्रिक के सामने हाथ जोड़कर प्रणाम करता है
घोड़ा बाहर बांध कर तांत्रिक जब अंदर प्रवेश करने लगते है तो दरवाजे पर उन्हें जैसे कोई रोकने की चेष्टा करता है तो तांत्रिक भी रुककर एक मंतर का प्रयोग करके वही बैठ जाता है और दरवाजे की मिट्टी हटाकर देखता है तो एक कपड़े का छोटा गोला रखा निकल आता है जिसे जैसे ही महाराज हाथ में लेते है वो एक काले धुएं में परिवर्तित होकर एक रूप लेता है और गायब हो जाता है….
गौरीशंकर ..
ये तुम किस जगह पर रह रहे हो
यहां घर में अभी छह आत्माएं मौजूद है जिसमें चार तुम पर निगरानी रख रहा है और दो तुम्हारे बच्चे के रूप में है…
जी महाराज बच्चे के रूप वाला तो पता है पर बाकी चार का नही..
वो चार काली बिल्ली का रूप ले रखा है( तांत्रिक बोला)
अब अंदर चलो….( तांत्रिक)
जी महाराज
तांत्रिक को देखकर उमा थोड़ी भयभीत होते हुए प्रणाम करती है
अखंड सौभाग्यवती भव पुत्री….
डरो मत बस तुम अपने कमरे में चले जाओ
( उमा हाथ जोड़कर अपने कमरे में चली जाती है)
फिर तांत्रिक आंगन में बैठकर मिट्टी कुरेद कर कपड़े का गोला निकालता है और वो भी उसी तरह काले धुएं में परिवर्तित होकर गायब हो जाता है
अगली बार बच्चों के कमरे के आगे की मिट्टी कुरेदकर तीसरा गोला निकालता है जो पहले दोनो की तरह काले रंग के साथ लाल रंग में परिवर्तित होता है और गायब हो जाता है
जैसे ही वो कपड़ा गायब होता है दोनो बच्चे एक अलग ही आवाज में रोने लग जाता है जो की काफी डरवानी महसूस होती है
तभी एकाएक चारो बिल्लियां तांत्रिक पर टूट पड़ता है लेकिन तांत्रिक भी सचेत थे उन्होंने अपने साथ लाए झोले को निकाल कर मंत्र का जाप करते हुए चारों बिल्ली को उस झोले में बंद करते है और उसे दीवार पर पटकने लग जाते है जिसे देखकर वो दोनो बच्चे अपनी शक्ल को अपनी वास्तविक रूप में कर लेता है जिसे देखकर गौरीशंकर का मुंह खुला का खुला रह जाता है…
आज पहली बार उसे एहसास हुआ की सच में उसके बच्चे इस घर में है ही नहीं
तभी तांत्रिक महाराज उन दोनो बच्चों को गले से पकड़कर दीवार पर दे मारते है जिससे दोनो बच्चा चिल्लाने लग जाता है..
उधर चंद्रिका तांत्रिक को गौरीशंकर के घर में आया देख क्रोध की अग्नि अपने शरीर पर चढ़ा लेती है और उसका पूरा शरीर भयानक रूप में परिवर्तित हो जाता है और उसी रूप में वो गौरीशंकर के घर तांत्रिक के सामने आ जाती है और एक जोरदार भयंकर डरावनी आवाज के साथ गरजती है ………
शशिकान्त कुमार
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