परिचय:-
पिताजी मेरे लिए भी एक छोटी सी गुड़िया बाजार से ला देना मैं भी उसके साथ खेलुंगी और अपने सखियों को भी साथ में खिलाऊंगी…
अपूर्वा अपने बड़े भाई विष्णु को अपने पिता गौरी शंकर से पतंग लाने का लाड़ लगाते हुए देखकर बोली।
गौरी शंकर हंसते हुए दोनों की बात सुनकर…
हा हा हा हा अच्छा-अच्छा दोनों की फरमाइश है इस बार बाजार जाने पर जरूर पूरा कर दूंगा बोलकर अपनी पत्नी उमा को खाना परोसने को कहते हैं।
(गौरी शंकर एक निर्धन ब्राह्मण परिवार से हैं और महादेव के बड़े भक्त है इसलिए उनके गांव में उनका बड़ा मान सम्मान है तथा जो पूजा पाठ करके अपने गृहस्थ जीवन को चला रहे हैं उनकी पत्नी उमा उनका पूरा सहयोग करती है उनके दो बच्चे बड़ा बेटा विष्णु 10 वर्ष तथा छोटी बेटी अपूर्वा 7 वर्ष की है।)
उमा खाना परोस कर वही बगल में बैठकर पंखा झलते हुए गौरी शंकर से कहती है ……अजी बच्चों को ऐसे दिलासा दे देते हो कभी उनकी फरमाइश पूरी भी कर दिया करो कब से एक छोटी सी बच्ची आपको गुड़िया लाने के लिए बोल रही है।
हां हां इस बार जब बाजार जाऊंगा तो अपुर्वा के लिए एक छोटी सी गुड़िया और विष्णु के लिए एक पतंग जरूर लेता आऊंगा और तुम्हारे लिए एक साड़ी ……कहते हुए गौरी शंकर हंस पड़े …..(उमा बच्चों के सामने लगभग शरमाते हुए ) अरे रहने दो रहने दो कितने दिनों से सुन रही हूं एक साड़ी एक साड़ी… मुझे नहीं चाहिए साड़ी आप अपने लिए ही एक जूता खरीद लो ..आपके जूते में ही सीलन उखड़ गई है इधर-उधर जाते हो जूता भी तो जरूरी है कह कर उमा उठकर चली गई।
उमा के वहां से जाते ही गौरी शंकर वो दिन याद करने लगे जब उमा से उनकी शादी हुई थी और गौरी शंकर ने उमा से वादा किया था की उसे अपने समर्थ के अनुसार कभी किसी चीजों की कमी नहीं होने देंगे लेकिन अपनी शादी के 12 वर्षों के बाद कुल मिलाकर 2 या 3 साड़ी ही खरीद पाए थे उमा के लिए।
लेकिन आज उन्होंने निश्चय किया की इस बार इकट्ठे सबकी फरमाइश पूरी करेंगे ।
इस निश्चय के साथ ही गौरी शंकर वहां से उठकर अपने यजमानों के तबियत पानी पूछने निकल पड़े ..
क्या पता कौन यजमान कुछ निकाल कर दे ही दे।
इधर अपूर्वा अपनी सहेलियों के साथ गांव में नदी किनारे बेर तोड़ने निकल पड़ी तथा साथ में विष्णु और उसके भी दोस्त थे।
बेर तोड़ते हुए अपूर्वा और उसकी सहेलियां विष्णु से थोड़ी दूरी बना ली और बेर तोड़ने में मगन हो गई …तभी अपूर्वा को कुछ एहसास हुआ जैसे कोई सुंदर औरत उसके अगली बेर की झाड़ियों से उसे एकटक देखे जा रही हो।
अपूर्वा एकदम से घबराकर अपनी नजरे नीची कर ली और बेर चुनने लगी ..
अगली बार उसने हिम्मत करके फिर से नजरे उठा कर उस ओर देखी तो वहां कोई नजर नहीं आया ।
अब अपूर्वा डर गई और उसने अपनी सहेलियों से यह बात बताने के लिए जैसे ही बोलना चाही किसी ने उसके कंधे पे हाथ रखा….
इस डरी हुई स्थिति में किसी का पीछे से अचानक उसके कंधे पे हाथ रखना उसे और डरने के लिए काफी था और हुआ भी यही … अचानक हाथ कंधे पर देखकर अपूर्वा जोर से चिल्लाई .…
आ आ आ………
नजरे पीछे करने पर देखती है तो वही औरत खड़ी मुस्कुरा रही है साथ ही उसकी सभी सहेलियां अपूर्वा से पूछ रही है
क्या हुआ अपूर्वा?
तुम इतना जोर से चिल्लाई क्यूं?
उसकी आवाज सुनकर उसका भाई विष्णु भी दौड़कर वहां पहुंचा और अपूर्वा से चिल्लाने का कारण पूछने लगा।
तभी वह औरत बोली अरे …
अरे मेरी प्यारी बच्ची तुम इतना जोर से क्यूं चिल्लाई?
अपूर्वा अभी भी डरी हुई थी …
लेकिन उस औरत को बात करते हुए देखकर उसमे थोड़ी हिम्मत बढ़ी और उसने उस औरत से कहा…
आप जब उस झाड़ी के पीछे से मुझे देख रही थी तो मैं इस कारण डर गई थी।
लेकिन बेटी मैं तो इधर से आ रही हूं…
नही मैने आपको पहले उस झाड़ी के पीछे ही देखी थी…(अपूर्वा ने उसकी बात को नकारते हुए कहा)
इतने में विष्णु का एक दोस्त (जिसने बेरो के आसपास के सुनसान इलाकों में आत्माओं के भटकने के किस्से अपनी दादी से सुन रखा था ) बोला….. अरे विष्णु पता है मेरी दादी कहती है की नदियों के सुनसान जगहों पर आत्माओं का निवास होता है और मुझे लगता है तुम्हारी बहन ने उनके ही दर्शन कर लिए है… कहकर वो और उसके दोस्त जोर जोर से हसने लगे ।
जाने अनजाने में विष्णु के दोस्त से वास्तविकता सुनकर वो औरत विष्णु के दोस्त को अजीब ढंग से गुस्से में घूरकर देखती है।
विष्णु का दोस्त अपने आप को उस औरत द्वारा ऐसे घुरकर देखे जाने से असहज हो जाता है और थोड़ा डर जाता है..
तभी वह औरत वक्त की नजाकत को देखते हुए हंसती है और कहती है अरे बेटा एक तो यह बच्ची अभी डरी हुई और तुम इसे और डरा रहे हो।
फिर सभी बच्चे उस महिला से थोड़ा हिल मिल जाते है और उसके आसपास बेर चुनने लगते है लेकिन अपूर्वा का ध्यान अभी भी उसी औरत पर टिकी हुई है…
वो महिला भी इतनी सज सवरकर बेर चुनने आई है जिसे न तो अपूर्वा और न ही और बच्चे जानते है ।
तभी विष्णु ने उस महिला से पूछा …. आप कहां से आई हो और कौन हो?
अचानक से सवाल सुनकर महिला थोड़ा असहज हुई लेकिन संभलते हुए बोली
आ .. आ आज ही आई हूं बड़े दूर की गांव से और वहां मुझे लोग चंद्रिका कहकर बुलाते है।
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पापी चुड़ैल (भाग -2)- शशिकान्त कुमार : Moral stories in hindi
शशिकान्त कुमार