सुबह का समय था| वातावरण बहुत ही खुशनुमा था |ठंडी – शीतल हवा चल रही थी | चिड़ियाँ चह – चाह रही थी और
फुदक – फुदक कर अपनी ख़ुशी जाहिर कर रही थी | पास ही में पानी का झरना भी बह रहा था | तनु सबको देखकर
बहुत खुश थी | वह भी जैसे इस प्यारी सुबह का आनंद ले रही थी और सोच रही थी की यदि मेरे अपनों ने मुझे नहीं
संभाला होता तो शायद ये सुबह मेरे जीवन में होती ही नहीं और सोचते सोचते तनु पहुँच गयी दो साल पीछे
उसका भी भरा – पूरा परिवार था जिसमें उसके बच्चे और पति थे सब कुछ बहुत अच्छे से चल रहा था पर
जैसे उनके परिवार को किसी की नज़र ही लग गयी और उसके पति को गंभीर बीमारी ने घेर लिया उसके चलते उनकी
नौकरी भी नहीं रही जो की एक प्राइवेट कंपनी में इंजीनियर थे | बच्चे भी अभी पढ़ ही रहे थे | एक तो बीमारी का खर्चा
फिर नौकरी भी नहीं तो तनु को घर चलाना मुश्किल होता जा रहा था |
वो पढ़ी – लिखी थी और चाह रही थी की कुछ काम कर ले जिस से किसी के आगे हाथ न फैलाना पड़े पर पति का ध्यान
रखना , उनको लेकर अस्पताल जाना इसी में उसका समय निकल जाता था पति सामने थे और उनका ध्यान रखना
ही वो अपना कर्त्तव्य समझ रही थी और सोचती थी कि पति स्वस्थ हो जायेंगे तो सब ठीक हो जायेगा और समय
निकाल रही थी और बच्चों का भी पूरा ध्यान रख रही थी | वो उनके सामने कभी भी हताश नहीं होती थी क्यूंकि बच्चे
बड़ी कक्षाओं में पढ़ रहे थे और उसको चिंता थी कि बच्चों का भविष्य न ख़राब हो | ऐसे मुश्किल वक़्त में उसकी
सहेली ने उसका बहुत साथ दिया , उसके भाई – बहन भी उसकी जो संभव हो मदद करते रहते थे पर कब तक और
उसको दया का पात्र बनना अच्छा नहीं लग रहा था और वह बहुत परेशान रहने लगी पर पति की हालत भी दिन पर
दिन ख़राब ही होती जा रही थी | इधर घर में कुछ भी नहीं बचा था उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे
नियति को कुछ और ही मंजूर था और कुछ समय बाद उसके पति परलोक सिधार गए | तनु बिलकुल टूट गयी | इधर
घर में कुछ भी नहीं बचा था ऊपर से पति का वियोग और तनु गहरे अवसाद में जाने लगी पर भगवान को शायद
उसके ऊपर दया आयी और उसके बड़े बेटे को बैंक में एक अच्छे पद पर नौकरी मिल गयी और उसने घर को अपनी माँ
को संभाल लिया | कुछ महीनो बाद उसके छोटे बेटे का भी मेडिकल कि परीक्षा में चयन हो गया ये उसकी दूसरी बड़ी
ख़ुशी थी और वो सोच रही थी कि यदि आज उसके पति होते तो कितने खुश होते पर होनी को कोई बदल नहीं सकता |
उसके दोनों बेटों ने उसको समझाया कि माँ आज पापा नहीं हैं पर हम हैं न और आप हमारी इन छोटी – छोटी बातों में
अपनी ख़ुशी तलाश करो और खुश रहो | आप खुश रहोगी तो हम भी खुश रहेंगे और हमारा परिवार भी सबकी तरह
सुखी परिवार बनेगा | तनु ने बच्चों के लिए उनकी ख़ुशी के लिए खुद को संभालना शुरू किया और वह धीरे – धीरे
अवसाद से बाहर आने लगी और बिखरा हुआ परिवार फिर से संभल गया और आज तनु अपने दोनों बेटों के साथ एक
पहाड़ी जगह पर घूमने आयी है , उसके बच्चे उसका बहुत ध्यान रखते हैं | तनु यहाँ इस सूंदर वातावरण को बहुत
करीब से महसूस कर रही थी और सोच रही थी कि ईश्वर ने और बच्चों ने उसको जीने कि राह नहीं दिखाई होती तो
उसका परिवार बिखर ही गया होता | तब ही किसी की बाँहों ने उसे घेर लिया और वो जैसे वर्तमान में लौट आयी वो
बाहें थी उसके बच्चों कि जो कि उसकी जिंदगी थे |
कभी – कभी परिस्थितियाँ ऐसी हो जाती हैं कि इंसान टूट जाता है पर यदि कोई सहारा उस कठिन समय में ऐसा
मिल जाता है तो वही इंसान खुद को बहुत भाग्यशाली और ईश्वर का आशीर्वाद समझकर फिर से जिंदगी के बहुत
करीब पाता है |
हेमलता गोयल
# छोटी-छोटी बातों में खुशियों को तलाश करना सीखो