यह कहानी है पड़ोस में रहने वाले गुप्ताजी की बेटी जया की, जो कि गुप्ता जी की तीन बेटियों में मंझली थी।
जहाँ बड़ी बेटी विजया और छोटी संध्या साधारण रूप रंग की थी वहीँ जया को भगवान ने पूरे फुर्सत में बनाया था।
गोरा रंग और तीखे नैन नक्स। जहाँ मंझली और छोटी स्वभाव में तेज थीं वहीं जया शांत समझदार कम बोलने वाली सीधी शादी थी।
गुप्ता जी की पत्नी शीला जी किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित थीं तो वो ज्यादातर बिस्तर पर
ही लेटी रहती थीं। तीनों बहनों में अगाध प्रेम था। लेकिन गुप्ता जी का मंझली पर विशेष स्नेह था।
गुप्ता जी ने तीनों बेटियों को यथायोग्य शिक्षित कर अच्छा घर घराना देख तीनों बेटियों के हाथ पीले कर दिये।। कुछ समय
बाद गुप्ता जी सरकारी नौकरी से रिटायर हो गए।तीनों बेटियां अपने अपने ससुराल में रच बस गयीं ।
मिसेज गुप्ता अब ज्यादा बीमार रहने लगी थीं। इसी तरह पांच साल बीत गये। एक दिन अचानक गुप्ता जी के घर के आगे
ऑटो रिक्शा आके रुकता है, उसमें से जया अपनी चार साल की बच्ची का हाथ पकड़े सूजी हुई आँखों के साथ उतरती है।
ये देख गुप्ताजी के पैरों से जमीन खिसक गई। “क्या हुआ जया तुम इस तरह अचानक! “जया ने रोते
हुए जवाब दिया ” पापा गुड़िया के पापा ने मुझे घर से निकाल दिया है
और किसी दूसरी औरत को घर में रख लिया है, सास ससुर ने भी इनका ही साथ दिया है। पहले तो गुप्ता जी को बेटी की बातों में विश्वास ही नही हुआ
फिर माजरा समझ में आने पर बेटी को कमरे में ले गए।पिता ने दिलासा देते हुए कहा
“अभी तेरा बाप जिंदा है तु चिंता मत कर”! पिता के समझाने का असर जया पर ये हुआ की उसने अपनी और बच्ची की जिंदगी संवारने
की ठान ली। घर, बच्ची, बीमार माँ, बुजुर्ग पिता को संभालते हुए बी. एड पास किया और प्राइवेट स्कूल में जॉब करने लगी।
बेटी गुड़िया भी माँ की मेहनत और तपस्या देख मन लगाकर पढ़ने लगी,। गुड़िया ने मेडिकल प्रवेश
परीक्षा पास करली। गुड़िया का एडमिशन नामी मेडिकल कॉलेज में हो गया।
समय बीतता गया जया की माँ जया को ढेरों आशीर्वाद देती स्वर्ग सिधार गई। नाना, नानी के आशीर्वाद और माँ के त्याग और मेहनत से गुड़िया
बड़े हॉस्पिटल में नामी सर्जन बन गई। अभी सुख ने दस्तक दी ही थी की गुप्ताजी के हृदयाघात हुआ।
उन्हें तुरंत हॉस्पिटल ले जाया गया, मगर लाख कोशिशों के बाद भी उन्हे बचाया नहीं जा सका। जया का बहुत बड़ा
सहारा छिन गया । लेकिन इस दुख की घड़ी ने भी झूठे रिश्तों की पोल खोल दी।,
जो सगी बहनें थी जो अपनी माँ मृत्यु पर भी सिर्फ रस्में निभाने आईं थी आज अपना हिस्सा माँगने आ गई। जया के बड़े बहनोई ने फरमान
जारी कर दिया “देखो जया अब तुम्हें इस घर से जाना होगा, अभी तुरंत घर खाली करना होगा”,
हमें बहुत काम है वापिस अपने घर जाना है, हमने घर का सौदा कर दिया है.. बहनों ने भी उसका ही समर्थन किया । ये सुनते
ही जया को धक्का लगा और वो सर पकड़ कर बैठ गई। उसके दिमाग में एक ही बात आ रही थी
की वो और बिटिया बरसों का आसरा छोड़ कहाँ जायेंगे “उसके अपने ही लोगों ने उसके साथ ये क्यों किया”। तभी अचानक
गुड़िया बाहर से घर आई। उसके हाथ मै एक कागज था। गुड़िया बोली..
” माँ मुझे पहले ही अंदेशा था की ऐसा ही कुछ होने वाला है इसलिए मैंने बैंक से लोन लेके घर ख़रीद लिया था, चलो माँ अपने घर चलो। आज जया
का सर अभिमान से ऊँचा हो गया। बहनों और बहनोईयों का मुँह देखने लायक था।
अल्का गोस्वामी
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