बात दो बरस पहले अगस्त 2022 की है, हमारी हवेली में मरम्मत का काम चल रहा था,सारी छतें पुरानी होने के कारण बदली जा रही थीं, तभी अचानक तेज बारिश होनी शुरू हो गई,सारा सामान इधर उधर बिखरा पड़ा था,मैं भी जल्दी-जल्दी इधर-उधर समान समेटने लगी। तभी अचानक मेरा पैर फिसला और मैं मुंह के बल गिर गई,
चेहरे पर तो कोई खास चोट नहीं आई थी, पर मेरा सीधा कंधा चौखट पर जा लगा। मैं दर्द से बिलबिलाने लगी, मेरे पति ने मुझे सहारा देकर उठाया।
पर मेरा सीधा हाथ तो उठ ही नहीं रहा था, डॉक्टर ने एक्सरे कराया पर एक्सरे में कुछ खास नजर नहीं आया। लेकिन मेरे हाथ में दर्द लगातार बना हुआ था, ना मैं कुछ कर सकती थी, ना ही लिख सकती थी।
तब किसी दूसरे डॉक्टर के कहने से एम. आर. आई. कराई,जिससे पता चला कि कंधे को तीन मसल्स सपोर्ट देती हैं, जिसमें सामने वाली मसल्स डैमेज हो गई है , उसमें थोड़ा टीयर है, जिससे एक गैप बन गया है। कुछ डॉक्टर के मुताबिक इसकी सर्जरी होना ही इसका एकमात्र इलाज था, पर अन्य कुछ डॉक्टरों ने कहा पूरा आराम और फिजियोथैरेपी से यह काफी
हद तक सही हो सकता है लेकिन पूरी जिंदगी ज्यादा वजन उठाने या खींचने से बचना होगा।
मैं बहुत उदास रहने लगी, दोनों बच्चे भी बाहर थे,मेरी कलम तो जैसे थम ही गई थी, लगा जैसे अब जिंदगी में कुछ नहीं लिख पाऊंगी। बहुत निराश हो गई थी शायद।फिर एक दिन मेरे भैया भाभी मुझसे मिलने आए। मैं मिलकर बहुत रोई।
तब मेरे भाई और भाभी ने मुझे बहुत समझाया, मेरी भाभी कंचन ने तो मुझे यहां तक कहा आप दीदी बिल्कुल फिक्र ना करें, आप एकबार फिर से लिख पायेंगी, अपने जरुरी काम भी कर पायेंगी,सिर्फ भगवान पर भरोसा और थोड़ा धैर्य रखें।
ये बातें मुझे मेरी भाभी ने उस समय कहीं जिस समय मुझे एक ऐसे दोस्त की जरूरत थी जो मुझे मानसिक रुप से भी मजबूत कर सके।
फिर मेरी भाभी ने ही मुझे कीप नोट पर लिखना सिखाया,
उसके बाद जो छोटी मोटी गलतियां होती वो उसे सही कर दिया करती, प्रिंटर से हर रचना का कॉपी प्रिंट निकलती। मेरी भाभी ने मुझे फिजिकली और मेंटली दोनों तरह सपोर्ट किया। यदि आज मैं अपना लिखने का शौक पूरा कर पा रही हूं तो अपनी भाभी कंचन के प्यार और स्नेह के कारण ही। ईश्वर इस प्रेम भरे बंधन को बनाये रखें। ये रिश्तों की डोरी कभी टूटे ना।
भाभी के बारे में कुछ पंक्तियां अपनी ही कविता से…
एक धागा प्यार का भाभी के भी नाम का…..ये भाभी ही है…कच्चे धागे से बने भाई बहन के रिश्तों में,रेशम की डोर बन सज जाती है,
ये भाभी ही है जो,मायके को फिर से घर बनाती है।हर त्योहार को चाहे सिंदारा हो या दशहरा,सलूनै हो या भाई दूज,
भाभी ही हमारे लिएआम से त्यौहार को खास बनाती है।ये भाभी ही है….बड़ी देर कर दी आने में कहकर,घर में घुसते ही, मुस्कुराते हुएस्वागत करती है। ये भाभी ही है….
बच्चों को क्या है पसंद,क्या क्या बना लूंकहकर सारी जिम्मेदारीबखूबी निभाती है।ये भाभी ही है…..
कौन सा रोज है आते,नानी के घर बच्चे, कहकरहर छोटी से छोटी जिद बच्चों कीपूरी करती है। ये भाभी ही है…
गर्मी की छुट्टियों को ,सभी बच्चों के लिएयादगार पिकनिक सा बनाती है।ये भाभी ही है….
सभी की पसंद के ,पकवान बनाने मेंमां बाबूजी जी की सेहत का भी ध्यान रखती है। ये भाभी ही है…
जब सभी होते हैं बातों में मशगूल तो,किचन से काम करते करते ही अपनी उपस्थितिदर्ज कराती है। ये भाभी ही है …….
ओढ़ लेती है जिम्मेदारीयो को इस कदर,कि पता ही नही चलताकब भाभी से मां बन जाती है। ये भाभी ही है…..
जाकर क्या बनाओगी,थोड़ा सा रख देती हूं,कहकरढेर सारा प्यार टिफिन मेंपैक करती हैं। ये भाभी ही है…..
ये तो शुभ का गोला है,कहकर हर बारअपने जीजाजी का गोले से तिलक करती है। ये भाभी ही है….
बहुत दिनों में आती हो,जल्दी जल्दी आ जाया करो कहकर आंखों को प्रेम से नम कर जाती है। ये भाभी ही है….
मेरा दिल देता दुआएं भैया भाभी को हजार सदा खुश रहें और फले फूले तुम्हारा घर संसार।ये भाभी ही है जो…
कच्चे धागे से बने भाई बहन के रिश्ते में, रेशम की डोर सी बंध सज जाती है,यह भाभी ही है जो…मायके को फिर से घर बनाती है।
मौलिक व अप्रकाशित
#ऋतु गुप्ता
बुलन्दशहर
उत्तर प्रदेश
#रिश्तों की डोरी कभी टूटे नहीं
Ye kahani sunkar meri aankhe nam ho gai . Ye such me Dil ko chu gai he.