गतांक से आगे
नेहा जब अपने घर आ जाती है तो वह थोड़ी उन बच्चों से दूर होकर उदास हो जाती है। क्योंकि वह बच्चे हैं तो उसके अपने लेकिन धीरे-धीरे अपना दिमाग वहां से हटाने लगती है और रोजी के संग अपना समय व्यतीत करने लगती है। उसको लगा था ,कि अपनी रोजी के लिए उसके भविष्य को सिक्योर करने के लिए अपनी कोख किराए पर देना ठीक है ,समय ऐसा आया कि वह रोहित के साथ शायद थोड़ा करीब आ गई थी ,लेकिन उसे अब किसी काघर बसा हुआ खराब नहीं करना था ,इसलिए वह उन बच्चों से दूर आ गई थी ,हल्की परेशानियां शारीरिक रूप से उसे हो रही है लेकिन कुछ समय में सब ठीक हो जाएगा यह सोच कर वह रहने लगी ।
आज पूरे 2 दिन हो गए लेकिन अंजली का कोई फोन नेहा के पास नहीं आया नेहा को मन ही मन थोड़ा बुरा जरूर लग रहा था ,लेकिन फिर उसे लगा कि हो सकता है दीदी के ससुराल वाले वही हैं तो उन्हें कॉल करने का टाइम नहीं मिल रहा होगा ,थोड़े समय बाद लगा लेंगी, लेकिन उसे उन बच्चों की बहुत याद आ रही है, वह फोन हाथ में उठाती है ,लेकिन नंबर डायल करने के पहले वह वापस रख देती है ,फिर मन ही मन सोचती है ,कि उसे खुद को अपना जी कड़क करना पड़ेगा ,वरना वह रह नहीं पाएगी ।
अंजलि के सास ससुर और देवरानी सभी लोग अंजली का बहुत ख्याल रख रहे है ,और सास कहती है कि अब वह एक बड़ा सा कार्यक्रम गांव में रखेगी ,बस जल्दी से रोहित आ जाए तो वहां पर कार्यक्रम का विचार करेंगे ,दोनों बच्चे स्वस्थ और बहुत सुंदर है दिन भर में अंजली की सास चार-पांच बार नजर उतार देती, तो
अंजलि को मन ही मन बहुत सुकून मिलता है ,और वह सोचती है क्या आज भी हिंदुस्तान में एक औरत को जो सम्मान मां बनने के बाद मिलता है बहुत तरस गई थी । और मन ही मन नेहा को धन्यवाद कहती है । काम की अधिकता होने के कारण रोहित 5 दिन में टूर से वापस लौटा है ,और घर के सभी सदस्यों को देखकर बहुत खुश होता है और सबसे ज्यादा खुशी तो उसे अपने मां को देखकर होती है ,जो काफी दिनों से परेशान थी ,और आज जब उन्हें एक साथ दो बच्चों की खुशी मिली तो उनकी खुशी भी समा नहीं रही थी । नेहा कहां गई रोहित के पूछने पर अंजली कहती है कि नेहा ने जिद पकड़ ली थी जाने की , रोहित अंजलि से कहता है ,तुमने ठीक किया लेकिन मन ही मन उससे मिलने के लिए बेचैन हो जाता है अगर वह कुछ ज्यादा अंजलि से कहता शायद वह ठीक नहीं होता ।
आराम करने की बात वह अपनी मां के साथ बैठकर गांव में होने वाली मां की इच्छा के अनुसार बड़े कार्यक्रम की रूपरेखा बनाता है और माफी कह देता है जो आपको अच्छा लगे सब करना इतने में अंजली कहती है कि उस मंदिर में एक हवन के साथ वह बड़ा भंडारा भी कराना चाहती है रोहित मुस्कुरा देता है और रोहित की मां अंजलि से कहती है कि सूरज पूजा भी गांव चलकर होगी अब यह बच्ची भी सवा महीने की हो रही हैं लेकिन रोहित इसके लिए अभी तैयार नहीं होता पर बड़ी मुश्किल से नर्सों को उनके साथ भेजने पर धीरे-धीरे कार्यक्रम की सारी रूपरेखा बन जाती है लेकिन रोहित का मन नेहा सेमिलने के लिए बहुत बेचैन हो रहा है शाम के समय वह नेहा के घर पहुंच जाता है ,रोजी रोहित को देखकर पापा पापा कहकर उस की गोद में आ जाती हैं ।
नेहा का उदास का चेहरा देखकर रोहित घबरा जाता है और नेहा से पूछता है क्या मेरे जाने के बाद अचानक कुछ हो गया ,और तुम इतनी उदास क्यों लग रही हो ,क्या तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है ,नेहा मुस्कुरा कर कहती है ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जो आप समझ रहे हैं मुझे भी तो वहां से आना था , अगर मैं उन बच्चों के साथ बहुत ज्यादा रहती ,तो शायद आपके परिवार वाले भी मुझ पर शक करने लगते, इसलिए मैं यहां आ गई उन नर्स के साथ मिलकर दीदी उन बच्चों का बहुत अच्छे से ख्याल रखना सीख गई है ,और फिर यह अमानत तो उनकी ही है । इसलिए मुझे तो वह सब छोड़ कर आना ही है वह रोहित से कहती है ,अब आप भी मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो ,यहां ना आया करें मैं नहीं चाहती कि आपकी इस बनी हुई गृहस्ती में मेरे कारण दरार पड़े रोहित उसे आश्चर्य से देखता है और कहता है, कुछ समय तो मैं यहां रेगुलर आऊंगा ,जब तक कि तुम बिल्कुल स्वस्थ नहीं हो जाती ,उसके बाद मैं तुम्हें यहां से वहां फैक्टरी पर शिफ्ट कर दूंगा , वहां तुम्हारे लिए एक सुंदर सा घर बनवा रहा हूं । और आने का तो तुम मुझे अपने पास आने से नहीं रोक सकती ,मैंने सिर्फ बच्चे पैदा करने के लिए तो तुमसे रिश्ता नहीं बनाया मुझे पता है कि अंजलि मेरी पत्नी है और मैं अंजली के साथ भी कभी कोई नाइंसाफी नहीं करूंगा ।इतनी जिम्मेदारी उसकी है उतनी ही तुम्हारी थी ,रोजी भी मेरी बेटी है और उन बच्चों पर तुम्हारा भी तो उतना ही अधिकार होगा ।जितना रोजी पर है नेहा चुपचाप सुनती रहती है और उसकी किसी भी बात का जवाब नहीं देती रोहित बहुत देर तक बोलता रहता है लेकिन जब कोई जवाब नहीं मिलता तो वह उठकर बाहर आ जाता है बहुत इरादों की पक्की है कुछ समय के लिए वैसे भी गांव जाना है तो नेहा से वह कुछ नहीं कहता और समय पर सब कुछ छोड़ कर वापस घर की तरफ चल देता है ।
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