घर मर्यादा से ही बनता है – अंजना ठाकुर  : hindi stories with moral

hindi stories with moral : आज शहर मै अपने छोटे भाई को इस हालत मैं देख वीरेंद्र कुछ पल के लिए सुन्न हो गया अनुज दुकान से सामान उठा कर ट्रक मैं चढ़ा रहा था

कहां अपने हाथ से एक ग्लास पानी ले कर नही पीने वाला अनुज आज समान ढो रहा था

भाई को सामने देख अनुज भी शर्म के मारे कुछ बोल नहीं पाया और वहां से जाने लगा पर वीरेंद्र ने उसे रोक लिया और गले लगाकर उसका हाल चाल पूछा तो अनुज अपनी गलती पर शर्मिंदा था

सुरेंद सिंह गांव के सरपंच थे और उनका स्वभाव मिलनसार था लेकिन वो अपने उसूल के भी पक्के थे उनका मानना था व्यक्ति को व्यहवारिक और जिंदगी मै नियम से रहना जरूरी है उनके दो

बेटे अनुज और वीरेंद्र है।

जहां वीरेंद्र समझदार  था वहीं अनुज जिद्दी था उसको नियम से रहना पाबंदी लगती थी वो अपने पिता के पद का  गांव वालों को परेशान करके दुरुपयोग करता कभी सड़क चलती लड़कियों को छेड़ता

सरपंचजी के डर से कोई बोलता नही लेकिन गांव वाले अनुज से परेशान थे घर मैं भी उसकी जिद देख पिता समझाते अनुज अपनी मर्यादा मै रहो ये उद्ददंडता तुम्हे शोभा नही देती मेरे पद का नहीं कम से कम अच्छे इंसान  का तो मान रखो

तब तक अनुज की मां बीच मै आ जाती आप मेरे बेटे के पीछे पड़े रहते हो अभी बच्चा है धीरे धीरे समझ आ जायेगी

सुरेंद जी कहते अच्छा घर अच्छे संस्कार से ही बनता है नही घर को बिखरते देर नही लगती

आज अनुज फिर लड़की को परेशान कर रहा था आज वो हिम्मत करके सरपंचजी से शिकायत

करने पहुंच गई और सारी बात बताई

पता लगने पर सुरेंद्रजी ने अनुज को अच्छे से डांटा और कहा की इस घर मैं रहना है तो मर्यादा से रहना होगा

अनुज भी गुस्से मै घर छोड़ कर चला गया शहर मै कोई ठोर ठिकाना नहीं पड़ा लिखा ज्यादा था नही तो काम नही मिल रहा था जो मिलता गुस्से के कारण छूट जाता भूख के कारण जो काम मिला बही करने लगा धीरे धीरे उसे पिता की बातें सच लगने लगी लेकिन  वापस जाने मै भी शर्म महसूस हो रही थी इसी तरह पंद्रह दिन निकल गए

वीरेंद्र ने उसकी हालत देख समझाया की बड़े लोग हमें सही शिक्षा देते है और घर में रहने और बनाए रखने  मैं बहुत फर्क है यही बात समझ आनी चाहिए

अनुज बोल हां भाई मुझे समझ आ गया है पर मैं वापस कैसे आता

अपनों से माफी मांगने मैं कैसी शर्म चलो अपने घर चलो और विरेंद और अनुज गांव की और चल दिए अब अनुज घर का अर्थ समझ चुका था

#घर

स्वरचित

अंजना ठाकुर 

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