असहाय नहीं हूं – विमला गुगलानी
राम लाल बाबू सुबह की सैर से वापिस आए, तो जोरों की भूख लगी हुई थी। बहू नमिता, बेटा अश्वनी और दोनों बच्चे किर्ती और निशांत सब जा चुके थे। उन्होंने अपनी चाबी से ताला खोला और अंदर आ गए। हाथ पैर धोकर जब रसोई में नाश्ता लेने गए तो चार सूखी सी रोटियां और … Read more