माँ असमर्थ है – गीता वाधवानी

 लगभग 60 वर्षीय एक आदमी ने गुरुद्वारे के लंगर में बैठी औरतों को फुल्का देते हुए कहा, ” सतनाम वाहेगुरु बीबीजी ( यानी दीदी जी )। रोटी लेते हुए वहां बैठी सपना की आंखों में आंसू आ गए और भरे गले से बोली सतनाम वाहेगुरु जी।       लंगर छकने के बाद जब सपना वहां से उठकर … Read more

खुन के रिश्तों से मन के रिश्ते बेहतर हैं !! – स्वाती जैंन

यह भाभी का बेटा भी ना , जब भी हाथ में लो कभी सु- सु कर देता हैं तो कभी पोटी , बड़ा बदतमीज बच्चा हैं बोलकर रीतु अपने कपड़े साफ करने लगी !! यह तो अपनी मां को जरा भी तंग नहीं करता रीतु , तुझे पता हैं जब तू छोटी थी तो तूने … Read more

नसीहत – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू

जैसे जैसे शाम ढल रही थी रमेश की तेवरी चढ़ती जा रही थी,चढ़े भी क्यों ना अभी तक अपने ही मन मुताबिक तो सब कुछ कराते  आये है फिर भला कैसे बदल सकते है खुद को वे सोचते हैं सब कुछ पहले जैसा ही होगा, शायद वो ये भूल गये कि वक्त बदल गया तब … Read more

और वह नहीं गई – शिव कुमारी शुक्ला 

रोज की भांति झुमकू भी अपना उदास चेहरा लिए घड़ा उठा पनघट की ओर चल दी। ठंड के दिन थे। सूर्य अपनी प्रखर किरणों के साथ आसमान में कुछ ऊपर चढ़ आया था किन्तु सर्दी के कारण उसकी निस्तेज किरणें आंगन में बिखर गईं थीं। हवा की ठंडी लहरें कलेजे को चीर रहीं थीं। ग्रामीण … Read more

असमर्थ – सोनिया अग्रवाल

बीते कुछ  रोज पहले मेरी नानी  जी  (माया देवी) गुजर गई।  83 से 84 साल कुछ उम्र रही होगी। बहुत बीमार थी कई दिन से। न कुछ खाती थी ना ही पीती थी। तीन महीने से तो बिस्तर से भी नही उठ पाती थी। (उनके पति श्री रामलाल जी) मेरे नाना जी भी तकरीबन इसी … Read more

असमर्थ – डाॅ संजु झा

आयकर आयुक्त रोमी दफ्तर में अपने काम में  व्यस्त थी,उसी समय चपरासी ने आकर कहा -“मैडम! मोहित  नाम का कोई व्यक्ति आपसे मिलना चाहता है!” मोहित नाम सुनकर एक बार तो वह  असमंजस में आ गई, फिर उसने चपरासी से कहा -“उसे अंदर भेज दो।” जैसे ही मोहित ने उसे देखा,वह भी घबड़ा उठा।उसे उम्मीद … Read more

पचास वर्ष बाद :माँ बेटे का मिलन – लतिका पल्लवी 

 बुची की माँ कहा हो ? चलो जल्दी से नई बहू आ गईं है सभी तुम्हारा इंतजार कर रहे है। चलो चलकर अपनी पोता बहू को परीछ कर उतारो।ना बेटा ना मै नई बहुरिया के सामने नहीं जाउंगी। मै आज तुम्हारी एक भी बात नहीं सुनूंगा और ना ही मानूंगा। मै अब बच्चा नहीं रहा, … Read more

मां बाप की बद्दुआ से डरो बेटा – मंजू ओमर 

मां, मां कहां हो तुम इधर बाहर धूप में बैठी हूं । लो ये पेपर साइन कर दो पेंशन निकलवानी है।अरे बेटा हर बार मेरी पेंशन निकाल लेता है मुझे एक पैसा नहीं देता।बेटा मेरा भी तो कुछ खर्चा है।तुम्हारा क्या खर्चा है मां।मिल तो रहा है घर में खाने पीने को और रहने को … Read more

भरोसा – डाॅ उर्मिला सिन्हा

नीरज जल्दी जल्दी सीढ़ियां चढ़ने लगा। नियुक्ति का प्रथम दिन और कार्यालय पहुंचने  में देर हो गई ।बाॅस सहकर्मी उसके बारे में क्या सोचेंगे।   अचानक किसी से टक्कर हुआ और सामने वाला व्यक्ति सीढ़ियों से लुढ़कने लगा। नीरज उन्हें उठाने दौड़ा। उनका सिर फट गया था खून बह चला।   ” अरे, आप घबरायें नहीं मैं … Read more

बुढ़ापे में बेटा नहीं बहू सेवा करेगी – मंजू ओमर 

दरवाजे की घंटी बजती तो मीता ने दरवाजा खोला, देखा सामने उसकी सासू मां खड़ी थी। मीता बोली अरे मांजी आप हां बेटा,आइये अंदर आइए। कहां से आ रही है आप मीता ने निर्मला जी से पूछा ,मत पूछ बेटा और इतना कहकर रोने लगी। तभी मीता ने उन्हें चुप कराया और चाय नाश्ता लेकर … Read more

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