निरादर – मधु वशिष्ठ

इलेक्ट्रिक तंदूर में बनी हुई अपनी पसंद की भिंडी, रोस्टेड बैंगन, कम घी का इस्तेमाल करके भी कितने स्वाद लग रहे थे। नए फ्रिज में जमाई हुई आइसक्रीम, 4 बर्नर वाला चूल्हा, नए सामान से सजा हुआ पूरा घर और मुस्कुराती सी प्रिया,जब तक प्रिया उनके साथ रही, शायद ही कभी उसके चेहरे पर ऐसी … Read more

कीचड़ उछालना – डॉ बीना कुण्डलिया 

मालती को ससुराल आये दो माह भी नहीं हुए, वो ननद गोमती की किच किच से परेशान हो गई थी। गोमती मुंहफट चालाक, बदचलन, उसकी हमउम्र भाभी मालती जो उसकी आँखों में सदा खटकती रहती। क्योंकि जब से वो घर में आई गोमती की आजादी जैसे छीन सी गई। उनकी दो आँखें सदा गोमती को … Read more

कीचड़ उछालना – खुशी

नमिता एक पढ़ी लिखी लड़की थी जो बैंक में नौकरी करतीं थी।उसकी शादी राघव से हुई जो बैंक में मैनेजर था दोनो का प्यार वही परवान चढ़ा और  नमिता के माता पिता का एक्सीडेंट में निधन हो जाने के कारण सिर्फ उसकी एक मौसी ही थी उनकी रजामंदी से राघव के माता पिता मोहन और … Read more

दृष्टांत –  मधुलता  पारे

     सात बजे से नीरजा आरती का रास्ता देख रही थी अब रात के नौ बजने को आ रहे थे अभी तक उसका कोई  पता नहीं था दो बार  उसका फोन भी ट्राई  कर चुकी थी वह भी बंद  आ रहा था।  घर में इस समय    नीरजा के अतिरिक्त  उसकी उम्रदराज  सास थीं  जिनका अशक्त … Read more

 मैं डिलीवरी पर मायके नहीं आऊंगी !! – स्वाती जैंन

काव्या , मैं इस बार भी तेरी डिलीवरी मायके में ही करवाऊंगी , मैंने तेरी सास से भी बात कर ली है उन्हें भी कोई एतराज नहीं हैं , मैं तो तुझे सातवे महीने में ही घर ले आती मगर तूने मना कर दिया खैर अब नौंवा महिना लग गया हैं दो दिन बाद ही … Read more

एक बार टूटा भरोसा फिर नही जुड़ता। – लक्ष्मी त्यागी

रवीना,बैठी हुई लेपटॉप पर अपना डिजाइनिंग का कार्य कर रही थी ,और अपने मेल देख रही थी। अचानक रवीना के हाथ काँप उठे, उसने अपना लैपटॉप बंद कर दिया,स्क्रीन पर जो आखिरी मेल खुला था, उसमें सिर्फ दो शब्द लिखे थे — “I’m sorry.” उन शब्दों को उसने पढ़ा ,किन्तु  रवीना जानती थी, अब कोई … Read more

कैसे यकीन करूं – विमला गुगलानी

रामनाथ की शहर की मेन बाजार में स्टेशनरी की दुकान थी ।कई साल पहले उसके पिताजी सुभाष जी ने शुरू की थी। उस समय वो स्कूलों की किताबें, कापियां व कुछ इसी प्रकार का स्टेशनरी का सामान रखते थे। दुकान भी छोटी थी।जब रामनाथ बड़ा हुआ और पढ़ लिख भी गया तो उसने दुकान पर … Read more

मैं असमर्थ नहीं हूं – मंजू ओमर 

अनीता आठ महीने के मासूम अथर्व को लेकर अंधेरी रात में घर से निकल गई।बाहर निकली तो हल्की बरसात हो रही थी।वो अथर्व को सीने से चिपकाए आंचल से ढककर तेज तेज कदमों से चली जा रही थी। तभी बरसात तेज हो गई और वो एक बिल्डिंग की गेट की ओट में खड़ी हो गई।उसे … Read more

और वह नहीं गई – शिव कुमारी शुक्ला 

उसके पत्रकी प्रतीक्षा में धन्नो ने   लम्बे -लम्बे एक,दो,तीन नहीं पूरे चार साल बिता दिए, किन्तु उसका पत्र नहीं आया।राह देखते -देखते उसकी आंखें पथरा गईं ना जग्गू आया ना उसका पत्र। जैसे वहां के वातावरण में जा देशप्रेम की धुन में वह अपने परिवार को ही भूल गया था। बूढ़ी मां और बूढ़ी हो … Read more

मेरे मायके वाले बार बार उपहार क्यों दे ?? – स्वाती जैंन

बहू , यह भड़कीले लाल रंग की साड़ी दी है तुम्हारी मां ने उपहार में मुझे , क्या तुमने उन्हें बताया नहीं कि मैं ऐसे भड़कीले रंग नहीं पहनती ! अरे मेरी पसंद ना सही समधी जी की पसंद का तो ख्याल रखते , तुम्हारे पापा ने आलोक जी को यह केसरी रंग का कुर्ता … Read more

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