क्या सारी जिम्मेदारी बहू की ही है? – मधु वशिष्ठ

—————— क्या सारी जिम्मेदारी बहुओं की ही है? कैसी मां हो आप? खुद तो बिना जिम्मेदारी के अकेली आराम से रही, आपको क्या पता कि ससुराल  में मुझे कितना काम करना पड़ता है? मैंने रवि को कह दिया था कि मैं अब कुछ दिन बाद ही घर आऊंगी, परंतु आपको अपनी बेटी के ही मायके … Read more

कीचड़ उछालना – डोली पाठक 

रिटायरमेंट के बाद नर्मदेश्वर जी पत्नी समेत अपने पैतृक गांव में आकर बस गए…  अपनी जिंदगी के लगभग आधे से अधिक दिन उन्होंने शहरी परिवेश में बिताया था अतः गांव के माहौल में उन्हें बड़ी समस्या होती थी…  मसलन बिजली, पानी…  नर्मदेश्वर जी को कभी-कभी वो सारे काम भी बेहद खटकते थे जो उन्होंने किए … Read more

मानसिक तलाक – गीता वाधवानी

होता है। श्रुति की सास जब जीवित थी तो एक बार उन्होंने कहा था कि “श्रुति तू आदत डाल ले,यह तो ऐसे ही बात करता है।”   तब श्रुति को बहुत बुरा लगा था। भई वाह! यह क्या बात हुई, अपने बेटे को समझाने की बजाय मुझे शिक्षा दे रही है कि अपमान की आदत डाल … Read more

निरादर – के आर अमित

गाँव का नाम था मथेहड़ चारों ओर हरियाली, तालाबों के किनारे झूमती सरसों और दूर-दूर तक फैले मक्की के खेत। इस साल तो जैसे धरती माँ ने दिल खोलकर वरदान दिया था। खेतों में इतनी मक्की लहलहा रही थी कि सुनहरी बालियाँ सूरज की रोशनी में चमकतीं और पूरे गाँव को अपनी महक से भर … Read more

क्या ? सारी जिम्मेदारी बहुओं की ही है ? – सरिता कुमार 

सुधा जी बहुत सुन्दर , सुशील , सुशिक्षित , सुसंस्कृत थीं और एक सम्पन्न परिवार से आई थीं । अपने साथ परिवार भर के लिए ढ़ेरों उपहार लेकर आई थीं उसके बाद जब हनीमून पर गई तो वहां से भी घर के हर एक सदस्य के लिए उपहार लेकर आई थीं । मिलनसार स्वभाव की … Read more

रोज रोज का मिलना – विमला गुगलानी

 अभी तुलसी लेटी ही थी कि घंटी बजी। उसका बिल्कुल भी मन नहीं था उठने का लेकिन मजबूरी में उठना पड़ा। उसे मालूम था नीलू ही होगी, और वही थी, नीलू , उसकी अपनी बेटी।    नीलू आई , डेढ़ साल के बेटे वरूण को गोदी से उतारा और सोफे पर पैर फैला कर बैठ गई।” … Read more

इतना घमंड अच्छा नहीं – विभा गुप्ता 

     ” नैन-मटक्का करने से फ़ुरसत मिल गई..।कोचिंग के बहाने मैडम खूब गुलछर्रे उड़ा रही हैं।देख लेना राधिका..तेरी ये बेटी एक दिन हम सबका मुँह काला करके ही छोड़ेगी..।” अपनी देवरानी की बेटी तन्वी को कोचिंग सेंटर से वापस आने पर सुगंधा ने उस पर कटाक्ष किया।         धनाड्य परिवार से ताल्लुक रखने वाली सुगंधा को अपने … Read more

एक बहु तो बस प्यार की भुखी होती हैं !! – स्वाती जैंन

मम्मी जी आप जब तक मुझे बताएँगी नहीं हुआ क्या है आपका मुँह क्यों चढ़ा हुआ है?? मुझे नहीं समझ आएगा , आखिर एक हफ्ते से देख रही हूं अब नहीं सहन हो रहा हैं ऐसी क्या गलती हो गई है मुझसे कविता ने अपनी सास योगिता जी से कहा !! योगिता जी फिर भी … Read more

कीचड़ उछालना – लक्ष्मी त्यागी

बचपन में, हमारे बड़े कहा करते थे —“किसी पर कीचड़ उछालोगे, तो उसके छींटे अपने ऊपर भी पड़ेंगे।” किन्तु कुछ लोग भ्र्म में जीते हैं ,जैसे वो सही हैं ,और हमेशा ही ऐसे रहने वाले हैं किन्तु उन्हें सच्चाई का एहसास तब होता है जब उन पर स्वयं उस कीचड़ के छींटे पड़ते हैं।  चारु … Read more

मुझे मौत चाहिए – रवीन्द्र कान्त त्यागी

आँखें खुलीं तो मेंने खुद को हस्पताल की बैड पर पाया। सारे परिजन और डौक्टर व नर्सें मुझे घेरे खड़े थे।   “मिष्टर त्यागी, कैसा महसूस कर रहे हैं।” डॉक्टर ने कहा। “क्या हुआ है मुझे। मैं यहाँ? “ऐसा होता है। अगर सर में थोड़ी भी चोट लगे तो इंसान तत्कालीन घटना को भूल जाता है। … Read more

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