क्या याद रखेगी वो – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

“मुझे माफ़ करना मम्मी ! मैंने गुस्से में #कठोर कदम उठा लिया । पर मुझसे हर दिन आपके और पापा की लड़ाई नहीं देखी जाती । इसीलिए ये चिट्ठी बिन बताए आपके बेड रूम में रखकर जा रही हूँ ।वैसे तो आपने मुझे जन्म दिया है, मुझे आप पर उंगली उठाने का कोई हक नहीं … Read more

 ये बंधन सिर्फ कच्चे धागों का नहीं है – लक्ष्मी त्यागी : Moral Stories in Hindi

कल्पिता मन ही मन खुश हो रही है ,’श्रावण मास’ जो चल रहा है ,इन दिनों’ शिवपूजन’ के साथ -साथ’ हरियाली तीज ‘ उसके पश्चात’ रक्षाबंधन’ भी आती है। कल्पिता मन ही मन गुनगुनाने लगती है -”अब के बरस भेजो ,भैया को बाबुल सावन में लीजो बुलाए !” जब से विवाह करके अपनी ससुराल आई … Read more

कठोर कदम – डॉ.गीता यादवेन्दु : Moral Stories in Hindi

“पाँच बरस हो गए हैं ब्याह हुए और अभी तक इसकी गोद हरी नहीं हुई है । हम क्या अपने पोते का मुँह देखे बिना ऐसे ही मर जाएँगे ?” रोहिणी की सास उर्मिला जी उसके ससुर जी से अपने बेटे,रोहिणी के पति समीर से रोज की तरह प्रलाप कर रही थी । शादी के … Read more

अदृश्य सूत्र – डॉ० मनीषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

सुबह की धूप ने ‘रामू टी स्टॉल’ के जर्जर शटर पर सोने की धारियाँ खींच दीं। अंदर, रामशरण शर्मा, ‘रामू काका’ के नाम से मशहूर, अपनी कहानियों से भी पुरानी उम्र के स्टील के केतली को घिस रहे थे। उनकी आँखों में जीवन की राख-सी उदासी थी। पचास साल की चाय बेचने की रस्म अदायगी … Read more

“ये बंधन कच्चे धागों का नहीं है – समिता बडियाल : Moral Stories in Hindi

माँ , इस बार आप राखी पर मामा के घर नहीं जाओगे , अभिषेक ने अपनी माँ सुशीला जी से कहा। सुशीला जी बोलीं , बेटा अभि , ये रिश्ते बहुत नाज़ुक होते हैं , एक बार बिखर गए तो बिखर गए। फिर जितना भी संभालो , नहीं संभलते। अभिषेक माँ का हाथ पकड़ कर … Read more

यह सिर्फ़ कच्चे धागों का बंधन नहीं है – मीनाक्षी गुप्ता : Moral Stories in Hindi

सुबह के सात बज रहे थे. शादी के मंडप में गेंदे और गुलाब की भीनी ख़ुशबू तैर रही थी. अर्जुन और प्रिया एक नई ज़िंदगी की शुरुआत करने के लिए बैठे थे. अर्जुन की पहली पत्नी की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी, जिसके बाद वह अपने बेटे नमन के साथ अकेला रह … Read more

एक हाथ से ताली नहीं बजती – मीनाक्षी गुप्ता : Moral Stories in Hindi

आहाना का दिल ढोल-नगाड़ों की गूँज में भी अपनी धड़कनों को महसूस कर रहा था. यह धड़कनें ख़ुशी की नहीं, बल्कि एक गहरे डर और पश्चाताप का था. मखमली लाल लहंगे और भारी-भरकम गहनों में सजी, वह किसी कठपुतली की तरह मंडप में बैठी थी. पंडित मंत्र पढ़ रहे थे और हवन की अग्नि जल … Read more

काश मैं भी अदृश्य हो पाती -अर्चना कोहली “अर्चि” : Moral Stories in Hindi

रात को मिस्टर इंडिया चलचित्र देखकर विनीता के मन में बार-बार ये विचार चल रहे थे, काश मेरे अंदर भी अदृश्य होने की शक्ति होती तो कितना मज़ा आता! मनमर्जी से कुछ भी करो। कोई रोक-टोक नहीं। जब मन करे, अदृश्य होकर कहीं पर भी चले जाओ। न टिकट खरीदने का चक्कर और न ही … Read more

समाधान मिल गया –  अर्चना कोहली ‘अर्चि’ :

 Moral Stories in Hindi  “व्हाट ए सरप्राइस। इतने दिन बाद मुझसे मिलने की फुरसत मिली।” मनीषा ने नित्या से बनावटी गुस्से से कहा।  “नाराज मत हो, बस कुछ व्यस्त थी। आज सबकी छुट्टी थी तो सोचा, कुछ देर के लिए मिल आऊँ। तू बता जिंदगी कैसे चल रही है और दिव्यांश और दिव्या कैसे हैं?” … Read more

कठोर कदम – श्वेता अग्रवाल :

Moral Stories in Hindi “मम्मा! मेरा हेडफोन कहाँ है?” कृष्णा चिल्ला रहा था। उसने पूरा कमरा अस्त-व्यस्त कर दिया था। तभी उसकी आवाज सुनकर माँ नीरा वहाँ आईं और बोलीं – “क्या हुआ कृष्णा? इतना शोर क्यों मचा रखा है?” “ओह मम्मा! कितनी बार कहा है कि मुझे ‘कृष्णा’ मत बुलाया करो,  ‘कृष’ बुलाओ, पर … Read more

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