विश्वास को खोते देर नहीं लगती – सीमा सिंघी : Moral Stories in Hindi

 विश्वास को खोते देर नहीं लगती आज मौसम बड़ा ही सुहाना था । शाम भी ढ़ल आई थी।आसमान में उड़ते परिंदे भी अपने अपने आशियाने को लौट रहे थे , मगर मेरा मन कहीं और उड़ा जा रहा था । आज से तकरीबन अठाईस साल पहले की प्यार भरी गलियों की ओर । मुझे आज … Read more

ईर्ष्या – मधु वशिष्ठ : Moral Stories in Hindi

सुनीता अब इस घर को तोड़कर हम दोनों भाई इस घर को दो हिस्सों में अलग-अलग बनाएंगे। घर बनने तक हम भी किराए पर ही रहेंगे ,तेरे लिए भी 6 महीने का किराया देकर एक घर ले लिया। तेरी बेटी राखी को पढ़ा लिखा कर  विवाह भी कर दिया और वह सरकारी टीचर है, तुम … Read more

ईर्ष्या से आत्मबोध तक – डॉ सोनिका शर्मा : Moral Stories in Hindi

शालिनी की शादी को दस साल हो चुके थे। दो बच्चे, एक नौकरीपेशा पति, और एक रुटीन-सी जिंदगी। सुबह बच्चों के टिफ़िन, दोपहर घर की सफ़ाई, शाम में सबके चेहरे पर मुस्कान बनाए रखने की कोशिश उसकी दुनिया बस इतनी ही थी। एक दिन, स्कूल की रीयूनियन की ख़बर मिली । पहले तो शालिनी जाने … Read more

“एक बूंद ओस की” – सुधा जैन : Moral Stories in Hindi

24 वर्षीय अनन्या संगीत स्कूल में प्राध्यापिका है ।सहज ,सुंदर सरल अनन्या अपने पापा की बहुत चहेती रही है ।बचपन से लेकर बड़े होने तक पापा, पापा करती रही ।सभी उसे पापा की परी के नाम से जानते है । बहुत लाडली थी पापा की। पापा संगीत स्कूल में अध्यापक थे। संगीत के प्रति समर्पित … Read more

मन की पीड़ा – उषा सक्सेना : Moral Stories in Hindi

जीवन को विकास की गतिशीलता ही उसे जीवन्त बनाती है ,जिस दिन यह गति रुक जाये समझो उल्टी गिनती शुरू।व्यक्ति के जीवन की सबसे कठिन अवस्था होती है वृद्धावस्था जो उसेअपने साथ ही लेकर जाती है ,छोड़ती नहीं । इससमय शरीर की सारी इन्द्रियां शिथिल होकर शक्तिहीन होने लगती हैं ‌कभी बचपन में सुना था … Read more

मनमुटाव – कंचन श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

ट्रिक ट्रिक ……..के घंटी की आवाज़ के साथ रेखा दरवाज़ा खुलने की प्रतिक्षा करने लगी।इतने में भीतर से कौन की आवाज के साथ दरवाज़ा खुला। खुलते ही रेखा को सामने देख भतीजा राहुल बोल उठा अरे! बुआ आप नमस्ते आइये आइये। मां देखो बुआ आईं हैं।कहता हुआ भीतर चला गया और वो जवाब देकर वही … Read more

तोहफा – डॉ० मनीषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

उस शाम का सूरज भी थक कर लाल हो रहा था, जैसे अविनाश के दिन भर के काम के बोझ से। कार से उतरते हुए उसने जेब में पड़े छोटे से मखमली डिब्बे को दबाया। सालगिरह का तोहफा था – प्रगति के लिए। एक सोने की नाजुक चेन, उसकी कई महीनों की गोपनीय बचत का … Read more

स्मृतियों की माला – डॉ० मनीषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

पुरानी संदूकची की धूल चाटती कुंडी खुली। अंदर, समय के क्षय से बचे कागज़ों की सुगंध थी – पुरानी मासूमियत और स्याही की मद्धिम खुशबू। रितिका ने हाथ बढ़ाया। उंगलियां एक मोटे फाइल के ऊपर ठहरीं, जिस पर उसकी बचपन की टेढ़ी-मेढ़ी लिखावट में लिखा था – “मेरी जीतें”। इसे खोलना… स्मृतियों की एक माला … Read more

घर दिवार से नहीं परिवार से बनता है – सुदर्शन सचदेवा : Moral Stories in Hindi

तनु और मनु ने नया घर लिया था – शहर के पाश कालोनी में पांच कमरों वाला अपार्टमैंट,  इटालियन मार्बल  , स्मार्ट लाइटस, और दरवाजा अपनी आवाज से खुलता है | हर सिस्टम को स्पेशल तस्वीर दी और कैप्शन था – “और ड्रेयम होम”  लोगों ने बहुत सी तारीफ के लिए अलग अलग शब्द कहे … Read more

अधपकी सब्जी – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

मम्मी….. मम्मी….आज टिफिन में सब्जी काहे का दी थीं…..?  क्यों… क्या हुआ…?     आरंभ के प्रश्न पर स्वरा ने भी आश्चर्य से प्रश्न ही कर डाला….!       बहुत तारीफ हुई सबको बहुत पसंद आया…. वैसे तो मेरे टिफिन की हर रोज ही तारीफ होती है पर आज सब्जी तो वाकई कमाल का बना था….। बेटा मिक्स वेज … Read more

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