मां के आंसुओं का हिसाब – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

भुलक्कड़ मां रीना अब नौकरी कर रही थी पुणे में।बचपन से तरस गई थी,परिवार के साथ कहीं घूमने जाने को। गर्मियों की दो महीने की लंबी छुट्टियों में हर बार पहाड़ ही जाते थे भाई-बहन मां के साथ।मां बारिश होने पर बड़े गर्व से पहाड़ों से गिरने वाले झरने भी दिखाती थी,खुशी से झूमते हुए … Read more

ईश्वर का न्याय – शुभ्रा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

लता तुम अभी तक तैयार नहीं हुई? तुमको तो हरेक काम मे समय लगता है।  हम लड़की वालो के घर लेट से पहुंचेंगे तो वे लोग हमारे बारे मे क्या सोचेंगे? हम उन्हें क्या जबाब देंगे? किसी के घर समय से जाना चाहिए, पर तुम्हे तो हमारी इज्जत का कुछ ख्याल ही नहीं रहता है। … Read more

माँ के आँसुओं का हिसाब – Moral Stories in Hindi

एक छोटे से किराए के घर में, सरिता अपने नन्हे बेटे रवि के साथ रहती थी। दुनिया की नज़र में वो अकेली थी, पर रवि… रवि को बचपन से ही सब  नाजायज कहकर बुलाते थे । यह शब्द उसके नन्हे कानों में ऐसे चुभता था जैसे कोई तीखा पत्थर। हर गली-नुक्कड़ पर, स्कूल में, बाज़ार … Read more

मुक्ति  – कमलेश राणा : Moral Stories in Hindi

क्या जिंदगी है मेरी? न कभी मन का खाना न पहनना बस सारे दिन काम करते रहो। जो काम हुआ उसकी कभी कोई तारीफ नहीं और भूले से भी अगर बिगड़ जाए तो इतना हंगामा करती हैं ये कि सारे मोहल्ले वालों को पता चल जाये कि आज रागिनी ने यह काम बिगाड़ दिया है … Read more

माँ – संगीता अस्थाना : Moral Stories in Hindi

“क्या माँ -जब सोमा ने मना किया है किचेन में जाने से तो क्यों जाती हो जो चाहिये वो माँग लो पर नहीं तुम्हें तो अपने मन की ही करनी है मैं तो तंग आ गया हूँ ।” “ वो बेटा भूख लगी थी इसी लिए आई थी किचेन में ।” “खाना नही खाया था … Read more

धनलोभ – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

“ईश्वर के लिए #वक़्त से डरो बेटा ! तुम्हारी  दो बेटियाँ हैं वैसे ही तुम्हारी ये बहनें हैं । आज पापा जिंदा होते तो ये दिन न मुझे देखने पड़ते न ही मुझे तुम्हारे आगे घुटने टेकने पड़ते “।  ज्योति ! तुम कुछ बोलो न बहु, समझाओ न विवेक को ,तुम भी तो एक बेटी … Read more

कल कल बहती पाताल गंगा – Moral Stories in Hindi

सुमन तेरा चेहरा बता रहा है आज फिर तुम परेशान हो ,फिर से बेटे बहू में झगड़ा हुआ है क्या! सुमन ने एक लंबी सांस लेकर कहा -अब तो यह रोज की कहानी हो गई है, समझ में नहीं आता- दोनों इतने बड़े इंजीनियर हैं !बड़ी कंपनी में काम करते हैं! बढ़िया कमाते हैं! फिर … Read more

वसीयत – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

वृंदा को नए शहर के इस मुहल्ले में आए दो महीने होने को आए, पंरतु अभी तक किसी से भी उसकी ठीक से जान पहचान नहीं हुई थी। कुछ समय तो वो भी व्यस्त रही, बच्चों की स्कूल कालिज की एडमिशन और घर सैट करने में। पति की बैंक की नौकरी के कारण हर तीन … Read more

हर आंसु का हिसाब हुआ पूरा – रेखा सक्सेना : Moral Stories in Hindi

“मां, आप फिर रो रही हैं?” बड़ी बेटी ने आधी रात को जागकर मां को तकिए में मुंह छिपाकर सिसकते देखा। राधा ने सिर फेरते हुए कहा, “नहीं बेटा, ये तो बस थकान है।” “मां, अब हम बच्चे नहीं हैं, आपकी आंखों के हर आंसू का मतलब समझते हैं।” राधा ने उन्हें सीने से लगा … Read more

मां की कीमत – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

बेवकूफ औरत.. मन में तो आता है अभी तेरे गालों पर दो थप्पड़ लगा दूं किंतु मेरी मां ने मुझे किसी औरत पर हाथ उठाने के संस्कार भी तो नहीं दिए किंतु तेरी जैसी घटिया औरत अगर घर में हो तो एक बार तो भगवान भी शर्मा जाए, तू एक बेटे से अपनी मां को  … Read more

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