जब बहू ने अंगारे उगले – रेखा सक्सेना : Moral Stories in Hindi

शालिनी की शादी एक प्रतिष्ठित परिवार में हुई थी। पढ़ी-लिखी, आत्मसम्मानी और अपने विचारों पर अडिग रहने वाली लड़की ने जब ससुराल में कदम रखा, तो सबने कहा, “बहू तो बहुत तेज़ है, जुबान से अंगारे उगलती है।” असल में, शालिनी कभी गलत के सामने चुप नहीं रहती थी। जब पहली बार सास ने कहा, … Read more

माँ की इच्छा – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

बेटा.. मुझे कुछ पैसों की जरूरत है जैसे ही सुमित्रा जी अपने बेटे से कहने लगी तभी उनकी बहू नव्या वहां आ गई और सुमित्रा जी कहते कहते चुप हो गई! बेटे ने एक दो बार पूछा भी की मां बताओ कितने पैसे चाहिए और क्यों चाहिए किंतु मां ने कहा.. कोई बात नहीं बेटा … Read more

डिजिटल अंगारे – डॉ० मनीषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

आज वह स्क्रीन से नज़रें नहीं हटा पा रही थी। नेहा के फोन की नोटिफिकेशन बार धधक रहा था – एक के बाद एक टिप्पणियाँ, शेयर, टैग। सब एक ही लिंक की ओर इशारा करते थे – उसके खुद के डिज़ाइन स्टूडियो के आधिकारिक इंस्टाग्राम पेज पर पोस्ट की गई एक वीडियो रील। रील में … Read more

“अस्तित्व ” – सुदर्शन सचदेवा : Moral Stories in Hindi

असली अस्तित्व  वही होता है , जो हमारे अंदर की पहचान से जुड़ा होता है , न कि बाहर की पहचान से | जैसे पैसा, नाम या नौकरी | कोई कहे मेरा अस्तित्व खत्म हो गया है, यानि मेरी पहचान  मेरी अहमियत समाप्त हो गई है |  अस्तित्व की तलाश : शहर की भागती दौड़ती … Read more

अंगारे उगलना – सीमा सिंघी : Moral Stories in Hindi

तुम दिन भर घर पर करती ही क्या हो…बच्चे भी स्कूल चले जाते हैं। मैं भी सुबह का गया ऑफिस से शाम को ही लौटता हूं। हमारे जाने के बाद आराम ही तो करती हो और गुस्से में अपनी ऑफिस वाली बैग और टिफिन लेकर निकल पड़ा। यह साहिल की रोजमर्रा की आदत थी । … Read more

” पिता का आशीर्वाद ” – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

” पापा कब छोड़ेंगे आप अपना गँवार पन , इतनी इज्जत कमाई है मैने अपनी मेहनत के बल, सब मिट्टी मे मिलाने मे लगे हो आप !” मेहमानों के जाते ही अरुण मानो अंगारे उँगलने लगा। ” बेटा मुझे पानी पीना था कमरे मे था नही बस इसलिए रसोई मे पानी लेने जा रहा था … Read more

काश मैं कमजोर न पड़ती – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

गरिमा शाम को अपनी छत पर बैठी शून्य में कुछ ख़ोज रही थी, गरिमा हर शाम छत पर आकर बैठ जाती वो कभी आसमान पर उड़ते पक्षियों को देखती कभी चलते हुए बादलों को कभी वो शून्य में कुछ खोजती जैसे उसका कुछ खो गया हो और वो उसे दोबारा पाना चाहती हो पर जो … Read more

अंगारे उगलना – सुनीता परसाई ‘चारु’ : Moral Stories in Hindi

हरि का दोस्त मनोहर बाहर से आवाज दे रहा था “अरे ओ हरि! खेलना नहीं है क्या आज? “हांँ-हांँ चलता हूँ”   हरि व मनोहर अच्छे दोस्त थे। एक ही मोहल्ले में रहते थे। साथ खेलते साथ ही शाला जाते थे। हरि के पापा एक प्राइवेट कंपनी में  काम करते थे। उनकी कमाई से घर आसानी … Read more

वो काला दिन – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

उस दिन मौसम बहुत सुहावना था । दोनो भाई अमित, अनंत घूमने निकले । मुश्किल से दो घण्टे की दूरी पर वो रहते थे । आपस में अच्छी बनती थी उनकी , जब ज़िन्दगी के लुत्फ उठाना हो सैर- सपाटे के लिए निकल पड़ते । ये विभिन्न डे मनाने का प्रचलन विदेशों की ही तो … Read more

हाय राम! मेरी तो तकदीर ही फूट गई जो ऐसी बहू मिली – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

“हमें दहेज वहेज कुछ नहीं चाहिए बहन जी!जिसने अपने जिगर का टुकड़ा अपनी बेटी दे दी  बस यूं समझिये हमें तो जैसे सारे जहाँ की दौलत मिल गई और हमें क्या चाहिए?” मुकुल जी ने हाथ जोड़कर शीला जी से कहा! शीला जी की इकलौती बेटी मैना को मुकुल जी के बेटे मदन ने एक … Read more

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