नेह पाती – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

          तुम मेरी बैस्ट हमसफ़र थीं…          प्रिय शुभांगी ! शुभाशीष ! आज सुबह से ही मेरा मन रह- रहकर मुझे समय की दहलीजों को लांघ कर अतीत की ओर ले जा रहा है। जैसा कि तुम जानती ही हो कि कल मेरी रिटायरमेंट थी। रिटायरमेंट का आयोजन खूब अच्छी तरह संपन्न हो गया था। तुमने अपने … Read more

मैं भी हूँ! – मधु पारिक : Moral Stories in Hindi

 एक छोटे शहर की रहने वाली साक्षी बचपन से ही सवालों से घिरी रही — “लड़की हो, ज़्या दा मत उड़ो”, “पढ़-लिखकर क्या करोगी?” और “शादी ही तो करनी है अंत में!” इन सब तानों के बिच उसके मासुम में लेकिन  कुछ और ही चल रहा था — एक आग, जो उसे बार-बार कहती थी: … Read more

यात्रा – पूनम सारस्वत : Moral Stories in Hindi

आज तीसरा दिन था यहां आए हुए । ऐसा लग रहा था जैसे कि मैं किसी स्वर्ग में आ गई हूं, हर तरफ प्राकृतिक नजारे,रंग बिरंगे मकान और होमस्टे,ऐसे लग रहा था जैसे पथरीले पहाड़ों पर ये बड़े बड़े फूल उग आए हों। इन्हीं में से एक खूबसूरत होमस्टे में मैं ठहरी थी, यहां अक्सर … Read more

बहू का भी अस्तित्व  होता है। – अर्चना खण्डेलवाल Moral Stories in Hindi

निधि जल्दी से सामान बांध लो हम कल शाम की गाड़ी से घर जा रहे हैं, मम्मी की तबीयत ठीक नहीं है, रितेश ने फोन पर कहा। लेकिन रितेश मेरी शाम को जरूरी मीटिंग है, जिसकी तैयारी मैं पिछले एक महीने से कर रही थी और उसमें मेरी प्रजेंटेशन भी है तो मै तो नहीं … Read more

अंगारे उगलना – महजबीन सिराज : Moral Stories in Hindi

सुनीता ज़ोर ज़ोर से उषा मासी पर चिल्ला रही थी। “तुमने मेरी 25000 की ड्रेस जला दी। कोई काम तुम्हें ठीक से नहीं आता। कभी देखी हो इतनी महंगी ड्रेस तो जानो ? ” सुनीता अभी  दो महीने पहले ही इस घर में बहू बन के आई थी। बड़े बाप की बिगड़ी बेटी थी।बहुत घमंडी … Read more

*जीवन की सांझ में उजास* – प्रतिमा पाठक : Moral Stories in Hindi

प्रकृति की अनुपम छटा बिखेरता  छोटा सा गाँव सोनपुर अपनी रमणीयता के लिए प्रसिद्ध था।गांव के अंतिम छोर पर बसी छोटी-सी कुटिया में  निर्मला दादी अकेली रहती थीं। उम्र की सांझ ढल रही थी, लेकिन चेहरे पर  अब भी जीवन का सूरज चमकता था। रोज सुबह तुलसी में जल देकर, मिट्टी के दीयों से घर … Read more

अस्तित्व की गूँज – डॉ० मनीषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

ऑफिस की चौथी मंजिल पर, अमर की उँगलियाँ कीबोर्ड पर थिरक रही थीं, पर उसका मन कहीं दूर, शायद उसके भीतर की किसी खाली गुफा में भटक रहा था। स्क्रीन पर नंबरों और चार्टों की भीड़ थी। एकाएक, उसकी उँगलियाँ ठिठक गईं। एक विचित्र प्रश्न, जैसे कोई चट्टान टूटकर गिरा हो, उसके मस्तिष्क में आ … Read more

दूरदृष्टा पिता – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi 

“सुनो नीरा,अपने लाड़ले से कह देना।अब घर खर्च थोड़ा बढ़ा दे,पत्नी आ गई है घर में।मुझसे उम्मीद ना रखे कि मैं उसका भी खर्च उठाऊंगा।और हां,बिजली का बिल,गैस सिलेंडर,और साप्ताहिक बाजार की जो जिम्मेदारी सौंपी है मैंने उसे,वो वैसी ही रहेंगी।” निरंजन जी की कर्कश आवाज सुनकर नीरा को बहुत बुरा लगा आज।अभी -अभी तो … Read more

पहला स्कूल – एम. पी. सिंह : Moral Stories in Hindi

पिता जी की तेरवी के बाद, सुमित ने अपनी मॉ कमल देवी से कहा, मॉ, अब आप भी हमारे साथ शहर चलो, यहाँ गावँ में अकेली रहेगी तो पिताजी की याद आएगी ओर आप परेशान होती रहेंगी। बेटे का दिल रखने के लिए मॉ ने कहा, अभी थोड़े दिन यहीं रहने दे, अगली बार जब … Read more

रसोई किसकी– बहू या सासूमाँ की – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

 सीजन के पहले दिन कटहल की सब्जी बड़े उत्साह और मेहनत से सौम्या ने बनाया था….। वाह क्या सब्जी बनी है कटहल की… सच में बहुत स्वादिष्ट लग रही है डाइनिंग टेबल पर बैठकर सभी कटहल की सब्जी की तारीफ कर – कर के चटकारे ले-ले कर खाये जा रहे थे….। रसोई से सौम्या ये … Read more

error: Content is protected !!