हाँ, मैं आधुनिक नहीं हूँ – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

आओ ना रिया। इतनी दूर क्यों खड़ी हो? सभी मोहित का संगीत इंजॉय कर रहे है और एक तुम हो कि एक तरफ कोने मे बैठी हो।तुम्हे तो देखकर लग ही नहीं रहा है कि तुम्हे अपने देवर की शादी की कुछ ख़ुशी भी है।चलो भी अब सभी डिस्को थेक पर तुम्हारा इंतजार कर रहे … Read more

“जैसी करनी वैसी भरनी” – डा० विजय लक्ष्मी : Moral Stories in Hindi

शहर के एक  मोहल्ले में रहने वाली जानकी जी ने अपने छोटे बेटे की शादी बड़े अरमानों से की थी। लड़का सरकारी नौकरी में था — हर महीने डेढ़ लाख रुपये कमाता था। दो बेटे थे उनके — दोनों ही पढ़े-लिखे, अच्छे संस्कारी और अपने-अपने घरों में व्यवस्थित। जानकी जी ने हमेशा यही सपना देखा … Read more

पांव जमीन पर रखो – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

  “ ओह भाभी, ये क्या दाल बनाई है, तड़का तो दिख ही नहीं रहा, और ये  आलू की सब्जी, कुछ मीठा बनाया या नहीं, न रायता ना सलाद, ले जाओ ये सब, मैं नहीं खा सकती , मैं अभी कुछ बाहर से आर्डर करती हूं, आजकल तो जमैटो वगैरह से जो मर्जी मगांओ, मिंटों में … Read more

रिश्तो में अपनापन “….पूर्वानुमानित धारणा ना बनाएं… – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

देखो कुहू ….इस बार भी तुमने मना किया ना तो फिर तुम ही ढूंढ लेना अपने लिए लड़का……. झल्लाते हुए मीना ने बिटिया कुहू को शादी के रिश्ते के लिए हांमी भरने की चेतावनी दी……!  हाँ मम्मी बिल्कुल…यदि लड़का मेरे लायक होगा और मुझे पसंद आयेगा तो जरूर रिश्ता पक्की हो जायेगी….हँसते हुए कुहू ने … Read more

अव्यक्त पितृत्व: अनुपस्थिति का स्पर्श – डॉ० मनीषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

सर्दियों की उस सुबह, जब सूरज की किरणें धुंध को चीर रही थीं, रवि खिड़की के पास खड़ा था। उसकी बेटी आरती का विवाह-कार्ड उसकी उंगलियों के बीच था – चमकीला, भारी कागज पर सुंदर टाइपोग्राफी। एक पल के लिए उसकी निगाह कार्ड पर पिता के नाम के खाली स्थान पर अटक गई। **”श्रीमान…”** वहां … Read more

मेरी सासु माँ बहुत समझदार है – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

कुमुद ऑफिस से आकर कॉलवेल बजाने ही जा रही थी कि देखा कि दरवाजा खुला है और उसे अपनी ननद की आवाज सुनाई दी। उसने सोचा चलो अच्छा है दीदी आ गईं तो माँ का मन लगा रहेगा।कुमकुम दिनभर घर मे रहती थी तो माँ को बहुत अच्छा लग रहा था, पर दो दिन पहले … Read more

शुभम के दादाजी – सुभद्रा प्रसाद : Moral Stories in Hindi

     ”  पापा जी , यह दादा जी कब तक हमारे यहां रहेंगे ? बारह वर्षीय शुभम ने अपने पापा से पूछा|                ” ये अब यही रहेंगे हमारे साथ |  तुम ऐसा क्यों पूछ रहे हो ?”  पापा ने शुभम से कहा |                            … Read more

फर्ज – रेणु सिंह : Moral Stories in Hindi

बीना ,तुमने क्या सोचा? किस बारे में मम्मी! देखो बेटा अभी तुम्हारी उम्र ही क्या है  सारी उम्र ऐसे यहां बिना किसी सहारे के कैसे रहोगी तुम , आज पूरे छः महीने हो गए है राघव को गए हुए कभी तो हमारी बात सुन लिया करो  मां …. कितनी बार यह बात बोलोगी तुम  मैंने … Read more

“रेखाएं जो जोड़े रखती हैं” – रेखा सक्सेना : Moral Stories in Hindi

रायन और श्रुति – एक परफेक्ट कपल कहे जाते थे। दोनों ही मल्टीनेशनल कंपनियों में ऊँचे पदों पर थे, आधुनिक जीवनशैली जीते थे और स्वतंत्र सोच के समर्थक भी थे। शादी को पाँच साल हुए थे, पर अब रिश्ते में वो गर्माहट नहीं रही जो शुरू के दिनों में थी। शुरुआत में सब कुछ अच्छा … Read more

घर बनाम आश्रम – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू : Moral Stories in Hindi

———————– सामान उठा कर जाते जाते उसकी नज़र अपने पति की तस्वीर पर पड़ी और पड़ते ही उसे उसके बीत दिन एक रील की तरह मन मस्तिष्क में घूमने लगे कितने अरमानों से शादी  करके घर बनाया थी ।पर क्या पता था कि बढ़ती उम्र के साथ इतना कुछ बदल जायेगा। कहते है ना कि … Read more

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