जरा देखो हम कहां से कहां आ गए….
आलू की टिक्की खाने वाले बर्गर पर आ गए
कानों को झरनाहट देने वाली पानी पूरी छोड़ हनी चिली पोटैटो पर आ गए
जरा देखो हम कहां से कहां आ गए
दही बड़े के दीवाने अब मोमोज पर आ गए
मां के हाथ की सिमरिया छोड़ चाऊमीन पर आ गए
ठंडी स्वादिष्ट लस्सी छोड़ बेस्वाद कोल्ड ड्रिंक पर आ गए
जरा देखो हम कहां से कहां आ गए
दही जलेबी लड्डू बालूशाही छोड़ पैन केक के दीवाने हो गए
मां की खीर पूरी कचोरी छोड पिज़्ज़ा पर आ गए
जन्मदिन पर मां के मीठे पुआ और टीका छोड़ बच्चे अब केक कटिंग मे बिजी हो गए
जरा देखो हम कहां से कहां आ गए
अब मां ने भी मारना छोड़ दिया क्योंकि अब बच्चे बच्चे ना रहे सयाने हो गए
पिता की आंख का डर छोड़ पिता और बच्चो के याराने हो गए
माता-पिता घर के मालिक ना रहे बच्चे अब घर के मालिक हो गए
जरा देखो हम कहां से कहां आ गए
हमें आज भी मां थप्पड़ लगा देती है।
पापा से शिकायत का डर दिखा देती है।
यह हमारी आखिरी पीढ़ी जिसने माता-पिता के थप्पड़ खाऐ माता-पिता के फिर भी गुणगान हो गए
आज माता-पिता बच्चों के बीच बेचारे हो गए
देखते ही देखते जमाने के क्या हाल हो गए
जरा सोचो तो सही… जरा देखो तो सही… हम कहां से कहां आ गए
मंजूतिवरी, गुड़गांव
स्वरचित मौलिक रचना
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