जरा देखो हम कहां से कहां आ गए – मंजू तिवारी   : Moral Stories in Hindi

जरा देखो हम कहां से कहां आ गए….

आलू की टिक्की खाने वाले बर्गर पर आ गए 

कानों को झरनाहट देने वाली पानी पूरी छोड़ हनी चिली पोटैटो पर आ गए 

जरा देखो हम कहां से कहां आ गए 

दही बड़े के दीवाने अब मोमोज पर आ गए 

मां के हाथ की सिमरिया छोड़ चाऊमीन पर आ गए 

ठंडी स्वादिष्ट लस्सी छोड़ बेस्वाद कोल्ड ड्रिंक पर आ गए 

जरा देखो हम कहां से कहां आ गए 

दही जलेबी लड्डू बालूशाही छोड़ पैन केक के दीवाने हो गए 

मां की खीर पूरी कचोरी छोड पिज़्ज़ा पर आ गए

जन्मदिन पर मां के मीठे पुआ और टीका छोड़ बच्चे अब केक कटिंग मे बिजी हो गए 

जरा देखो हम कहां से कहां आ गए 

अब मां ने भी मारना छोड़ दिया क्योंकि अब बच्चे बच्चे ना रहे सयाने हो गए 

पिता की आंख का डर छोड़ पिता और बच्चो के याराने हो गए 

माता-पिता घर के मालिक ना रहे बच्चे अब घर के मालिक हो गए 

जरा देखो हम कहां से कहां आ गए 

हमें आज भी मां थप्पड़ लगा देती है।

 पापा से शिकायत का डर दिखा देती है।

 यह हमारी आखिरी पीढ़ी जिसने माता-पिता के थप्पड़ खाऐ माता-पिता के फिर भी गुणगान हो गए 

आज माता-पिता बच्चों के बीच बेचारे हो गए

देखते ही देखते जमाने के क्या हाल हो गए 

जरा सोचो तो सही… जरा देखो तो सही… हम कहां से कहां आ गए

मंजूतिवरी, गुड़गांव 

स्वरचित मौलिक रचना 

सर्वाधिकारसुरक्षित

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