पापा मेरे स्कूल के सारे बच्चों ने स्पाइडर-मैन देख ली है, इस इतवार को हम भी पिक्चर देखने जाएंगे, राहुल लाड करते हुए पापा से बोला। हां बहुत दिन हो गए, मुझे भी बहुत सा सामान खरीदना है, चलो मैं भी वहां माल के स्टोर से ही कुछ सामान भी खरीद लूंगी, नित्या ने कहा। दादी मां सब्जी काट रही थी और नित्या रसोई में खाना बनाने की तैयारी कर रही थी।
नहीं मम्मी मैं और पापा इंग्लिश पिक्चर देखने जाएंगे आपके साथ कोई हिंदी इमोशनल पिक्चर मुझे नहीं देखनी। पापा पिछली बार भी जब हम मम्मी के साथ सिटी माल गए थे तो मम्मी माल में नीचे से ग्रॉसरी का सामान ले रही थी। मेरे फ्रेंड्स के सामने तो मुझे इतनी शर्म आ रही थी कि यह गंवार औरत
मेरी मां है। पापा हम दोनों ही जाएंगे। हल्दीराम से दादी और मम्मी के लिए कुछ भी खाने को ले आएंगे। पापा एस्केलेटर से भी जब सामान लेकर के मम्मी उतर रही थी तो पूरी सीढ़ी पर मम्मी अपने सामान के साथ आ रही थी। जल्दी-जल्दी यह चल नहीं सकती इतनी मोटी जो हो गई है। मनोज सिर्फ
मुस्कुरा भर रहे थे मानो उनकी दबी भावनाएं राहुल प्रकट कर रहा हो। सासू मां भी चुप ही थी मानो वह भी राहुल की बात का ही समर्थन कर रही हों। ससुर जी आराम से बैठकर अखबार पढ़ रहे थे।
अपने लिए गंवार शब्द का प्रयोग होना नित्या को बिल्कुल अच्छा नहीं लगा और उससे भी बुरा तब लगा जबकि कोई भी राहुल को रोक भी नहीं रहा था। राहुल अपने पिता को खुश करने के लिए कुछ भी कह रहा था।
नित्या बिना कुछ बोले अपने कमरे में आ गई और पुरानी यादों में खो गई। कॉलेज टाइम से ही दिल्ली में उसने सारे कॉम्पिटेटिव एग्जाम दे रखे थे और जब उसका भोपाल में विवाह हो गया तो उसके 3 महीने बाद से ही, दिल्ली में रेलवे का और नई
दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन का उसका क्लैरिकल इम्तिहान क्लियर हो गया था। ग्रेड 2 का भी क्लियर होने के बाद उसको इंटरव्यू के लिए और क्लैरिकल में टाइप टेस्ट के लिए दिल्ली बुलाया था। उसकी मम्मी ने ही नित्या को सूचना दी थी। नित्या ने जब मनोज को दिल्ली जाने के लिए कहा तो मनोज ने कहा अब हम अभी तो एक सप्ताह लगा कर दिल्ली से आए हैं
अभी फिर से दिल्ली कैसे जा सकती हो? मम्मी की अपनी समस्याएं हैं पापा भी बीमार रहते हैं, घर का ख्याल कौन करेगा और अगर नौकरी लग भी जाती है तो तुम क्या हमेशा दिल्ली में और मैं भोपाल में रहूंगा। मनोज सी.ए. था और उसके पापा भी ही.ए. ही थे तो उनका बहुत बड़ा एकाउंट्स का ऑफिस मार्केट के बीच में भोपाल में ही था। पापा कभी-कभी दफ्तर में चले भी जाते थे
अन्यथा जब से उन्हें हर्ट का बाईपास हुआ तब से मनोज ने ही ऑफिस संभाल रखा था। मनोज इकलौता बेटा था और घर में कोई चीज की कमी भी नहीं थी। नित्या ने भी दिल्ली जाने की जिद इसलिए भी नहीं की क्योंकि तब उसको भी 3 माह की प्रेगनेंसी थी। भोपाल से दिल्ली तक हवाई जहाज में जाना उसको भी मुश्किल ही लग रहा था। उसके बाद राहुल हो गया और फिर वह घर
गृहस्थी में उलझ कर रह गई लेकिन आज यह सब सुनकर और किसी ने भी इन बातों का विरोध नहीं किया यह सोचकर उसे और भी दुख हो रहा था। उसने शीशे के आगे खुद को देखा तो वास्तव में ही उसे महसूस हो रहा था वह कितनी मोटी और अपने प्रति लापरवाह हो चुकी थी। उसने अपने आंसू पूछे और कुछ दृढ़ निश्चय किया।
दोपहर का काम खत्म करने के बाद उसने सासू मां को कहा आज शांताबाई आने पर आप ही बर्तन इत्यादि उससे करवा देना मैं शाम को पार्क में सैर के लिए जाया करूंगी। बहुत से ब्लाउज़ और सूट जो मेरे को बनवाने के लिए कपड़े रखे थे आज मैं मार्केट जाते हुए उन सबको भी सिलने को डाल दूंगी। सासू मां समझ गई थी
कि नित्या को बहुत दुख हुआ है उन्होंने नित्या को प्यार करते हुए कहा मैं तो तुझे पहले ही कहती थी ना बेटे कि अपना खाने पीने का ख्याल रखा कर। कोई बात नहीं तुम निश्चिंत होकर जाओ मैं देख लूंगी। नित्या ने मार्केट जाकर पार्लर से अपने बाल इत्यादि सेट करवाए
और कुछ कपड़े सिलने को दिए साथ ही उसने सवेरे योगा क्लासेस जॉइन करने के लिए भी पेमेंट कर दी थी। सिर्फ एक दिन के मेकओवर से ही उसके चेहरे पर बहुत चमक आ गई थी। यह चमक उसके दृढ़ निश्चय की थी या कि पार्लर से तैयार होने की का नहीं सकते परंतु शाम को जब मनोज आया तो वह भी उसको देखकर हैरान हो गया। हालांकि नित्या के सुबह कमरे में जाने के साथ ही उसे समझ में तो आ गया था कि नित्या को बुरा लगा है परंतु तब तो वह कुछ नहीं बोला था
, शाम को आने के बाद में नित्या को देखकर बोला अरे इस घर की मालकिन ही तुम हो, तुमसे ही तो हम सब हैं और शायद दादी ने राहुल को भी समझाया होगा। राहुल भी मम्मी से सॉरी बोल रहा था लेकिन नित्या ने सबको कहा, नहीं कसूर तुम सबका नहीं है, कसूर मेरा ही था
मुझे खुद अपना ख्याल रखना चाहिए। मैं भी तो आलस्य में पड़ी हुई अपना समय केवल टीवी मोबाइल और सोने में ही बिताती थी। अब मैं भी खाली बैठने की बजाय सुबह शाम वॉक पर जाऊंगी योगा करूंगी और साथ ही मैंने कंप्यूटर सीखने के लिए भी क्लास ज्वाइन करनी है। यह जो तुम लोग मुझे टेक्निकल चैलेंज्ड कहते हो ना, अब मैं वह भी नहीं रहूंगी। यह तो बहुत अच्छा
डिसीजन है मम्मी, राहुल प्यार करता हुआ मम्मी से बोला। सब ने नित्या को बहुत प्यार करा और सासू मां ने कहा तुम तो घर की धुरी हो तुम्हारे कारण ही हम सब स्वस्थ हैं तुम अपना ख्याल रखोगी तो हम सबको भी बहुत अच्छा लगेगा।
सॉरी मम्मी यू आर माय बेस्ट मॉम, मैं कभी भी गंवार जैसे शब्द आपके लिए इस्तेमाल नहीं करूंगा। नित्या ने राहुल को गले से लगा लिया। अब नित्य बहुत चुस्त, और सुंदर हो चुकी थी।
मधु वशिष्ठ, फरीदाबाद, हरियाणा
यह गवार औरत मेरी मां है विषय के अंतर्गत