ये गवार मेरी मां हैं। – खुशी : Moral Stories in Hindi

रेवती एक छोटे से गांव में रहने वाली लड़की थी।6 भाई बहनों में 5 वे नंबर पर।2 भाई और 4 बहने ।रेवती को बचपन से ही पढ़ाई का शौक था। विज्ञान में खास रुचि थी।पिता थरूर और माता लक्ष्मी।थरूर की बहुत खेती थी और लकड़ी का कारखाना था।

जिससे घर में पैसे की कोई कमी नहीं थी।सब भाई बहन अच्छा पढ़ते थे।रेवती की तारीफ तो उसके अध्यापक भी करते 10 तक तो गांव में पढ़ाई पूरी हुई।दसवीं में जिले में टॉप किया तो आगे की पढ़ाई के लिए हैदराबाद आ गई वहां उसने 11 वी 12 वी कर कॉलेज में एडमिशन लिया और स्पेस और

टेक्नोलॉजी के बारे में पढ़ने लगी।उसकी लगन देखकर अध्यापक भी उसे सहयोग करते और अपनी लगन से रेवती ने phd कंप्लीट की और श्री हरिकोटा स्पेस सेंटर ज्वाइन कर लिया और भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री एपीजे अब्दुल कलाम के सानिध्य में भी उसे काम करने का मौका मिला।

उसकी टेक्निकल नॉलेज इतनी अच्छी थी कि वो दो बार नासा भी हो आई।सभी को रेवती पर गर्व था रेवती बिल्कुल सीधी साधी सादगी पसंद थी उसका विवाह अपने ही गांव के स्वामी से हुआ जो एक मल्टीनेशनल कंपनी में बड़ी ऊंचे पद पर था और बैंगलोर में था।घर और परिवार के कारण रेवती ने

बैंगलोर में ट्रांसफर ले ली पर जब भी कोई जरूरी प्रोजेक्ट होता तो वो हरि कोटा जाती।स्वामी रेवती को बहुत सपोर्ट करते थे।गृहस्थी जमी और रेवती तीन बच्चों की मां बनी कमल,राजीव और शिवानी ।कमल बिल्कुल अपने माता पिता जैसा था पढ़ाई में होशियार स्पेस में रुचि विज्ञान के प्रति झुकाव।

राजीव एक मस्तमौला लड़का था जिसका झुकाव गणित में था और  वो कुछ व्यापारी बुद्धि का था। शिवानी शुरू से ही क्राफ्ट में रुचि रखती थी। बच्चे अपने अपने कार्य में तरक्की कर रहे थे और रेवती अपने घर और नौकरी सबको संभाल रही थीं।रेवती इतनी सीधी साधी रहती थीं

कि कोई यह कह ही नहीं सकता था कि वो इतने बड़े पद पर काम करती थी।बच्चे बड़े हुए मां की तरह ही कमल ने भी स्पेस सेंटर ज्वाइन किया और वो नासा चला गया।राजीव ने अपना खुद का होटल खोल लिया बैंगलोर में और बेटी फाइन आर्ट करके कॉलेज में लेक्चरर लग गई ।

बच्चे सेटल हो गए तभी भारत की तरफ से मिशन मंगल का पहला प्रोजेक्ट स्टार्ट हुआ और उसकी हेड रेवती को बनाया गया रेवती अपनी टीम और अपने हेड आनंद जी के साथ काम में लग गई।उधर कमल की भी शादी तय हो गई और राजीव भी एक लड़की को पसंद करता था।

जैसे ही रेवती का मिशन मंगल लॉन्च हुआ।कमल राजीव और शिवानी ने अपनी मां के सम्मान में पार्टी रखी  वहां पर राजीव की गर्लफ्रेंड  आकृति भी अपने परिवार के साथ आई थी जो रेवती और राजीव के परिवार से मिलना चाहते थे।

रेवती अकेली पार्टी हॉल में पहले आई सिल्क की साड़ी बालों में गजरा बड़ी सी बिंदी बिल्कुल साधा रूप । आकृति आगे आई और बोली ये गवार औरत कौन हैं इसे यहां से बाहर निकालो ।पता नहीं कहा से गवार आ गई और आकृति ने लगभग रेवती को धकेल दिया सब लोग देख रहे थे

कि क्या हो रहा है तभी सामने से दो हाथों में ने रेवती को थाम लिया और बोले रेवती तुम ठीक हो स्वामी ने कहा।राजीव आगे आया और बोला ये गवार औरत मेरी मां है ।मंगल मिशन की हेड जो सादगी पसंद महिला है दिखावा नहीं करती कि उनके पति एक कंपनी के जी

एम है वो खुद श्री हरिकोटा में काम करती हैं उनका बेटा नासा में है ।उन्हें कभी दिखावा आया नहीं और उन्होंने हमे भी सिखाया नहीं।आकृति मेरी मां से माफी मांगो।रेवती बोली कोई बात नहीं बेटा उसे पता नहीं था।मां पता नहीं था तो किसी का भी अपमान करेगी ।

सारी आकृति अब हम आगे नहीं बढ़ पाएंगे क्योंकि मेरी मां का सम्मान मेरे लिए सर्वोपरि है।सारी राजीव मै नहीं जानती थी कि ये तुम्हारी मां है आकृति बोली।राजीव बोला जो लोग दूसरे के कपड़ों से किसी को जज करे मुझे वो लोग पसंद नहीं तुम जा सकती हो।

रेवती बोली बेटा कोई बात नहीं छोड़ो चलो आकृति तुम भी आओ सब आगे बढ़े सबने रेवती का सम्मान किया रेवती के बारे में वहां उपस्थित हर व्यक्ति ने अपने विचार रखे और इतना सुंदर बोला कि आकृति तो शर्म से गड़ गई।

सब कार्यक्रम होने पर रेवती स्टेज आई और बोली अगले साल जनवरी में यानी आज से 6 महीने बाद मेरे दोनों बेटे कमल और राजीव की शादी होगी डेट 24 जनवरी कमल और प्रिया और राजीव और आकृति सबने मुबारक दी और लोग खाना खा कर जाने लगे।

रेवती ने राजीव को बुलाया और आकृति को भी ।आकृति शर्म से सिर नहीं उठा पा रही थी।उसके माता पिता ने भी रेवती और स्वामी से माफी मांगी।रेवती बोली बच्चे है और राजीव तुमने सोच समझ कर आकृति को पसंद किया था अब उसकी गलती पर उसे समझाओ ना कि उसका साथ छोड़ दो।

आकृति रेवती के गले लग बोली मां अब आपकी ये बेटी कभी गलत राह पर नहीं चलेगी।सब मुस्कुरा दिए और रेवती और स्वामी सोच रहे थे कि जीवन के 25 वसंत खुशी खुशी बीते अब आगे के बच्चो के प्यार में बीतेगे।

स्वरचित कहानी 

आपकी सखी 

खुशी

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