यह गंवार औरत मेरी मां है

बधाई हो, बेटा… अब तो तुम अपने ही शहर में वापस आ गई हो, अब हम मां-बेटी चाहे तो रोज भी मिल सकते हैं। पहले तो तुम हैदराबाद रहती थी, तो वहां तो हमारा जाना ही नहीं हो पता था। तेरे पापा के ऑफिस में जैसे छुट्टियाँ ही नहीं होती थीं।
“अच्छा रहा, निखिल की कंपनी ने निखिल को दिल्ली ट्रांसफर कर दिया!”

फोन पर अपनी मम्मी सीमा की बात सुनकर सृष्टि बोली, “क्या मम्मी, बल्कि जब मैं हैदराबाद रहती थी, खुश रहती थी निखिल के साथ। आए दिन बाहर चली जाती थी। दिल्ली आने के बाद तो निखिल पूरी तैयारी में है अपनी मम्मी-पापा को यही लाने की। कहते हैं, बहुत रह लिए वह गांव में, अब उनका बेटा इतनी बड़ी कंपनी में, इतने अच्छे पद पर है, तो उनके माता-पिता गांव में क्यों रहें?”

“और परसों ही निखिल के मम्मी-पापा भी यहां आ रहे हैं!”

“हां, तो बेटा, यह तो अच्छी बात है ना? मुझे तो गर्व है निखिल जी की सोच पर। कितना छोटा सा परिवार है तुम्हारा! निखिल की एक बहन है, वह भी गुड़गांव में रहती है। और बेटा… माता-पिता अपने बच्चों के साथ नहीं रहेंगे तो कहां रहेंगे? और एक काम करना—जैसे ही तेरी सास यहां आ जाए, कुछ दिनों में ही उन्हें मेरी किटी पार्टी और समाजसेवी संस्थान की सदस्य बनवा देना। इससे उनका समय भी पास हो जाएगा और वह यहां के माहौल में थोड़ा बहुत रच-बस भी जाएगी। अपने बेटे-बहू के कारण अच्छी जिंदगी जीने का यही तो अवसर है! बेटा, तेरी सास भी तेरी मां है और कितनी सीधी और सरल महिला है!”

“अरे मम्मी… आपको क्या बताऊँ, आप इन झंझटों में ना पढ़ो तो ही अच्छा है। निखिल की मम्मी सिर्फ आठवीं तक पढ़ी है और अभी तक वह गाय-भैंस, कच्चे घर, खेत-खलियान इन्हीं में व्यस्त रहती थी। उनका पहनावा भी घाघरा-लुगड़ी जैसा है। वह कभी शहर में रही ही नहीं। उनको देखकर आपकी सभी सहेलियों को शर्म आएगी और आपको भी दो-चार बातें सुनने को मिल जाएँगी कि ऐसी ‘गवार’ इनकी समधन है! मम्मी, आप कितनी अपडेट रहती हैं, कितनी मॉडर्न तरीके से रहती हैं, और एक मेरी सासू मां को देखो—पूरी गवार!”

“बेटा, तू अपनी सास के बारे में ऐसी गलत बातें कैसे कर सकती है? कल अगर तेरे बच्चे तुझे गवार कह कर पुकारेंगे, तब तो शर्म से जमीन में गढ़ जाएगी। तू हमारे संस्कारों पर कैसे उंगली उठा सकती है?”

जब सृष्टि अपनी मां से फोन पर यह सब बातें कर रही थी, तभी निखिल वहां आया और फोन को खींचकर पटक दिया और चिल्लाते हुए बोला, “सृष्टि! जिस औरत को तुम गवार कह रही हो, वह गवार औरत मेरी मां है। भले ही मेरी मां आठवीं तक पढ़ी है, लेकिन तुम जैसी पढ़ी-लिखी लड़की से लाख गुना बेहतर है। मेरी मां ने हम दोनों, बहन-भाइयों, को इतने अच्छे-अच्छे पद पर पहुंचा दिया और हमारे अंदर दूसरों की इज्जत करने के संस्कार भी कूट-कूट कर भरे हैं। अगर यही बात मैं तुम्हारी मम्मी के लिए कहूँ, तो शायद तुम्हें बुरा लगेगा, किंतु मेरी मां ने ऐसे संस्कार हमें नहीं दिए हैं। और आइंदा मेरी मां के लिए कुछ भी बोलने से पहले यह सोच लेना कि तुम मां का नहीं, मेरा दिल दुखा रही हो। कोई भी बेटा-बेटी अपनी मां के लिए गलत शब्द बर्दाश्त नहीं कर सकता, सृष्टि!”

निखिल की बात सुनकर सृष्टि को अपने पढ़े-लिखे होने पर शर्म आने लगी और वह सोचने लगी—निखिल तो इतनी ऊंची नौकरी करता है, फिर भी उसमें किसी के लिए कोई घमंड नहीं है। और मैं तो नौकरी भी नहीं करती, सारा दिन घर पर रहती हूँ, फिर मेरी सोच इतनी घटिया क्यों हो गई? और निखिल के पापा-मम्मी ने मेरा क्या बिगाड़ा है? हां, उनका कम पढ़ा-लिखा होना या पहनावा हमसे भिन्न है, किंतु उनकी सोच कितनी ऊंची है। वह शुरू से जिस माहौल में रहते हैं, वह माहौल कैसे बदल दें? हमें तो हर परिवेश की इज्जत करना सिखाया जाता है। फिर मेरी सारी शिक्षा कहां चली गई?

अपनी गलती का पश्चाताप करते हुए, वह निखिल से माफी मांगने चली गई। निखिल से बार-बार माफी मांगने के बाद आखिरकार निखिल का दिल पिघल गया और उसने सृष्टि को माफ कर दिया।

    हेमलता गुप्ता स्वरचित 

  कहानी वाक्य प्रतियोगिता (यह गवार औरत मेरी मां है)

#यह गवार औरत मेरी मां है

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