याद – आराधना सेन

नीतू आज बेटी की शादी की तैयारी में जुटी हैं उसे आज मांजी को दवा देना याद न रहा ,मेहमानों से घर भरा हुआ हैं लेकिन किसी को मांजी के कमरे में जाने की कोई इच्छा ही नहीं हैं नन्दे भी सजने संवरने में लगी हैं. 

नीतू जल्दी सास के कमरे में गई ,कमरे से दुर्गंध आ रही थी जल्दी से मुनिया को बुला लाई “अरे चाची आज भी आपको छुट्टी नहीं मिली इस बुढ़िया से,

आप को तो अपनी बेटी के पास होना था रस्मे हो रही हैं “अच्छा चल चुप कर तू थोड़ा सा इन्हें उठा मैं चादर बदल देती हूं इन्हें साफ  अच्छी नरम सी साड़ी पहना कर आँगन में ले चलो अच्छा लगेगा सब को देखकर.

“हम्म किसी को तो पहचानती नहीं आपके सिवा हर बात में सिर्फ आपको देखती हैं, और बेटियाँ सिर्फ एक दो बार माँ के पास बैठकर हालचाल पूछकर अपना कर्तव्य निभा लेती हैं

कोशिश भी नहीं करते कि आपकी कोई मदद करे मा की सेवा कराने में “अच्छा चल इनके कपड़े बदलने में मदद करे नीतू को लाखों काम थे कल बेटी की शादी हैं

मन ही मन सोच रही थी ईश्वर बेटी के सास ससुर अच्छे हो  जो बेटी को बड़े प्यार से रखे ,उसे अपने दिन याद आ गए सास कैसे छोटी छोटी बातों में उसे ताना देती थी,

नन्द के कहने पर अक्सर उनसे लडाई झगड़ा कर चली जाती थी मेहमानों के घर इधर नीतू अपने छोटे छोटे बच्चों को लेकर परिवार को संभालती थी,

सास ने उसे मानसिक पीड़ा बहुत दी थी उसे एक युग बीत गया इस घर मे जब तक सास के हाथ पैर चले नीतू को अपना माना ही नहीं

उसे मशीन समझा काम करने की, जब सास को बुढ़ापे मे बिस्तर से न उठते बनता तब नीतू  अच्छी लगने लगी सास को, आज सास को सिर्फ नीतू का नाम याद हैं हर समय बोलती हैं

तू किसी जन्म मेरी बेटी रही होगी, नीतू हंसते हुए बालो को सहला देती सोचती जब इस प्यार की जरूरत थी माता पिता को छोड़कर आई थी

आपके घर उस समय आपने दिल से नहीं अपनाया आज इस उम्र में आकर आपको एहसास हो रहा हैं नीतू मन ही मन हंसती हैं. 

नीतू मांजी को लेकर आँगन मे आ जाती हैं नन्दे मांजी के पास आकर मोबाइल से फोटो लेती हैं मा के चेहरे पे कोई मुस्कराहट नहीं,  पोती को इशारे से अपने पास बुलाकर, 

नीतू  के हाथों को पकड़कर पोती को फोटो लेने को कहती हैं इस दृश्य को देखकर नंद कहती “मा को देखो भाभी के साथ बहुत खुश हैं, पोती भी बोल पडी “दादी सबको भूल जाती हैं कभी कभी पर माँ को नहीं “

नीतू चुपचाप मुस्करा रही थी सोच रही थी बुढ़ापे में बहु ही तो रहती हैं पास तो याद तो रहना ही हैं बस लोग यह बात समझ जाए. 

आराधना सेन 

#बुढ़ापे का सहारा बेटा बेटियाँ नहीं होती बल्कि बहु होती हैं

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