क्या करूं मम्मी… समझ ही नहीं आता.. कल शाम को अमित के मम्मी पापा और भैया भाभी यहां हैदराबाद घूमने के लिए आ रहे हैं, पूरे एक हफ्ते का कार्यक्रम है उनका, मम्मी मैं तो काम करते-करते ही थक जाऊंगी…. बताइए ना क्या करूं..? पूजा की बात सुनकर मम्मी बोली.. देख बेटा ऐसा है
जब तेरे ससुराल वाले आए तब या तो तू अमित जी के साथ खुद ही कहीं बाहर चली जा या अपनी बीमारी का कोई बहाना लगा देना जिससे वह आए ही नहीं! अरे मम्मी.. ऐसे कैसे इस समय पर मैं बाहर चली जाऊं वह लोग मेरे बारे में क्या सोचेंगे..? अच्छा फिर एक काम कर …अमित जी से कहकर
उनके रुकने की व्यवस्था तू होटल में करवा दे जिससे तेरा भी काम हो जाएगा और उनका घूमने का कार्यक्रम भी हो जाएगा और तुम दोनों जाकर उनसे होटल में मिल आना, अपनी व्यस्तता का बहाना लगा देना, अब मेरी बेटी नौकरी करें या अपने ससुराल वालों को संभालती फिरे, क्या इनकी
खातिरदारी के लिए ही इतना पढ़ाया लिखाया है , जब मां अपनी बेटी से बात कर रही थी उसी समय निलेश जी ने घर में घुसते हुए उनकी सारी बातें सुन ली और वह अपनी पत्नी से बोले… कैसी मां हो तुम, अपनी बेटी को सही सीख देने की बजाय उल्टी पट्टी पढ़ा रही हो, शायद तुम्हारे इसी व्यवहार की
वजह से आज मेरे माता-पिता और भाई बहन हमारे पास ना आकर छोटे भाई के पास ही रहते हैं और जाते हैं और यही सब तुम मेरी बेटी से करवा रही हो, शायद तुम्हारी मां ने तुमको यही शिक्षा दी होगी, अपनी पत्नी के हाथ से फोन छीनते हुए उन्होंने पूजा से कहा…. बेटा जब अपने ससुराल वाले
आए उनका दिल खोलकर स्वागत करना उनको किसी भी चीज की कोई कमी मत होने देना, ससुराल वाले ही तेरा परिवार है, अब हमसे बढ़कर वह तेरे लिए हैं और वह भी इतने समझदार है कि तुझे कोई तकलीफ नहीं होने देंगे! बेटा अपनी मां की बातों में आकर अपने घर गृहस्ती में आग मत लगाना, इतना पढ़ाया लिखाया है कुछ तो अपनी बुद्धि का इस्तेमाल कर और नीलेश जी की बातें सुनकर मां बेटी दोनों के सिर शर्म से झुक गए!
हेमलता गुप्ता स्वरचित
मुहावरा प्रतियोगिता (उल्टी पट्टी पढ़ाना)
#उल्टी पट्टी पढ़ाना